भिलाई: छत्तीसगढ़ में बन रहे IIT BHILAI की बिल्डिंग भले ही कंक्रीट और लोहे की हो, लेकिन यह पूरी तरह इकोफ्रेंडली तरीके से संचालित होगी। इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर राजीव प्रकाश ने बताया कि यहां एक भी बूंद पानी वेस्ट नहीं होगा और जो भी बिजली यूज की जाएगी वो सोलर और विंड एनर्जी के जरिए पैदा की जाएगी।
राजीव प्रकाश ने भास्कर से इसे लेकर खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि IIT BHILAI नेट जीरो पर काम कर रहा है। हमारा पूरा फोकस इस बात पर होगा कि यहां से कुछ भी वेस्ट न हो। फिर चाहे वो वाटर हो या एनर्जी। पूरी बिल्डिंग में सोलर पैनल लगाए गए हैं। इसे पूरी तरह से यूज करेंगे और जो एनर्जी उपयोग से अधिक होगी उसे ग्रिड के जरिए दूसरी कंपनी को बेचेंगे।
आईआईटी भिलाई का ड्राइंग डिजाइन तैयार किया गया है।
IIT BHILAI में कई हाई राइज टॉवर बने हैं। इनके जरिए विंड एनर्जी को भी एक्सप्लोर करने पर काम किया जा रहा है। इसके लिए रिसर्च चल रहा है। जुलाई या अगस्त 2023 तक यह पूरा हो जाएगा। IIT इसमें कितना सफल होगा ये रिसर्च पूरा होने के बाद ही पता चल पाएगा। विंड एनर्जी के साथ ही यहां बायो एनर्जी का उपयोग किस तरह से किया जाए इसको लेकर काम चल रहा है।
आईआईटी भिलाई में सोलर एनर्जी का होगा उपयोग, इस तरह छतों पर पैनल लगाए जाएंगे।
वेस्ट नहीं होने दिया जाएगा एक भी बूंद पानी
IIT BHILAI का मेन फोकस यहां वॉटर यूज को लेकर है। प्रो. राजीव प्रकाश ने बताया कि वो इस थ्योरी पर काम कर रहे हैं कि कैंपस में उपयोग किया जाने वाला एक भी बूंद पानी बर्बाद न होने पाए। इसके लिए हमारे पास एसटीपी प्लांट हैं। रेन हार्वेटिंग का उपयोग किया जा रहा है। कैंपस में उपयोग वाला पानी एक जगह इकट्ठा किया जाएगा। इसके बाद उसे ट्रीट किया जाएगा। फिर जो पानी पीने के लायक होगा उसे पीने के लिए सप्लाई किया जाएगा और शेष पानी सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जाएगा। इस तरह से यहां जीरो वाटर वेस्ट सिस्टम तैयार किया गया है।
हाई राइज टावर के जरिए पैदा की जाएगी विंड एनर्जी।
पुराने तालाबों को फिर से किया गया रिट्रीट
प्रो. प्रकाश ने बताया कि IIT BHILAI के निर्माण के लिए भिलाई से लगे कुटेलाभाटा, खपरी, जेवरा और सिरसा खुर्द गांव को मिलाकर 181.93 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई है। इस जमीन में कई छोटे-छोटे तालाब थे। बिल्डिंग निर्माण के दौरान उन तालाबों को बचाने का प्रयास किया गया है। यहां के तालाब में पानी नहीं स्टोर होता था। वो गर्मी आने से पहले ही सूख जाते थे। इसलिए यहां पुरानी नेचुरल वाटर बॉडीज को तैयार किया गया है। यहां पहले छोटे-छोटे तालाब होते थे उन वॉटर बॉडी को रिट्रीट करके फिर से वहां पानी भरने के लायक बनाया है। इससे जमीन का वॉटर लेबल को फिर से जनरेट किया जाएगा।
आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर प्रो. राजीव प्रकाश ने खास बातचीत में कई जानकारियां दी।
पहले चरण में सरकार ने दिए 700 करोड़ रुपए
IIT BHILAI के पहले चरण के लिए केंद्र सरकार से 700 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। निर्माण की जिम्मेदारी लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड कंपनी को दी गई है। कंपनी को प्रथम चरण के सारे काम दो साल में पूरा करना था। देर से ही सही, लेकिन काम लगभग पूरा हो चुका है। जून के अंतिम सप्ताह तक कंपनी कैंपस आईआईटी को हैंडओवर कर देगी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां आकर IIT BHILAI का उद्घाटन करेंगे।