Wednesday, October 9, 2024




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BCC News 24: CG बिग न्यूज़- रिटायर्ड FCI अफसर को मौत के बाद मिला न्याय.. न फ्लैट बनाया, न रुपए लौटाए; बिल्डर को एक साल की सजा, 6 लाख जुर्माना भी

छत्तीसगढ़: बिलासपुर में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से भारतीय खाद्य निगम के अधिकारी को उनकी मौत के बाद पक्ष में फैसला सुनाया है। उनके केस में कोर्ट ने मेसर्स एमएस सोनी आर्टिटेक्स एंड बिल्डर्स के संचालक को एक साल की सजा सुनाई है। साथ ही बिल्डर को छह लाख रुपए भुगतान करने का भी आदेश दिया है। बिल्डर ने रिटायर्ड अफसर को फ्लैट बनाकर देने के लिए एग्रीमेंट कर पांच लाख रुपए ले लिया था। तय समय के भीतर न तो उसने फ्लैट बनाकर दिया और न हीं रुपए लौटाए।

क्रांति नगर निवासी रंजीत पाल सिंह बाली ने बताया कि उनके पिता आरजेबीएस बाली भारतीय खाद्य निगम के रिटायर्ड अफसर थे। रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने वर्ष 2012 में जबड़ापारा में रहने वाले मणीशंकर सोनी से एग्रीमेंट किया था। मणीशंकर नेहरू चौक के कमला कॉम्प्लेक्स में स्थित मेसर्स एमएस सोनी आर्किटेक्ट एंड बिल्डर्स का संचालक है। उसने ग्राम पंचायत खमतराई के खसरा नंबर 40 को अपना बताकर यहां दो मंजिला व्यावसायिक आवासीय परिसर गोल्डन हाइट्स बेबीलॉन का निर्माण करने की जानकारी दी थी।

उनकी बातों में आकर रिटायर्ड अफसर बाली ने प्रस्तावित गोल्डन हाइट्स बेबीलॉन में के फर्स्ट फ्लोर पर ए-105 को बुक कराया। बिल्डर मणीशंकर ने उन्हें सुपर बिल्डअप एरिया करीब 700 वर्ग फीट के विक्र्य के लिए अनुबंध किया, जिसकी कीमत 13 लाख 90 हजार रुपए बताई गई। एग्रीमेंट के दौरान 4 लाख 60 हजार रुपए छूट देने का प्रलोभन देकर उसने 8 लाख 49 हजार रुपए में सौदा तय किया। रिटायर्ड अफसर ने 25 अप्रैल 2012 को 5 लाख रुपए का चेक दिया। शेष रकम 3 लाख 49 हजार रुपए फ्लैट के निर्माण के दौरान देने की बात कही गई।

बिल्डर ने दो साल के भीतर फ्लैट बनाकर देने का एग्रीमेंट किया था। तय समय में फ्लैट नहीं बनने पर उन्होंने बिल्डर से अपने रुपए वापस करने कहा। इस दौरान बिल्डर ने सहमति जताते हुए 25 जुलाई 2016 को उन्हें चेक दिया, लेकिन, बैंक में रुपए निकालने के लिए चेक जमा किया तो वह बाउंस हो गया।

पिता की मौत के बाद बेटे ने लड़ा केस
चेक बाउंस होने की सूचना रिटायर्ड अफसर ने बिल्डर को दी। इसके बाद भी उसने कोई ध्यान नहीं दिया, तब परेशान होकर उन्होंने कोर्ट में परिवाद दायर कर दिया। सुनवाई के दौरान बिल्डर ने जुर्म अस्वीकार कर दिया, लेकिन बचाव में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। यह मामला चल रहा था, तभी रिटायर्ड अफसर का निधन हो गया। इसके बाद उनके बेटे रंजीत सिंह ने विधिक प्रतिनिधि बनकर केस में पिता का पक्ष रखा।

इस मामले में कोर्ट ने अब जाकर फैसला दिया है। कोर्ट ने अभियुक्त मेसर्स एमएस सोनी आर्किटेक्ट एंड बिल्डर्स के प्रोप्राइटर मणीशंकर सोनी को दोषी माना है। साथ ही उसे एक साल की सजा के साथ ही रिटायर्ड अफसर के बेटे को छह लाख रुपए भुगतान करने का आदेश दिया है।

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