Raipur: रायपुर के एक कारोबारी की जमीन को फर्जी ढंग से अपना बताकर भू माफियाओं ने डील कर ली। रजिस्ट्री ऑफिस, तहसील कार्यालय जैसे सभी सरकारी दफ्तरों के अफसरों की नाक के नीचे बड़ा खेल हो गया। जिंदा आदमी को मृत बताकर दर्जनाें फर्जी कागज बनाए गए और इन्हीं गड़बड़ दस्तावेजों के जरिए जमीन हथिया ली गई।
इस जमीन का हुआ सौदा।
अब रायपुर के सिविल लाइंस पुलिस ने इस मामले में 3 लोगों पर FIR दर्ज की है। बताया जा रहा है कि और भी लोग इस कांड में शामिल हैं। कुछ लोग खुद को इस केस से बचाने की जुगत में भी लगे हैं। पूरे मामले का खुलासा हुआ साल 2022 से। धमतरी के रहने वाले काराेबारी सुभाष गोयल कोविड काल के समय अपने परिजनों के साथ रहने बिहार चले गए थे। उनकी ग्राम पंडरीतराई रवि नगर रायपुर में 4332 वर्गफुट जमीन थी, इसका खसरा नंबर 146 नंबर 11 / 3- 4 है।
जब कारोबारी दो सालों तक आए ही नहीं तो कुंती नायक, गंगा राय और प्रवीण साहू नाम के लोगों ने मिलकर सुभाष गोयल का फर्जी डेथ सर्टिफिकेट तैयार किया और वसीयतनामा बनाया। इसके बाद जमीन अपने नाम कर ली। अप्रैल 2022 में जब सुभाष रायपुर आए और अपनी जमीन के टैक्स और अन्य दस्तावेज संबंधी काम के लिए तहसील दफ्तर गए तो पता चला जमीन किसी अकबर नाम के आदमी की हो चुकी है। इसके बाद पड़ताल और शिकायतें हुई तो कुंती नायक, गंगा राय और प्रवीण साहु की कारास्तानी के बारे में पता चला अब पुलिस इन्हें और इनके साथियों को ढूंढ रही है।
सिविल लाइन पुलिस इस केस में जांच कर रही है।
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
इस पूरे मामले में पीड़ित कारोबारी सुभाष गोयल ने शक जाहिर किया है कि मेरी जमीन को अपने नाम पर करने वाले भू माफियाओं ने जरूर सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों के साथ मिली भगत की होगी। इस आशंका काे देखते हुए अब कलेक्टर ने इसपर जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस के साथ जिला प्रशासन के लोग भी केस की छानबीन करेंगे कलेक्टर ने कहा है कि इस मामले में यदि किसी कर्मचारी की मिली भगत उजागर हुई तो उस पर भी कार्रवाई करेंगे।
जमीन के हेराफेरी ऐसे ही मामला बिलासपुर में सामने आया था
बिलासपुर में करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन की हेराफेरी के खेल में राजस्व विभाग और पुलिस ने गजब का कारनामा कर दिखाया था। रिक्शा चालक को करोड़ों की जमीन का मालिक बना देने के मामले में पुलिस ने तत्कालीन तहसीलदार संदीप ठाकुर से शिकायत लेकर केस दर्ज कर लिया। इसके बाद रिक्शा चालक भोंदू दास को गिरफ्तार भी कर लिया गया। अब इस पूरे मामले में भूमाफिया, तत्कालीन राजस्व अधिकारियों की भूमिका की जांच किए बगैर केस को रफा दफा करने के प्रयास जारी था।
तोरवा क्षेत्र के हेमूनगर में रहने वाले रिक्शा चालक भोंदूदास मानिकपुरी ने 2015-16 में बिलासपुर तहसीलदार के न्यायालय में लगरा स्थित अपनी जमीन के दस्तावेज में नाम सुधरवाने के लिए आवेदन किया था। भोंदूदास ने बताया कि उसने वासल बी. निवासी जूना बिलासपुर से लगरा में 11 एकड़ 20 डिसमिल जमीन को पंजीकृत विक्रय पत्र के माध्यम से खरीदा था। इसके बाद से जमीन उसके नाम पर दर्ज थी। बीते दिनों राजस्व दस्तावेज से उसका नाम विलोपित हो गया है। दस्तावेज में सुधार के लिए आवेदन मिलने पर तत्कालीन तहसीलदार संदीप ठाकुर ने कार्रवाई शुरू की थी। ईश्तहार प्रकाशन में कोई दावा-आपत्ति नहीं मिलने पर तहसीलदार संदीप ठाकुर ने बिना जांच के10 अक्टूबर 2016 को मामले को आदेश के लिए एसडीएम न्यायालय को भेज दिया था।