डब्ल्यूआईआई ने अपनी रिपोर्ट में इस पूरे एरिया को नो गो एरिया घोषित करने की अनुशंसा की है। हसदेव अरण्य कोल ब्लाक क्षेत्र में मिले बाघ के पंजों के निशान, वन्यजीवों के जानकारों के मुताबिक बाघ उसी क्षेत्र में विचरण करते हैं, जहां उनकी भोजन के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो। हसदेव अरण्य क्षेत्र में बाघों के अलावा तेंदुआ, वाइल्ड डॉग, लकड़बग्घा, जंगली बिल्ली बहुतायत में है।
रायपुर/कोरबा(BCC NEWS 24): राज्य के सबसे बड़े कोल ब्लाक का एरिया माने जाने वाले कोरबा के हसदेव अरण्य क्षेत्र में केवल हाथी ही मौजूद नहीं हैं। इस पूरे इलाकों में बाघ के साथ कई शेड्यूल-1 प्रजाति के वन्यजीव की मौजूदगी है। इस बात की पुष्टि केंद्र सरकार की एजेंसी वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) ने अपनी रिपोर्ट में की है। जिस जगह कोयला खनन होता है, वहां बाघ के पंजों के निशान मिलने से डब्ल्यूआईआई की रिपोर्ट के पुख्ता होने पर मुहर लग गई है।
उल्लेखनीय है कि हसदेव अरण्य कोल ब्लाक इलाके के मदनपुर, मोरगा तथा धजाक में बाघ की मौजूदगी के निशान मिले हैं। जहां बाघ की मौजूदगी के साक्ष्य मिले हैं। उस क्षेत्र में अडानी ग्रुप को कोल उत्खनन का ठेका मिला है। गौरतलब है, जिस क्षेत्र में बाघ के पंजों के निशान मिले हैं, उस क्षेत्र में स्थानीय ग्रामीणों के साथ समाजसेवी संस्थानों ने कोल उत्खनन का पहले ही विरोध किया है। साथ ही डब्ल्यूआईआई ने भी इस क्षेत्र में कोयला उत्खनन करने से मानव हाथी द्वंद्व के विकराल रूप धारण करने की चेतावनी दी है। मदनपुर, मोरगा तथा धजाक में बाघों की मौजूदगी की वन अफसरों ने पुष्टि की है।
अन्यथा बाघ पलायन कर जाते
वन्यजीवों के जानकारों के मुताबिक बाघ उसी क्षेत्र में विचरण करते हैं, जहां उनकी भोजन के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो। बाघ शिकार के माध्यम से अपना पेट भरते हैं। इस लिहाज से हसदेव अरण्य क्षेत्र में बहुतायत में शाकाहारी तथा मांसाहारी वन्यजीव विचरण कर रहे हैं। इस क्षेत्र में बाघों के अलावा तेंदुआ, वाइल्ड डॉग, लकड़बग्घा, जंगली बिल्ली बहुतायत में है। उक्त सभी प्रजाति के वन्यजीव मांसाहारी प्रजाति के हैं।
नो गो एरिया घोषित करने का सुझाव
डब्ल्यूआईआई ने अपनी रिपोर्ट में इस पूरे एरिया को नो गो एरिया घोषित करने का उल्लेख किया है। क्षेत्र को नो गो एरिया घोषित करने की अनुशंसा करने की प्रमुख वजह पूरे इलाके में विलुप्त प्रजाति के वन्यजीवों की उपस्थिति है। क्षेत्र में कोल उत्खनन होने से बायोडायवर्सिटी बुरी तरह से प्रभावित होगी। साथ ही वन्यजीवों का अस्तित्व संकट में आ जाएगा।
बाघ कॉरिडोर प्रभावित होगा
एनटीसीए बाघों की आवाजाही वाले जंगलों को चिन्हांकित कर जहां बहुतायत में बाघ पाए जाते हैं, उसे टाइगर रिजर्व बनाने का काम कर रही है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार बाघों के कॉरिडोर को मजबूत करने के उद्देश्य से गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के साथ तमोर पिंगला को जोड़कर टाइगर रिजर्व बनाने जा रही है। इसके बाद गुरुघासीदास से लेकर अचानकमार, कान्हा, पेंच तथा पलामू टाइगर रिजर्व सेंट्रल इंडिया का सबसे बड़ा बाघ कॉरिडोर बनेगा।
पंजों के मिले निशान
मोरगा में बाघों की मौजूदगी के साथ पंजों के निशान मिलने की जानकारी मिली है। बाघों की मौजूदगी की पुष्टि करने कोरबा वनमंडलाधिकारी को ट्रैप कैमरा लगाने के निर्देश दिए गए हैं। बाघ को किसी तरह से नुकसान न हो इसके लिए उपाय किए जा रहे हैं।