Friday, March 29, 2024
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प्रेस कॉन्फ्रेंस: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की घोषणा, छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए नया कानून बनाने की तैयारी में सरकार

फोटो रायपुर के कांग्रेस भवन की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून छुपाकर लाया गया और जबरदस्ती केंद्र सरकार इसे लागू करवाना चाहती है।

  • रायपुर में कांग्रेस दफ्तर में हुए पत्रकारों से मुखातिब
  • कृषि विधेयक पर केंद्र सरकार पर लगाए कई आरोप

बीसीसी न्यूज़24: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार की दोपहर कांग्रेस कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेस ली। उन्होंने कृषि विधेयक पर केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए । उन्होंने इस कानून को गलत ठहराते हुए महत्वपूर्ण घोषणा की। सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी खत्म करना चाहती है, छत्तीसगढ़ के किसान इसी मूल्य पर उपज का सौदा करते हैं। छत्तीसगढ़ में हम किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे । आने वाले सत्र में हम विधानसभा में प्रस्ताव लाकर कानून बनाएंगे। एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन बेचने के बाद इनकी नजर किसानों की जमीन पर है। सीएम ने कहा- केंद्रीय कृषि विधेयक केंद्र ने पारित किया वह नियमों के विपरीत है।

हम विरोध करते हैं
प्रेस कॉन्फ्रेस में सीएम ने कहा कि पूरा देश महामारी से जूझ रहा है तब इन कानूनों को गुपचुप तरीके से लाया गया। पूरे मीडिया का ध्यान एक्टर सुशांत सिंह की मौत मामले में था, तब कानून बनाया गया। केंद्र सरकार एफसीआई को खत्म कर देना चाहती है। इससे छत्तीसगढ़ जैसे अनाज उत्पादक राज्यों को नुकसान होगा । संविधान में कृषि राज्य सरकार का विषय है, इस पर कानून बनाने का अधिकार राज्य को है। हम केंद्र सरकार के इस कानून का विरोध करते हैं। छत्तीसगढ़ में हम हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे, जनता के बीच जाकर कानून का विरोध करेंगे

डॉ रमन से सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह पर भी भूपेश बघेल ने सवालों के तीर छोड़े, उन्होंने कहा कि मैं डॉ. रमन सिंह से पूछना चाहता हूं स्वामीनाथन कमेटी का समर्थन करते हैं या विरोध ? किसानों की आय को दोगुना कब करेंगे ? केंद्र सरकार ने बोनस देने पर रोक लगा दी था उसके पक्ष में हैं या नहीं ? भूपेश बघेल ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में एक रुपये की दर से चावल दिया जाता है, शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट ऐसी योजनाओं को बंद करने की सिफारिश करती है। बोनस देने वाले राज्यों से अनाज नहीं लेने की सिफारिश भी इस कमेटी ने की है। इन्हीं किसान विरोधी, गरीब विरोधी नीतियों की वजह से हम कृषि विधेयक और श्रम कानूनों को वापस लेने की मांग करते हैं।

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