Wednesday, April 24, 2024
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BJP के भीतर से उठी आवाज, इस बार नीतीश नहीं हमारी पार्टी का नेता बने CM

इस बार का बिहार विधान सभा चुनाव कई मायनों में अलग है. लेकिन सबसे जरूरी बात ये है कि अब तक बिहार में जेडीयू और नीतीश कुमार बतौर बड़े भाई की भूमिका में हुआ करते थे, जबकि बीजेपी छोटे भाई की भूमिका में. लेकिन इन बार के चुनावी नतीजे से सब कुछ बदल गया है.

पटना/नई दिल्ली: इस बार का बिहार विधान सभा चुनाव कई मायनों में अलग है. लेकिन सबसे जरूरी बात ये है कि अब तक बिहार में जेडीयू और नीतीश कुमार बतौर बड़े भाई की भूमिका में हुआ करते थे, जबकि बीजेपी छोटे भाई की भूमिका में. लेकिन इन बार के चुनावी नतीजे से सब कुछ बदल गया है. इस बार भले ही नीतीश कुमार को बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पहले से घोषित कर रखा था, लेकिन चुनावी नतीजों के सामने आने के साथ ही बीजेपी नेताओं के सुर बदले नजर आ रहे हैं.

बीजेपी से होगा अगला सीएम?
बीजेवी के अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष अजित चौधरी ने इस बात का दावा किया है कि इस बार बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा बीजेपी से होगा. वहीं, कैलाश विजयवर्गीय ने सुबह ही कह दिया था कि अभी तक तो नीतीश कुमार ही सीएम का फेस हैं लेकिन शाम तक पता चलेगा कि कौन बिहार का मुख्यमंत्री बनेगा.

बिहार में एनडीए को बहुमत
बिहार विधान सभा चुनाव में एनडीए को पूर्ण बहुमत मिला है. लेकिन ये नतीजे नीतीश कुमार के लिए बड़े झटके की तरह हैं. नीतीश कुमार के आधे से अधिक उम्मीदवार चुनाव हार चुके हैं. इन चुनावों से पहले एलजेपी ने ये कहते हुए एनडीए से अपनी राहें जुदा कर ली थी कि न तो बिहार की जनता को, न ही उन्हें नीतीश कुमार बतौर सीएम कबूल हैं. एलजेपी लगातार ये मांग करती रही है कि अगला मुख्यमंत्री बीजेपी का हो, नीतीश कुमार नहीं. ऐसे में बीजेपी नेताओं के ये बयान क्या नीतीश कुमार के लिए बड़ा मुसीबत खड़े कर सकते हैं?

चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री के भरोसे रहे नीतीश कुमार
नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार के समय पीएम नरेंद्र मोदी के साथ चुनावी रैलियां कीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भी रैली बीजेपी के प्रत्याशियों के लिए नहीं की, बल्कि वो एनडीए के लिए रैलियां करते रहे. खुद बीजेपी नेता भी ये मानते हैं कि बिहार में नीतीश कुमार अपनी नैय्या पीएम मोदी के साथ पार लगाना चाहते हैं.

बता दें कि बिहार विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 74 सीटें, राष्ट्रीय जनता दल 75 सीटें, जदयू 43 सीटें जीतने में कामयाब हुईं. वहीं, कांग्रेस 19 सीटें, लोक जन शक्ति पार्टी 1 सीट, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा 4 सीटें जीतने में कामयाब रहीं. NDA 125 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाब रही, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं.

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