छत्तीसगढ़ में पैरोल पर छूटे कैदियों को जेल भेजने से पहले RTPCR टेस्ट कराने के हाईकोर्ट ने दिए आदेश।
- हाईकोर्ट ने पैरोल अवधि 15 दिन और बढ़ाई, पहले 31 दिसंबर तक का दिया गया था समय
- प्रदेश की हाईपावर कमेटी और हाईकोर्ट ने 26 मार्च को कैदियों को छोड़ने का लिया था निर्णय
बिलासपुर/ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया है कि पैरोल और जमानत पर छूटे गए कैदियों के सरेंडर से पहले RTPCR जांच अनिवार्य होगी। जो कैदी सरेंडर कर चुके हैं उनकी भी जांच सुनिश्चित हो। अगर टेस्ट में कोई कैदी पॉजिटिव मिलता है तो उसे कोविड सेंटर भेजने की व्यवस्था की जाए। बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को आदेश जारी किए हैं।
कोर्ट ने कहा- एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट सही नहीं
सुनवाई के दौरान शासन की ओर से कहा गया कि अभी तक जिन कैदियों ने सरेंडर किए हैं उनका एंटीजन टेस्ट किया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि एंटीजन टेस्ट में रिपोर्ट सही नहीं आती है। जेल भेजने से पहले सभी की RTPCR जांच हो, रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही जेल भेंजे। बाकी को कोविड सेंटर भेजकर इलाज कराएं। साथ ही कहा कि जिन्होंने पहले सरेंडर किया है उनकी भी RTPCR जांच कराई जाए।
केंद्रीय जेल | छोड़े गए कैदियों की संख्या |
रायपुर | 3224 |
दुर्ग | 2031 |
बिलासपुर | 1910 |
अंबिकापुर | 849 |
जगदलपुर | 739 |
– इनके साथ ही जिला जेल और उपजेल मिलाकर 19502 कैदियों को छोड़ा गया था।
SC ने 15 दिन बढ़ाई थी अवधि, छत्तीसगढ़ HC को दिए थे निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कैदी जय जायसवाल के मामले में पहले 6 जनवरी तक राहत दी थी। फिर 5 जनवरी को सुनवाई करते हुए 10 दिन और सरेंडर अवधि को बढ़ा दिया था। साथ ही छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को आदेश दिया था कि वे आवेदन पर सुनवाई करें। इस पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान याचिका के साथ आवेदन की सुनवाई की और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को यथावत रखा है।
कोरोना संक्रमण और जेलों में भीड़ के कारण कैदियों को मिली थी पैरोल
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोविड-19 संक्रमण जेल में फैलते देख और भीड़ को कम करने के लिए सभी राज्य सरकारों को हाईपावर कमेटी गठित करने का आदेश दिया था। इस आदेश पर 26 मार्च 2020 को छत्तीसगढ़ राज्य में हाईपावर कमेटी गठित की गई। कमेटी ने कोरोना संक्रमण के फैलाव को देखते हुए कैदियों को जेल से छोड़ने का निर्णय लिया था।