- अभी दुर्ग और भिलाई में किया है आरंभ, प्रदेश भर में 500 जगहों पर आरंभ करने का है विचार
दुर्ग: सोनी इंटरटेनमेंट टेलीविजन चैनल पर इन दिनों स्टार्टअप से जुड़ा एक रीयलिटी शो आ रहा है शार्क टैंक। इसमें प्रतिभागी अपने स्टार्टअप से जुड़ा विचार रखते हैं। विशेषज्ञ उद्यमियों को ये विचार पसंद आते हैं तो वे इनमें निवेश करने का निर्णय लेते हैं। खुशी की बात यह है कि ट्विन सिटी के युवा भी पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने प्रोडक्ट लेकर ऐसे फोरम में जा रहे हैं। भिलाई के युवा उद्यमी हर्षित ताम्रकार ने मेडिशटर ई-क्लिनिक का विचार रखा और शार्क टैंक के सीजन 2 के लिए एप्लाई किया। उन्हें क्वालिफाई किया गया लेकिन फाइनल राउंड में वे अपनी जगह नहीं बना पाये क्योंकि अभी उन्होंने इसकी शुरूआत ही की था यद्यपि यह विचार चयनकर्ताओं को बहुत अच्छा लगा और उन्होंने हर्षित से कहा कि अगले सीजन में जब वे अपने स्टार्टअप का विस्तार कर पाएं तो जरूर हिस्सा लें।
हर्षित के स्टार्टअप का बुनियादी विचार यह है कि कई बार लोग मेडिकल स्टोर में ही फार्मासिस्ट से दवा देने का आग्रह करते हैं चूंकि बिना पर्ची के ऐसी दवा देने में मनाही होती है अतएव उन्हें दवा लेने में दिक्कत होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी परेशानी बहुत हैं जहां आसपास एमबीबीएस और एमडी डाक्टर कम होते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए हर्षित ने ई-क्लिनिक का कांसेप्ट रखा है। सेक्टर 6 में जिस पहले मेडिकल स्टोर से उन्होंने इसकी शुरूआत की, वहां पर उन्होंने स्कैनर रखा है। स्कैनर में स्कैन करते ही विशेषज्ञ डाक्टरों की कैटेगरी मरीज के सामने आ जाएगी। मान लीजिए कि ईएनटी से संबंधित कुछ समस्या है तो वे ईएनटी डाक्टर को क्लिक करेंगे और वीडियोकाल से डाक्टर सलाह और दवाएं देंगे।
हर्षित ने बताया कि डाक्टर की दवा की पर्ची मरीज के मोबाइल पर आ जाएगी। फालोअप के लिए भी डाक्टर उपलब्ध रहेंगे। यह ई-क्लिनिक ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वरदान रहेगी जहां से सीएचसी और पीएचसी की दूरी अधिक है। हर्षिक की योजना प्रदेश भर में 500 ऐसे ई-क्लिनिक आरंभ करने की है। उनके इस स्टार्टअप में तकनीकी कार्य के लिए सात सहयोगी भी हैं। उनके ई-क्लिनिक से 15 विशेषज्ञ डाक्टर जुड़े हैं। कंसल्टिंग फीस 200 रुपए से 300 रुपए तक है। हर्षित ने बताया कि फीस रीजनेबल रखी गई है और फालोअप में यह कम होती जाएगी। उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में भी लोगों के घर तक दवा पहुंचाने के लिए हर्षित ने एक मेडिशटर एप बनाया था जिसके माध्यम से घर तक दवा मंगाई जा सकती थी, इसमें ऐसी दवाएं भी थीं जिनकी उपलब्धता दूसरे राज्यों में ही थी।
इनक्यूबेशन ट्रेनिंग भी मिली और मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना से मदद भी- हर्षित ने बताया कि राज्य सरकार ने उनके स्टार्टअप को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई है। इनक्यूबेशन की ट्रेनिंग के दौरान उन्हें अपने विचारों को बेहतर रूप से प्रस्तुत करने और उसे अमलीजामा पहनाने में मदद मिली। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना से भी उन्हें मदद मिली।
वेंचर कैपिटल जुटाने रीयलिटी शो सबसे पहले जापान में- टीवी शो के माध्यम से किसी स्टार्टअप के लिए वेंचर कैपिटल जुटाने की शुरूआत जापान में हुई। शो का नाम रखा गया द टाइगर आफ मनी। इसे ब्रिटेन में ड्रैगन्स ड्रेन के नाम से एडाप्ट करते हुए वहां भी शो आरंभ हुआ। इसके बाद अमेरिका में शार्क टैंक के नाम से यह कार्यक्रम आरंभ हुआ और फिर भारत में भी इसकी शुरूआत हुई। स्टार्टअप के लिए पूंजी जुटाने का यह बढ़िया नवाचार है जिसके माध्यम से युवा उद्यमियों की कल्पनाशीलता को भी पंख लग रहे हैं।