Tuesday, December 30, 2025

              CG: छत्तीसगढ़ में सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीदी-बिक्री होगी आसान.. परिवहन सुविधा केंद्रों में ट्रांसफर हो जाएगा नाम, सिर्फ 100 रुपए अतिरिक्त लगेंगे, नहीं जाना पड़ेगा RTO

              रायपुर: छत्तीसगढ़ में सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीदी-बिक्री के लिए अब RTO-रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस जाने की जरूरत नहीं होगी। परिवहन विभाग अब से आधार ऑथेंटिकेशन नाम से नई प्रक्रिया शुरू कर रहा है। इसके तहत गाड़ी की खरीद-बिक्री करने वाले अपने नजदीकी परिवहन सुविधा केंद्र में आसानी से नाम ट्रांसफर करा सकेंगे। इस नई व्यवस्था के शुरू होने से लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। अभी जितना पैसा नाम ट्रांसफर में लग रहा है, उसमें 100 रुपए अतिरिक्त परिवहन सुविधा केंद्र को देने होंगे।

              परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा ने बताया, परिवहन विभाग के आधार ऑथेंटिकेशन की नई व्यवस्था के शुरू हो जाने से सेकंड हैंड गाड़ी की खरीदी-बिक्री करने वालों को अब ट्रांसफर की सुविधा परिवहन सुविधा केंद्र के जरिए दी जाएगी। RTO के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में हर साल दो लाख से ज्यादा सेकंड हैंड गाड़ियां खरीदी और बेची जाती हैं। ऐसे में इन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट ट्रांसफर करना होता है।

              अभी यह काम बेहद पेचीदा होता है। जब तक गाड़ी की ओनरशिप वाहन क्रेता अपने नाम ट्रांसफर नहीं करते, तब तक विधिक रूप से उस गाड़ी के मालिक नहीं कहे जाते हैं। इसी तरह अगर आपने गाड़ी बेचा है और उस गाड़ी से एक्सीडेंट या कोई अपराध घटित होता है तो आरसी बुक में दर्ज व्यक्ति के नाम से कार्रवाई होती है। अगर आप पुरानी कार या बाइक खरीद या बेच रहे हैं, तो उसके लिए रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करना जरूरी होता है। जिसके बाद गाड़ी ख़रीदने वाले के नाम से नया आरसी बुक बनता है। वर्तमान में इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है। फॉर्म भरने के बाद वाहन विक्रेता और क्रेता दोनों को ही RTO जाना होता है। साथ ही गाड़ी को भी वेरिफिकेशन के लिए RTO ले के जाना पड़ता है।

              रायपुर का RTO दफ्तर।

              रायपुर का RTO दफ्तर।

              इसी पेचीदगी की वजह से बिचौलियों की चांदी

              अधिकारियों का कहना है, नाम ट्रांसफर के पेचीदगी में सेकंड हैंड गाड़ी खरीदी-बिक्री करने के बाद इसके लिए आरटीओ में आवेदन करना होता है। इसके बाद क्रेता-विक्रेता को वाहन और उसके सभी दस्तावेजों के साथ परिवहन कार्यालय जाना पड़ता है। इस दौरान वह कार्यालय के चक्कर लगाने से बचने के लिए एजेंट का सहारा लेते हैं। एजेंट इस छोटे से काम के लिए उनसे मोटी रकम वसूल करते हैं। अब यह कार्य परिवहन सुविधा केंद्र के माध्यम से आधार ऑथेंटिकेशन के माध्यम से किया जा सकेगा। इसके लिए 100 रुपए की एक तय रकम देनी होगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि नाम ट्रांसफर के खेल में बिचौलियों की भूमिका कम हो जाएगी।

              छत्तीसगढ़ में ऐसे 500 परिवहन सुविधा केंद्र काम कर रहे हैं।

              छत्तीसगढ़ में ऐसे 500 परिवहन सुविधा केंद्र काम कर रहे हैं।

              कार के लिए ट्रांसफर का शुल्क 550 रुपए

              अधिकारियों ने बताया, अभी RTO जाकर मालिक का नाम ट्रांसफर कराने पर अलग अलग गाड़ियों का अलग-अलग चार्ज लगता है। टू व्हीलर गाड़ियों का 400 रुपए लगता है। लाइट मोटर व्हीकल का 550 रुपए और थ्री व्हीलर का 750 रुपए देना पड़ता है। लोग दलालों के चक्कर में पड़कर हजारों रुपए दे देते हैं। लेकिन अब यही काम तय शुल्क के अतिरिक्त 100 रुपए देकर सेवा केंद्र से कराया जा सकेगा।

              अब ऐसे काम करेगा नया सिस्टम

              प्रदेशभर में परिवहन विभाग ने 500 सुविधा केंद्र खोले हैं। इनमें से करीब 50 केंद्र तो अकेले रायपुर जिले में ही हैं। वर्तमान में यहां परिवहन संबंधित कामों के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने का काम किया जाता है। विभाग अब इन सेवा केंद्रों पर आधार ऑथेंटिकेशन शुरू कर रहा है। यहां क्रेता-विक्रेता को अपना आधार नंबर बताना होगा। सेवा केंद्र में बैठा कर्मचारी परिवहन विभाग के सॉफ्टवेयर में गाड़ी नंबर और मालिक के नाम की जांच करेगा। उसके बाद आधार ऑथेंटिकेशन डिवाइस में वाहन क्रेता विक्रेता का फिंगर प्रिंट लिया जाएगा। प्रक्रिया पूरी करने के बाद नाम ट्रांसफर हो जाएगा।


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