Saturday, April 20, 2024
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नवरात्रि 2020 का पांचवां दिन: स्कंदमाता की पूजा से मिलता है वैभव और संतान सुख, जानें पूजा विधि, मंत्र, भोग और शुभ रंग..

  • सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनके चारों ओर दिखता है तेज
  • स्कंदमाता की उपासना से भगवान स्कंद के बाल रूप की भी होती है पूजा

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।

शिव और पार्वती के दूसरे और षडानन (छह मुख वाले) पुत्र कार्तिकेय का एक नाम स्कंद है क्योंकि यह सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसलिये इनके चारों ओर सूर्य जैसा अलौकिक तेजोमय मंडल दिखाई देता है। स्कंदमाता की उपासना से भगवान स्कंद के बाल रूप की भी पूजा होती है।

स्वरूप
मां के इस रूप की चार भुजाएं हैं। इन्होंने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है। निचली दाएं भुजा के हाथ में कमल का फूल है। बायीं ओर की ऊपरी भुजा में वरद मुद्रा है और नीचे दूसरे हाथ में सफेद कमल का फूल है। सिंह इनका वाहन है।

महत्त्व
नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए, जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके। यह शक्ति परम शांति और सुख का अनुभव कराती है। मां की कृपा से बुद्धि में वृद्धि होती और ज्ञान रूपी आशीर्वाद मिलता है। सभी तरह की व्याधियों का भी अंत हो जाता है।

इस विधि से करें देवी स्कंदमाता की पूजा-

नवरात्रि के पांचवें दिन स्नान आदि के बाद माता स्कंदमाता का ध्यान करें।  इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें। इसके बाद सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त समस्त देवी-देवताओं की पूजा करें। अब माता की प्रतिमा या मूर्ति पर अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार और भोग अर्पित करें। स्कंदमाता की पूजा के दौरान सप्तशती का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।

स्कंदमाता का पूजा मंत्र-

‘या देवी सर्वभू‍तेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।’ मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा के दौरान मंत्र का जाप करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्त को मनचाहा वरदान देती हैं।

आज का शुभ रंग-

 नारंगी। स्कंदमाता को नारंगी रंग अतिप्रिय है। ऐसे में आज के दिन पूजा के दौरान नारंगी वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

भोग- 

कहते हैं कि स्कंदमाता को केला प्रिय है। ऐसे में आज के दिन माता को केले का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

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