- प्राप्त आमदनी से एक मिनी राइस मिल किया प्रारंभ
- धागाकरण कार्य से रंजना अपने साथ साथ परिवार केई जरूरतें पूरा करने में हुई सक्षम
जशपुरनगर: ग्रामोद्योग संचालनालय रेशम प्रभाग द्वारा दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों व वनांचलों में निवास करने वाले ग्रामीणों की आर्थिक विकास हेतु अनेक विभागीय योजनाओं के माध्यम से उन्हें आजीविका के साधन उपलब्ध करा रही है। जिले के फरसाबहार विकासखण्ड के अंतर्गत रेशम विभाग का कोसा बीज केंद्र सिंगीबहार में रेशम धागाकरण कार्य से ग्रामीण श्रीमती रंजना स्वावलंबन की राह पर बढ़ रही है। रेशम धागाकरण कार्य से उन्हें आर्थिक लाभ हुआ है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। रंजना बताती है कि रेशम धागाकरण कार्य महिलाओं को रोजगार दिलाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान निभा रही है। रेशम धागाकरण कार्य से जुड़कर वह अपने साथ-साथ अपने परिवार का सपना पूरा करने में सक्षम हुई है। साथ ही अपने तीनों बच्चों को अच्छी शिक्षा दीक्षा भी दिला पा रही है। उनकी हर जरूरतों का पूरा ख्याल रख रही है।
हितग्राही कहती है की वह अति पिछड़े परिवार से आती है जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी। साथ ही उनकी शिक्षा भी 8वीं कक्षा तक ही हुई है। जिससे वह अपने परिवार की आमदनी बढ़ाने में सहयोग नही कर पा रही थी। परंतु उनके मन मे हमेशा परिवार की स्थिति सुदृढ करने का जज्बा रहा है। उनका यही हौसला उन्हें रेशम धागाकरण कार्य की ओर ले गया। उन्होंने बताया कि जैसे ही उन्हें रेशम विभाग का कोसा बीज केन्द्र सिंगीबहार में रेशम धागाकरण का कार्य के बारे में जानकारी हुई साथ ही विभाग द्वारा धागा निकालने हेतु महिलाओं को प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। उनके द्वारा इस कार्य से जुड़ने का दृढ़ निश्चय किया गया। रंजना ने कोसा बीज केन्द्र सिंगीबहार के फील्ड ऑफिसर से भेंट कर धागाकरण कार्य के बारे में जानकारी प्राप्त की। धागाकरण कार्य से होने वाली अच्छी आमदनी की समझ से रंजना धागाकरण कार्य के प्रशिक्षण में शामिल हुई। प्रशिक्षण प्राप्त कर रंजना ने धागाकरण कार्य प्रारम्भ किया जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में अब काफी सुधार हुआ है।
हितग्राही ने बताया कि उन्होंने 33,600 नग कोसाफल का उपयोग कर कुल 27.450 किलोग्राम धागा का उत्पादन किया है। जिसकी विक्रय से उन्हें कुल 1 लाख 8 हजार 630 रुपये प्राप्त हुए। कोसाफल की लागत निकालने के बाद भी उन्हें कुल 48 हजार 64 रुपए की शुद्ध आमदनी प्राप्त हुई है। साथ ही प्रति वर्ष इसी प्रकार की अच्छी आमदनी उनके द्वारा अर्जित की जा रही है। उन्होंने बताया कि रेशम धागाकरण कार्य से उन्होंने अपने पति के लिये एक मोटर साईकिल खरीदी है साथ ही अतिरिक्त आमदनी हेतु एक मिनी राईस मिल भी स्थापित की हैं। जिससे उनकी आमदनी दोगुनी हो गयी है। हितग्राही रंजना कहती है कि रेशम विभाग की सहयोग से आज समाज में उनकी एक अच्छी उद्यमी के रूप में पहचान बन गयी है। साथ ही वह इस कार्य को मन लगाकर कर रही है। अब उसका उद्देश्य उत्पादन को और बढ़ा कर अपनी आमदनी में और अधिक इजाफा करना है। रंजना ने रेशम धागाकरण कार्य से जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराने एवं आर्थिक रूप से शसक्त बनाने हेतु प्रदेश सरकार एवं छत्तीसगढ़ शासन को धन्यवाद दिया है।