शनिवार का दिन कोरिया जिले के बच्चों के लिए यादगार रहा। एक घण्टे के लिए जिले की कानून व्यवस्था, पुलिसिंग बच्चों के हाथ में रही। बच्चे जिले भर की कानून व्यवस्था की जानकारी लेते नजर आए। वही दर्ज मामलों की जानकारी भी पुलिस से ली। इतना ही नही बच्चे जिलेभर में कानून व्यवस्था को चाक चौबंद करते भी नजर आएं। सीसीटीवी से गतिविधियां देखी तो फाइलों की पड़ताल भी की। मौका था अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस का। बाल दिवस बच्चों के लिए यादगार बन जाए इसके लिए कोरिया पुलिस कप्तान चंद्रमोहन सिंह ने एक अभिनव पहल की।
कोरिया : शनिवार का दिन कोरिया जिले के बच्चों के लिए यादगार रहा। एक घण्टे के लिए जिले की कानून व्यवस्था, पुलिसिंग बच्चों के हाथ में रही। बच्चे जिले भर की कानून व्यवस्था की जानकारी लेते नजर आए। वही दर्ज मामलों की जानकारी भी पुलिस से ली। इतना ही नही बच्चे जिलेभर में कानून व्यवस्था को चाक चौबंद करते भी नजर आएं। सीसीटीवी से गतिविधियां देखी तो फाइलों की पड़ताल भी की। मौका था अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस का। बाल दिवस बच्चों के लिए यादगार बन जाए इसके लिए कोरिया पुलिस कप्तान चंद्रमोहन सिंह ने एक अभिनव पहल की। सबसे पहले पुलिस अधीक्षक का कार्यभार एसपी कार्यालय में 5 साल की बच्ची त्रिशा अग्रवाल को सौंपा। फिर जिलेभर के सभी थानेदारो ने अपने अपने थाने का कार्यभार छोटे छोटे बच्चों को सौंपा। अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस पर आईजी रतनलाल डांगी के निर्देश एवं कोरिया पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन सिंह के मार्गदर्शन में पुलिस विभाग के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस स्कूली बच्चों के बीच मनाया गया। जिसमें एसपी कार्यालय पहुंची त्रिशा अग्रवाल उम्र 5 वर्ष को पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन सिंह ने 1 घंटे के लिए कोरिया जिले का पुलिस कप्तान बनाकर उन्हें पुलिस की कार्यप्रणाली और गतिविधियों के बारे में समझाया।
पहली बार हुआ ऐसा
आईजी के मार्गदर्शन में पहली बार ऐसी पहल की गई। बच्चे पुलिसिंग होती क्या है, कैसे होती है यह जान सके, इसके लिए ऐसी पहल की गई। सभी थानों की कमान भी बच्चों को सौंपकर अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस को यादगार बनाया गया। चंद्रमोहन सिंह, एसपी
डर दूर करने की कोशिश
पुलिस के लिए बच्चों के मन में किसी भी प्रकार का डर नहीं होना चाहिए। पुलिस उनकी दोस्त है। बाल दिवस को यादगार बनाने हमने एसपी के निर्देश ओर ऐसी पहल की। विमलेश दुबे, थाना प्रभारी
बच्चे बने थानेदार
एक और जहाँ जिले की पुलिस कप्तान बच्ची त्रिशा बनी तो दूसरी ओर जिलेभर के सभी थानों में बच्चों को थानेदार की कमान भी 1 घंटे के लिए सौंपी गई। बैकुंठपुर थाने में जहाँ श्रुति प्रिया, मनेन्द्रगढ़ थाने में हबीब अली, झगराखांड थाने में सृष्टि केवट, जनकपुर थाने में आशीष सिंह तो वही चरचा थाने में रेणुका बारे थानेदार बनी। सभी ने एक घंटे थाने का कामकाज संभाला।
ये सीखे बाल पुलिस
बच्चों को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने, महिला डेस्क, कंप्यूटर कक्ष, रोजनामचा, बंदी गृह सहित अनेक जानकारी देते हुए पूरे थाने का भ्रमण कराया।
पुलिस अफसर बनूँगी
पुलिस अंकल ने हमको पुलिस के बारे में बताया। पुलिस का काम मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं आगे बढ़कर पुलिस अफसर बनूँगी। त्रिशा अग्रवाल, एसपी बनी बच्ची
देश सेवा करूँगा
पुलिस को देखकर मैं डरता था, पुलिस का नाम सुनकर छुपने लगता था। आज लगा पुलिस अंकल हमारे अच्छे फ्रेंड है। मैं बड़ा होकर पुलिस बनूँगा और देश सेवा करूँगा –हबीब अली, टीआई बना बच्चा