Tuesday, March 19, 2024
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नए साल में PM की सौगात: 6 राज्यों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट शुरू, मोदी बोले- दुनिया की बेहतरीन तकनीकों से गरीबों के लिए घर बनेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छह राज्यों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट (LHP) की नींव रखी।

नई दिल्ली/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल के पहले दिन छह राज्यों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट (LHP) की नींव रखी। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया (GHTC) के तहत अगरतला (त्रिपुरा), रांची (झारखंड), लखनऊ (उत्तर प्रदेश), इंदौर (मध्य प्रदेश), राजकोट (गुजरात) और चेन्नई (तमिलनाडु) में लाइट हाउस बनाए जाएंगे।

नए साल की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि आज नई ऊर्जा, नए संकल्पों और इन्हें सिद्ध करने के लिए तेज गति से आगे बढ़ने का शुभारंभ है। गरीबों, मध्यम वर्ग के लिए लाइट हाउस प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया है। ये प्रकाश स्तंभ की तरह है, जो हाउसिंग को नई दिशा दिखाएंगे। हर क्षेत्र से राज्यों का इसमें जुड़ना कोऑपरेटिव फेडरलिज्म की भावना को मजबूत कर रहा है। अब काम करने के तरीकों का उत्तम उदाहरण है। एक समय आवास योजनाएं केंद्र की प्राथमिकता में नहीं थी। सरकार घर निर्माण की बारीकियों और क्वालिटी में नहीं जाती थी। आज देश में एक अलग मार्ग अपनाया है, नई अप्रोच चुनी है।

उन्होंने कहा कि हमारे देश को बेहतर टेक्नोलॉजी, बेहतर घर क्यों न मिलें, घर तेजी से क्यों न बनें, इस पर काम किया। घर स्टार्टअप की तरह चुस्त और दुरुस्त होने चाहिए। इसके लिए ग्लोबल टेक्नोलॉजी चैलेंज का आयोजन किया। इसमें दुनिया की 50 कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने इसमें हिस्सा लिया। इससे हमें नया स्कोप मिला। प्रक्रिया के अगले चरण में अलग-अलग साइट्स में 6 लाइट हाउस प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ है। इनमें कंस्ट्रक्शन का काम कम होगा और गरीबों को अफोर्डेबल और कंफर्टेबल घर मिलेंगे।

छह शहरों में हर साल 1000 घर बनेंगे

PM ने कहा कि देश में कई जगह ऐसे घर बनेंगे। इंदौर में जो घर बन रहे हैं, उनमें गारे की दीवार की जगह प्री-फेब्रिकेटेड स्ट्रक्चर का इस्तेमाल होगा। गुजरात में कुछ अलग टेक्नोलॉजी से घर बनेगा। फ्रांस की टेक्नोलॉजी से घर आपदाओं को झेलने में सक्षम होगा। अगरतला में न्यूजीलैंड की स्टील फ्रेम टेक्नोलॉजी, लखनऊ में कनाडा की टेक्नोलॉजी यूज करेंगे। इसमें प्लास्टर का इस्तेमाल नहीं होगा। हर लोकेशन पर साल में 1000 घर बनेंगे। हर दिन ढाई यानी महीने में 90 घर बनेंगे।

उन्होंने कहा ये प्रोजेक्ट एक तरह से इन्क्यूबेशन सेंटर होंगे। इनमें इंजीनियर्स, रिसर्चर्स, स्टूडेंट्स सीख पाएंगे। मैं सभी यूनिवर्सिटीज से आग्रह करता हूं कि वे 10-15 लोगों के ग्रुप बनाकर साइट्स पर जाएं और वहां नई टेक्नोलॉजी देखें। फिर हमारे देश के संसाधनों और जरूरत के हिसाब से सोचें कि इन तकनीकों को क्या बदला जा सकता है? इससे देश नई दिशा से आगे बढ़ेगा।

‘मिडिल क्लास में भरोसा लौटा कि उसका भी अपना घर होगा’

मोदी ने कहा कि लोगों को दुनिया की बेस्ट टेक्नोलॉजी और घर मिल सके। इसी के लिए ASHA INDIA प्रोग्राम चलाया जा रहा है। शहर में रहने वाले गरीब हों या मध्यमवर्गीय, इनका सबसे बड़ा सपना घर होता है। वह घर जिनमें उनकी खुशियां, सुख-दुख जुड़ा होता है। बीते सालों में अपने घर को लेकर लोगों का भरोसा टूटा। लोगों ने पैसे तो जमा कर दिए, लेकिन घर मिलेगा या नहीं, इसका भरोसा नहीं रहता था। इसकी वजह थी कि घर की कीमतें ज्यादा हो गई थी।

लोगों को लगता कि कानून साथ देगा या नहीं। हाउसिंग सेक्टर की स्थिति यह थी कि लोगों को लगता ही नहीं था कि कानून साथ देगा। बैंक के ऊंची ब्याज दर, ज्यादा किश्त लोगों को कमजोर करती थी। देश ने जो कदम उठाए, उससे मध्यमवर्गीय का भरोसा लौटा कि उसका भी घर हो सकता है। अब देश ने शहर में रहने वाले लोगों की संवेदनाओं को प्राथमिकता दी है। अब तक लाखों घर बनाकर दिए जा चुके हैं, लाखों घरों का काम जारी है। गरीबों को मिलने वाले घरों में हर सुविधाएं दी जा रही हैं। जियो टैगिंग की जा रही है। घर बनाने के लिए मदद सीधे खातों में भेजी जा रही है। राज्य इसको लेकर केंद्र के साथ चल रहे हैं।

‘घर की चाबी से सम्मान भरे जीवन का द्वार भी खुलता है’

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो घर अधूरे पड़े थे, हमने उनके लिए 25 हजार करोड़ का फंड बनाया गया है। रेरा कानून ने ये भरोसा लौटाया है कि लोगों ने जिस प्रोजेक्ट में पैसा लगाया है, वह फंसेगा नहीं। इस कानून के तहत हजारों शिकायतों का निपटारा किया गया।

उन्होंने कहा कि हाउसिंग फॉर ऑल- इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किया जाने वाला काम मिडिल क्लास और गरीबों के जीवन में बड़ा बदलाव लाएगा। जब किसी को घर की चाबी मिलती है, तो सम्मान भरे जीवन का द्वार खुलता है। मकान पर मालिकाना हक मिलता है, बचत का द्वार खुलता है। एक नई पहचान का द्वार खुलता है। घर की चाबी लोगों के विकास का द्वार भी खोल रही है।

अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग

कोरोना के दौरान अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग भी शुरू हुई। कोरोना में जब मजदूर घर लौटे तो पता चला कि उद्योग ही नहीं, सामान्य जिंदगी चलाना कितना मुश्किल है। हमने देखा कि मजदूरों को शहरों में उचित किराए पर मकान नहीं मिलता था। उन्हें कई समस्याएं होती थीं। ये सभी गरिमा के साथ जिएं, ये हमारा दायित्व है। सरकार निवेशकों के साथ मिलकर उचित किराए वाले मकान बनाने पर जोर दे रही है। ये घर वहीं होंगे, जहां मजदूर काम करते हैं।

घरों में कंस्ट्रक्शन मटेरियल का लगना पूरे सेक्टर को गति देता है। इसके लिए सरकार की कोशिश जारी है। मेरा मानना है कि हाउसिंग फॉर ऑल का सपना जरूर पूरा होगा। 2 करोड़ घर बनाए जा चुके हैं। देश को तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए हमें तेज और मिलकर चलना होगा। लक्ष्य को ओझल किए बिना चलते रहना है।

UP और मध्यप्रदेश को अवॉर्ड

इसके साथ ही PM मोदी ने ASHA इंडिया (अफोर्डेबल सस्टेनेबल हाउसिंग एक्सेलरेटर) अवॉर्ड्स भी दिए। इसमें यूपी को पहला और मध्यप्रदेश को दूसरा स्थान मिला। इसके अलावा वे आवास योजना (अर्बन) के तहत किए गए कामों के लिए वार्षिक पुरस्कारों की भी घोषणा करेंगे।

नए सिलेबस की शुरुआत की

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने इनोवेशन कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक नए सर्टिफिकेट कोर्स की भी शुरुआत की। इसका नाम ‘नवारितिह’ (NAVARITIH) रखा गया है। NAVARITIH का मतलब है- न्यू, अफोर्डेबल, वैलिडेटेड, रिसर्च इनोवेशन टेक्नोलॉजी फॉर इंडियन हाउसिंग। इस कार्यक्रम में आवासीय और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अलावा त्रिपुरा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।

2017 में शुरू हुआ था मंथन

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने 2017 में GHTC-इंडिया के तहत लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लिए छह शहरों को चुनने के लिए राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों से कहा था। मंत्रालय ने इसमें सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित किया था। मानकों के मुताबिक, सबसे अधिक मार्क्स पाने वाले 6 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट की शुरुआत करने की घोषणा की गई थी।

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