Friday, March 29, 2024
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एथेनॉल प्रोजेक्ट को केंद्र की हरी झंडी; पेट्रोलियन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया ऐलान..छत्तीसगढ़ एथेनॉल का हब बनने जा रहा है…करेंगे 10 हजार करोड़ का निवेश….

रायपुर : भूपेश सरकार के जिस एथेनॉल प्रोजेक्ट की बीजेपी खिल्ली उड़ा रही थी…अब उसी प्रोजेक्ट को मोदी सरकार ने भी एडाप्ट करने की तैयारी कर ली है। आज बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पेट्रोलियन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात का ऐलान किया कि छत्तीसगढ़ एथेनॉल का हब बनने जा रहा है। केंद्र सरकार 10 हजार करोड़ के निवेश के साथ धान से एथेनॉल बनाने का प्रोजेक्ट तैयार कर कर रही है। मंत्री ने ये भी ऐलान किया है कि छत्तीसगढ़ को इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा। भले ही केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अभी 10 हजार करोड़ के निवेश की प्लानिंग ही समझा रहे हों, लेकिन हकीकत में छत्तीसगढ़ इस प्रोजेक्ट कई कोस आगे बढ़ चुका है। यहां प्रोजेक्ट से लेकर प्रोडक्शन और पिक्योरमेंट तक की प्लानिग तैयार हो चुकी है।

आपको बता दें कि भूपेश सरकार काफी पहले से ही धान से एथेनॉल बनाने की प्लान तैयार कर रही थी। इसे लेकर कई दफा खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा था। हालांकि उस दौरान बीजेपी के कई बडे नेताओं ने ये कहकर एथेनॉल प्रोजेक्ट को हल्के में ले लिया कि ये तो संभव ही नहीं है। समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी और बोनस के मुद्दे पर कांग्रेस केंद्र के खिलाफ आक्रामक हुई थी, तो उस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र के सामने ये प्रस्ताव रखा था कि अगर 2500 रुपये प्रति क्विंटल में धान की खरीदी नहीं हो सकती, तो कम से कम एथेनॉल प्रोजेक्ट के लिए एनओसी ही दे दी जाये, लेकिन तब भी बीजेपी की तरफ से सपोर्ट नहीं दिया गया। खुद मुख्यमंत्री जब दिल्ली गये तो उन्होंने वहां भी एथेनॉल प्रोजेक्ट की वकालत की थी। चावल लेने को लेकर राज्य सरकार ने पत्र लिखा था तो उस दौरान भी चावल नहीं लेने की सूरत में एथेनॉल प्रोजेक्ट के लिए एनओसी मांगी गयी थी।

पेट्रोलियम मंत्री को भी जब एक साल पहले मुख्यमंत्री ने एथेनॉल प्रोजेक्ट को लेकर पत्र लिखा और एनओसी मांगी थी। लेकिन, आज जब कार्यसमिति की बैठक में धर्मेंद्र प्रधान ने ही ऐथनॉल प्रोजेक्ट पर 10 हजार करोड़ के निवेश की बात कहकर मुख्यमंत्री की सलाह को अपना समर्थन दे दिया।

2019 में पेट्रोलियम मंत्री व 2020 में प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र

पिछले साल इसी अक्टूबर महीने में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा था। 21 अक्टूबर 2019 को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य में उपार्जित धान से सीधे बायो एथेनॉल संयंत्र की स्थापना के लिए प्राइवेट कंपनी से कोटेशन मांगे गये हैं। ऐसे में एथेनॉल के विक्रय को बढ़ावा देने के लिए जैव इंधन समन्वय समिति की तरफ से धान से बने एथेनॉल और शक्कर से बने एथेनॉल की कीमत एक रखे, ताकि बायो एथेनॉल का उत्पादन लाभप्रद हो सके।

जबकि इसी साल फरवरी में प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर भी बॉयो एथेनॉल को लेकर सुझाव दिये थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी अतिरिक्त धान से बॉयो-एथेनॉल के उत्पादन हेतु राज्य सरकार द्वारा केेन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव पर जल्द से जल्द आवश्यक सहमति प्रदान करने का अनुरोध किया था। साथ ही धान आधारित बॉयो-एथेनॉल की कीमत शीरा, शक्कर, शुगर सिरप से उत्पादित एथेनॉल के विक्रय दर के समतुल्य रखने और राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 को बॉयो-एथेनॉल संयंत्रों की स्थापना में निवेश के इच्छुक निवेशकों के लिए सरल और व्यवहारिक बनाने की मांग की थी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि भारत शासन की राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति-2018 देश की ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति की दिशा में जैव ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहित करती है तथा इसमें वर्ष 2030 तक पेट्रोल में बॉयो-एथेनॉल ब्लैंडिग हेतु 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। बॉयो-एथेनॉल उत्पादन संयंत्र के क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भी राज्य की नवीन औद्योगिक नीति 2019-24 के अंतर्गत जैव ईंधन उत्पादन को उच्च प्राथमिकता उद्योगों की सूची में शामिल कर लिया गया है।

अप्रैल में एथेनॉल उत्पादन की भारत सरकार से मिली थी अनुमति

मुख्यमंत्री के लगातार पत्राचार के बाद राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति की 24 अप्रैल 2020 की बैठक में भारतीय खाद्य निगम में उपलब्ध सरप्लस चावल से एथेनॉल उत्पादन करने की अनुमति प्रदान की थी। जिसके बाद खाद्य सचिव ने भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव को पत्र लिख कर छत्तीसगढ़ में अतिशेष 4 लाख मिट्रिक टन चावल से एथेनॉल बनाने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। केन्द्रीय सचिव को भेजे गए पत्र में बताया गया था कि छत्तीसगढ़ में खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में प्रदेश के किसानों से समर्थन मूल्य पर 83 लाख 94 हजार मिट्रिक टन धान की खरीदी की गई है, इसमें से बनाए गए कुल चावल से केन्द्रीय पूल और राज्य पूल में राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आवश्यक मात्रा और 28.1 लाख मिट्रिक चावल केंद्रीय पूल में भारतीय खाद्य निगम को देने के बाद राज्य में लगभग 4 लाख मिट्रिक टन चावल बचा रह गया है। इस बचे चावल के लम्बे समय तक भण्डारित रहने के कारण खाद्यान्न की गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका है। ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस महामारी की नियंत्रण के लिए डिस्टलरी से एथेनॉल आधारित सैनिटाइजर एवं ईबीपी कार्यक्रम के तहत  अतिरिक्त 4 लाख मिट्रिक टन चावल को एथेनॉल बनाने वाले प्लांट को आपूर्ति की जा सकती है। खाद्यान्न से एथेनॉल बनाने वाले प्लांटों की स्थापना के संबंध में राज्य की औद्योगिक नीति 2019-24 से इस संबंध में आवश्यक प्रावधान किए गए हैं।

आखिरकार इन सबके बीच आज जिस तरह से पेट्रोलियम मंत्री का बयान सामने आया है, उसके बाद ये बात तो तय हो गयी है कि मुख्यमंत्री की पहल से छत्तीसगढ़ के किसानों की आय अब बढ़ेगी तो है ही…साथ ही चावल खरीदी को लेकर बार-बार केंद्र सरकार के मनुहार का सिलसिला भी खत्म हो जायेगा।

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