Saturday, April 27, 2024
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कोरबा : पाली के फॉरेस्ट अफसरों पर गंभीर आरोप- पहले चोरी, उपर से सीना जोरी

  • ग्रामीणों ने दोषी अफसरों के खिलाफ जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग भी की है। यह मामला राजधानी पहुंच चुका है, तो पीसीसीएफ कार्यालय में भी इसे लेकर काफी चर्चा है.

रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में पाली वन परिक्षेत्र अंतर्गत फॉरेस्ट अफसरों पर ग्रामीण मजदूरों के साथ भद्दा मजाक किए जाने की खबर आई है। आरोप है कि भ्रष्टाचार में लिप्त रेंजर और डिप्टी रेंजर ने ग्रामीण मजदूरों को शासन द्वारा निर्धारित मजदूरी दर से कम भुगतान किया है, वह भी अकाउंट में भुगतान न करके नकद भुगतान किया है, ताकि चोरी पकड़ी न जाए। लेकिन, अपने साथ गलत किए जाने का अंदेशा जैसे ही ग्रामीण मजदूरों को हुई है, उन्होंने इस बाबत डिप्टी रेंजर से बात की, लेकिन डिप्टी रेंजर ने ग्रामीणों के साथ अभद्र व्यवहार किया। आक्रोशित ग्रामीणों ने अब विभाग के उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत कर दी है। उन्होंने दोषी अफसरों के खिलाफ जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग भी की है। यह मामला राजधानी पहुंच चुका है, तो पीसीसीएफ कार्यालय में भी इसे लेकर काफी चर्चा है।

जानकारी मिली है कि गत 11 को ग्रामीण परदेशीराम, बलराम, मनीष कुमार, कृष्ण कुमार, दशरथ राज, समारसिंह, राजपाल, कृपाल सिंह, राजकुमार, रामप्रसाद, सुमित्राबाई, निराबाई, गंगाबाई, प्रेमलता, नीता, बुधवाराबाई समेत लगभग तीन दर्जन मजदूरों ने वन परिक्षेत्राधिकारी के नाम से एक शिकायत प्रस्तुत किया है। शिकायत में बताया गया है कि वनपरिक्षेत्र पाली अंतर्गत जेमरा सर्किल के पहाड़ जमड़ी एवं जेमरा बीट में बीते 2020, माह जुलाई में तत्कालीन रेंजर प्रहलाद यादव एवं परिक्षेत्र सहायक जेमरा गिरधारीलाल यादव के द्वारा पौधारोपण का कार्य कराया गया। इसके एवज में शासन से तय मजदूरी दर 280 रुपए के हिसाब से खाता में भुगतान ना कर 200 रुपए के हिसाब से नकद राशि दी गई। कई मजदूरों को तो अभी तक वह फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हुई है। इस संबंध में जानकारी मांगने पर डिप्टी रेंजर गिरधारीलाल यादव के द्वारा अभद्र व्यवहार किया जाता है। ग्रामीण कहते हैं कि उन्हें वन विभाग के इन नुमाइंदों ने ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर में लेट-लतीफी की बात कहते हुए झांसे में लिया। उन्होंने ग्रामीण मजदूरों यह कहते हुए झांसे में ले लिया कि खाते में रुपए ट्रांसफर होने में पता नहीं कितना समय लगेगा, इसलिए नकद ही रख लो, बेहतर होगा। ग्रामीण मजदूर मान गए। अब जब उन्हें पता चला कि उनकी प्रतिदिन मजदूरी राशि 200 नहीं, बल्कि 280 रुपए है, तब उन्होंने पूछताछ शुरू की। ग्रामीण तब ज्यादा आक्रोशित हो गए, जब डिप्टी रेंजर ने उनके साथ गलती करने के बावजूद अभद्र व्यवहार किया। आक्रोशित ग्रामीणों ने अब दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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