BILASPUR: बिलासपुर में गुरुघासीदास यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ऑनलाइन ठगी के शिकार हो गए। ठगों ने उनके मोबाइल पर एक लिंक भेजा और एसबीआई के योनो ऐप पर केवायसी अपडेट करने का झांसा दिया। लिंक में क्लिक करने के बाद उन्हें डिटेल्स भराया गया और ओटीपी भी भेजा गया, जिसे ऐप में डालते ही उनके बैंक अकाउंट से एक लाख 25 हजार रुपए पार हो गए। मामले में पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया है। घटना कोनी थाना क्षेत्र की है।
डां. पारिजात ठाकुर पिता दिवंगत धनेन्द्र कुमार ठाकुर गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। वे कोनी स्थित यूनिवर्सिटी कैंपस के क्वार्टर में रहते हैं। उन्होंने पुलिस से शिकायत कर बताया कि बीते मंगलवार को उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से एक मैसेज आया, जिसमें उनके एसबीआइ योनो ऐप पर केवाइसी अपडेट करने के लिए कहा गया। मैसेज के साथ एक लिंक भी भेजा गया था। प्रोफेसर ने उस लिंक को ओपन किया और अपना पैन नंबर और आधार कार्ड नंबर के साथ डिटेल्स अपडेट किया। आधार और पैन लिंक नंबर डालने के बाद उनके मोबाइल पर दो बार ओटीपी आया। उन्होंने ओटीपी को लिंक में अपलोड कर दिया। फिर उनके बैंक अकाउंट से दो बार में एक लाख 25 हजार रुपए निकाल लिया गया।
अकाउंट से पैसे पार होने पर चला ठगी का पता
ऐप में ओटीपी कोड दर्ज करने के बाद उनके मोबाइल पर बैंक से पैसे कटने का मैसेज आया, तब उनके होश उड़ गए और उन्हें ठगी का पता चला। इसके बाद उन्होंने बैंक से संपर्क किया। तब बैंक प्रबंधन ने पुलिस से शिकायत करने की सलाह दी। उनकी शिकायत पर पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
पढ़े लिखे लोग हो रहे साइबर फ्रॉड के शिकार
आमतौर पर बैंक प्रबंधन या कोई भी इंटरनेट बैंकिंग प्रणाली में बिना फोन किए और पूर्व सूचना के इस तरह से लिंक भेजकर पर्सनल डिटेल्स नहीं मागा जाता। न ही बैंक प्रबंधन इस तरह से किसी की पर्सनल जानकारी हासिल कर सकता है। बावजूद इसके पढ़े लिखे वर्ग के लोग इस तरह से अनजान मैसेज, लिंक और फोन कॉल्स के चक्कर में पड़ जाते हैं और साइबर ठगों के जाल में फंसकर ऑनलाइन ठगी का शिकार हो जाते हैं।
ऑनलाइन धोखाधड़ी की तत्काल करें शिकायत
ऑनलाइन धोखाधड़ी और बैंक खाते से रुपए निकाले जाने पर साइबर अपराध सेल की ओर से टोल फ्री नंबर जारी किया गया है। इस नंबर पर कॉल करके पीड़ित अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। साइबर अपराध सेल संबंधित खाते को ब्लॉक कराने के साथ खाते में रुपए वापस कराने का प्रयास करती है। साथ ही संबंधित खाते की जानकारी भी स्थानीय पुलिस को उपलब्ध कराती है। इससे पुलिस को अपराधी की तलाश में सहायता मिलती है।