Saturday, April 20, 2024
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GST इंटेलिजेंस की कार्रवाई: रायपुर की दो कंपनियों द्वारा 258 करोड़ रु. के ITC फर्जीवाड़े में बिहार से पकड़े गए दो कारोबारी, फर्जी इनवॉयस के जरिए उठाया था टैक्स क्रेडिट का फायदा…

इस फर्जीवाड़े के खुलासे के लिए सेंट्रल GST के अफसर पिछले चार महीनों से जांच कर रहे थे। बताया जा रहा है कि मामले में अभी और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

  • GST अफसरों ने दो दिन पहले किया था फर्जीवाड़े का खुलासा
  • टैक्स चोरी के अंतरराज्यीय गिरोह की बात कह रहा है विभाग

रायपुर/ रायपुर की दो कंपनियों की जांच से उजागर हुए 258 करोड़ के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) फर्जीवाड़े में सेंट्रल GST ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। GST की जोनल यूनिट ने बिहार के सिवान से दो कारोबारियों को गिरफ्तार किया है। इनके नाम मुन्ना तिवारी और कौशल तिवारी बताए जा रहे हैं।

अफसरों ने बताया, सिवान से गिरफ्तार मुन्ना तिवारी और कौशल तिवारी के नाम पर कई फर्म रजिस्टर्ड हैं। दोनों ने फर्जी इनवायस जारी कर तथा फर्जी तरीके से टेक्स क्रेडिट का लाभ लेकर सरकारी राजस्व को 73 करोड़ रुपए की चपत लगाई है। सिवान की अदालत ने दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर GST अफसरों को सौंप दिया है। अब उनसे आगे की पूछताछ रायपुर में होगी।

विभाग ने सोमवार को इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। टैक्स चोरी और धोखाधड़ी के इस मामले को संगठित अंतरराज्यीय नेटवर्क मान रहा है। इसके लिए पकड़े गए कारोबारियों से पूछताछ की जा रही है। उनके प्रतिष्ठानों से बरामद दस्तावेजों के जरिए भी GST इंटेलिजेंस के अफसर इस नेटवर्क को भेदने की कोशिश कर रहे हैं।

अब तक चार की गिरफ्तारी
बीते दिनों 1432 करोड़ रुपए के फर्जी इनवॉयस के जरिए 258 करोड़ के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया था। GST अफसरों ने 25 जनवरी को इसका खुलासा किया था। सोमवार को रायपुर से परितोष कुमार सिंह और रवि कुमार तिवारी नाम के दो कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया था। रायपुर के मनोज इंटरप्राइजेज और अभिषेक इंटरप्राइजेज की जांच में फर्जीवाड़े का पता चला था। पता चला है कि इस फर्जीवाड़े के तार मध्य प्रदेश के ग्वालियर से भी जुड़े हैं।

ऐसे समझे यह ITC फर्जीवाड़ा
इनपुट टैक्स क्रेडिट का मतलब है माल की बिक्री पर टैक्स का भुगतान करने के बाद सरकार उस टैक्स की रकम को वापस कर देती है जो कारोबारी ने पहले ही कच्चे माल की खरीद पर चुकाया है। इस फर्जीवाड़े में कारोबारियों ने फर्जी फर्मों से फर्जी बिल जारी कर दूसरी फर्मों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट दावा किया। सरकार ने उनको वह पैसा रिफंड कर दिया जो उसको कभी मिले ही नहीं थे।

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