रायपुर: MP के बागेश्वर धाम वाले कथा वाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर FIR दर्ज करने की मांग हो रही है। रायपुर में एक कांग्रेस नेता ने शास्त्री के खिलाफ थाने में शिकायत की है। मनेंद्रगढ़ जिले में भी समाज के लोग शिकायती पत्र लेकर पुलिस के पास पहुंच गए और बाबा पर SP से कार्रवाई की मांग कर दी है। सारा विवाद बाबा की एक टिप्पणी से जुड़ा है। जो राजा सहस्त्रबाहू को लेकर की गई। इससे सहस्त्रबाहू को पूजने वाला समाज नाराज है।
रायपुर में की गई शिकायत।
बागेश्वर धाम सरकार के नाम से मशहूर कथावाचक कि गिरफ्तारी की मांग की जा रही है। पहली शिकायत रायपुर के कांग्रेस नेता ने की है। रायपुर के सिटी कोतवाली में एक लिखित शिकायत देकर FIR करने की मांग की गई है। ये मांग छत्तीसगढ़ प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव अभिषेक कसार ने ये शिकायत दी है। कांग्रेस नेता ने शिकायत में कहा है कि “बागेश्वर धाम के कथा वाचक धीरेंद्र शास्त्री गर्ग के द्वारा हमारे आराध्य भगवान सहस्त्रबाहु जी का अपमान करते हुए वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में प्रचारित व प्रसारित कर हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। हैयहैयवंशी क्षत्रिय कसार समाज के हमारे कुलदेव सहस्त्रबाहु महाराज हमारे इष्ट देव हैं।
मनेंद्रगढ़ में शिकायत।
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में भी शिकायत
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग लेकिर मनेंद्रगढ़ जिले में भी विवाद है। हैहय क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधि मंडल ने एसपी टी आर कोशिमा को ज्ञापन सौंपकर अपराध दर्ज करने को कहा। SP ने समाज के लोगों से कहा कि मामले में जांच के बाद जो भी नियमानुसार कार्रवाई होगी की जाएगी।
क्या कहा है धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने
भगवान परशूराम के बारे में बताते हुए एक वीडियो में धीरेंद्र कृष्ण कह रहे थे, भगवान परशूराम ने आताताई किस्त के लोगों को मारा जो क्षत्रिय अत्याचार करते थे उनका नाश किया, फिर शास्त्री ने सहस्त्रबाहू का नाम लिया। फिर उन्होंने कहा कि परशूराम को क्षत्रियों से नफरत नहीं थी वो सिर्फ आताताइयों का नाश करते थे उनकी पत्नी और बच्चों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया।
क्या है सहस्त्रबाहू और भगवान परशूराम के बीच का किस्सा
- वाल्मीकि रामायण में इनका वर्णन मिलता है। प्राचीन काल में महिष्मती (वर्तमान महेश्वर) नगर के राजा कार्तवीर्य अर्जुन थे। उन्होंने भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय को प्रसन्न कर वरदान में उनसे 1 हजार भुजाएं मांग ली। इससे उसका नाम सहस्त्रबाहु अर्जुन हो गया।
- सहस्त्रबाहु ऋषि जमदग्नि (परशूराम के पिता) के आश्रम में थोड़ी देर आराम करने के लिए इच्छा से रूक गया। ऋषि जमदग्नि के पास कामधेनु गाय थी, जो सभी इच्छाएं पूरी करती थी।
- ऋषि जमदग्नि ने सहस्त्रबाहु और उसके सैनिकों का राजसी स्वागत किया। कामधेनु का चमत्कार देखकर सहस्त्रबाहु बलपूर्वक उसे अपने साथ ले गया।
- परशुराम जब आश्रम में आए, तो उन्हें सहस्त्रबाहु अर्जुन के अत्याचार के बारे में पता चला। यह सुनकर परशुराम क्रोधित हो उठे। वे कंधे पर अपना परशु रखकर चल पड़े।
- सहस्त्रबाहु अभी माहिष्मती राज्य जाने के मार्ग में ही था, कि परशुराम उसके पास जा पहुंचे। सहस्त्रबाहु ने जब यह देखा के परशुराम उनसे युद्ध करने आ रहे हैं तो उसने उनका सामना करने के लिए अपनी सेनाएं खड़ी कर दीं।
- परशुराम ने अकेले ही सहस्त्रबाहु की पूरी सेना का सफाया कर दिया। अंत में स्वयं सहस्त्रबाहु परशुराम से युद्ध करने के लिए आया। परशुराम ने उसके हजार भुजाओं को अपने फरसे से काट डाला और सहस्त्रबाहु अर्जुन का वध कर दिया।
- इस घटना का प्रतिशोध लेने के लिए सहस्त्रबाहु अर्जुन के पुत्रों ने बाद में ऋषि जमदग्नि का वध कर दिया। अपने निर्दोष पिता की हत्या से क्रोधित होकर परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहिन कर दिया था।