Wednesday, June 25, 2025

CG: एयरपोर्ट की जमीन पर रक्षा मंत्रालय स्थिति स्पष्ट करे.. बिलासपुर में नाइट लैडिंग और रनवे के विस्तार के लिए चाहिए 28 एकड़ जमीन, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

बिलासपुर हाईकोर्ट।

BILASPUR: बिलासपुर के चकरभाठा स्थित एयरपोर्ट की जमीन पर हाईकोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। एयरपोर्ट से लगी जमीन पर कैंट बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने अधिग्रहित की थी। लेकिन, साल 2011 से यह जमीन खाली पड़ी है। हाईकोर्ट में एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग सहित रनवे के विस्तार के लिए जनहित याचिका दायर की गई है, जिसकी शुक्रवार को सुनवाई हुई, जिस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के माध्यम से रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी किया गया है।

हाईकोर्ट में बिलासा एयरपोर्ट में सुविधाओं के विस्तार और 4-C कैटगरी लाइसेंस के लिए जनहित याचिका दायर की है। जिसकी सुनवाई लंबे समय से नहीं हो पाई थी। बीते बुधवार को याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने याचिकाओं की शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया, जिस पर हाईकोर्ट ने केस की सुनवाई के लिए विशेषपीठ का गठन किया है। शुक्रवार को जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस सैम पी सैम कोसी की स्पेशल डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया है कि एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग और रनवे के विस्तार के लिए जमीन की जरूरत है। राज्य शासन और जिला प्रशासन ने केन्द्र सरकार के रक्षा मंत्रालय से उसके कब्जे वाली जमीन एयरपोर्ट विकास के लिए वापस करने के लिए पत्र लिखा है, जिस पर रक्षा मंत्रालय ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। इस पर डिवीजन बेंच ने जमीन वापस करने पर रक्षा मंत्रालय को अपना स्टैण्ड क्लीयर करने के लिए कहा है।

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के निर्देशन में होना है काम

सुनवाई के दौरान पत्रकार कमल दुबे की तरफ से सीनियर एडवोकेट आशीष श्रीवास्तव ने केस के स्टेटस की जानकारी दी। इसके बाद हाईकोर्ट प्रेक्टिसिंग बार एशोसिएशन की तरफ अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने वर्तमान में आवश्यक कार्यो और जमीन की आवश्यकता पर तकनीकी बिन्दुओं पर पक्ष रखा। इस दौरान वकीलों ने डिवीजन बेंच को बताया कि नाईट लैंडिंग के काम के साथ ही सिविल और इलेक्ट्रीकल दोनों तरह का काम होना है, जिस पर एयरपोर्ट आथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को तकनीकी मार्गदर्शन और सुपरविजन करना है। इसके लिए AAI को निर्देश दिया जाना जरूरी है। वहीं नाईट लैंडिंग उपकरणों की स्थापना वर्तमान रनवे 1500 मीटर के साथ ही 300 मीटर बाहर तक होनी है और यह जमीन सेना के कब्जे में है। राज्य के एडवोकेट जनरल सतीश चन्द्र वर्मा ने इस बात पर सहमति जताते हुए कहा कि 28 एकड़ जमीन की तुरंत आवश्यकता है। हाईकोर्ट को बताया गया कि सेना के कब्जे में कुल 1012 एकड़ जमीन है जो 2011 के भूअधिग्रहण के बाद से खाली पड़ी है। सेना ने अपना ट्रेनिंग सेंटर और छावनी का प्रोजेक्ट ड्रॉप कर दिया है। इस जमीन में से 270 एकड़ जमीन 2885 मीटर रनवे और 4सी आईएफआर एयरपोर्ट के लिए आवश्यक है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी।


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