बालोद: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में महाशिवरात्रि के दिन भांग पीकर 16 से ज्यादा लोग बीमार हो गए हैं। इन्होंने प्रसाद समझकर भांग मिला दूध पिया था। जिसके बाद इनकी तबीयत खराब होने लगी । इन 16 लोगों में स्कूली छात्र, पुलिसकर्मी और पंचायत सचिव भी शामिल है।
शनिवार को शहर के जयस्तंभ चौक के पास पान ठेले वाला प्रसाद वितरण कर रहा था। उसने प्रसाद के लिए दूध का इंतजाम किया था। इसी दूध में उसने प्रसाद के नाम पर भांग भी मिला दी थी। इस दूध को कई लोगों ने पिया था। इसमें बड़ी संख्या में लोग बीमार हुए।
साइकिल खड़ी करते ही बेहोश होकर गिरा छात्र
बताया गया कि सभी लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। मगर कुछ देर बाद इनकी तबीयत बिगड़ने लग गई। हीरापुर के आठवीं का छात्र तेजेश्वर कुमार साहू ने भी यहां प्रसाद लिया था। इसके बाद वह घर गया। तेजेश्वर की मां ने बताया कि उनका बेटा महाशिवरात्रि के अवसर पर शहर में कार्यक्रम देखने गया था। वापस आया और साइकिल खड़े करते ही गिर गया। अस्पताल पहुंचे तो और भी लोग भर्ती थे, तब समझ आया कि भांग की वजह से ऐसा हुआ। उसकी मां की शिकायत थी कि भांग बांटने वालों को बच्चों को तो ये नहीं देना चाहिए था।
बयान लेने अस्पताल पहुंची पुलिस।
उल्टी और दस्त की शिकायत
वहीं आस-पास खड़े लोगों को भी उल्टी और दस्त की शिकायत होने लगी। जिसके बाद इन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बाद में पता चला कि अस्पताल में पुलिसकर्मी विपिन गुप्ता, पंचायत सचिव भूषण भारद्वाज, आमापारा के पूर्व शिक्षक छबि लाल, नयापारा के नितिन पटेल, लोगन योगी, संजय नगर के आनंद साहू, चुनेश्वर यादव, कुन्दरूपारा मधुबन कॉलोनी के प्रशांत साहू् अस्पताल में भर्ती हैं।
सभी मरीजों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इधर, बघमरा के चुन्नी लाल ने बताया कि उनका बेटा लीलाधर एक अधिकारी की गाड़ी चलाता है। ड्यूटी से लौटते वक्त भीड़ देखकर प्रसाद ले लिया। इसके बाद घर पहुंचते ही फर्श पर लेट गया। हम लोगों से कुछ कह ही नहीं पाया। हड़बड़ी में हम लोग अस्पताल लेकर पहुंचे। जमरूवा से बालोद पहुंचे देव सिंह साहू को भी अस्पताल में भर्ती करने के बाद परिजनों को सूचना दी गई है।
इस मामले में बालोट टीआई नवीन बोरकर ने कहा है कि भांग मिला हुआ दूध पीने से कुछ लोग बीमार हुए हैं। अभी इलाज किया जा रहा है। बयान लिया गया है। जांच जारी है।
माना जाता है भांग का है विशेष महत्व
ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर को भांग प्रिय है। यही वजह है कि कि प्रसाद के रूप में दूध के साथ इसे वितरण किया जाता है। शिव महापुराण के मुताबिक, अमृत पाने के लिए देवताओं और असुरों ने समुद्र का मंथन किया था। इसमें कई सारी चीजें निकली थीं जो देवताओं और असुरों के बीच में बांटी गईं, लेकिन जब समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल यानी विष निकला तो पूरी सृष्टि को बचाने के लिए देवताओं के कहने पर भगवान शिव ने उसे पी लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया था। बताया जाता है कि ये विष शिवजी के मस्तिष्क तक चढ़ने लगा। फिर वो व्याकुल होने लगे और अचेत हो गए.
तब मां आदिशक्ति प्रकट हुईं और भोलेनाथ को बचाने के लिए भांग, धतूरा, बेल आदि जड़ी-बूटियों से बनी औषधियों से शिव को ठीक की. शिव के मस्तिष्क पर भांग, धतूरा और बेल पत्र रखा गया, जलाभिषेक किया गया। इससे धीरे-धीरे शिव के मस्तिष्क का ताप कम हो गया और उनकी व्याकुलता दूर हो गई। तब से भोलेनाथ को पूजा में भांग का भोग अर्पित किया जाने लगा।