- रायपुर के मेडिकल कॉलेज के टीकाकरण सेंटर में गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 45 से 59 और 60 साल से अधिक के बुजुर्गों को लगा टीका
- इसी सेंटर में डॉक्टर्स, हेल्थ वर्क्स और पुलिस के लोगों का भी टीकाकारण, इनकी व्यवस्था अलग रखने की मांग
74 साल की उम्र में भरत बटाविया को करीब ढाई घंटे तक इंतजार किया। सांस फूलती है, घुटनों का रिप्लेस्मेंट होने की वजह से इस दौरान उन्हें परेशानी हो रही थी। मगर तभी काउंटर से एक कर्मचारी ने आवाज लगाई, भरत बटाविया.. कौन है..। नाम सुनकर भरत काउंटर के पास पहुंचे और इन्हें सबसे पहले टीका लगाया गया। 30 मिनट तक इन्हें निगरानी में रखा गया। इसके बाद वो पत्नी स्मिता के साथ घर लौट गए। इससे पहले भरत ने वैक्सीनेशन को लेकर अपनी बातें दैनिक भास्कर से साझा कीं। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से देश में ऐसे हालात बने कि लगा अब हम तो डूब ही जाएंगे, मगर वैक्सीन आने से उम्मीद की नई किरण दिख रही है।
भरत बटाविया अपना पर्सनल बिजनेस करते थे, मगर अब रिटायरमेंट ले चुके हैं।
सावधानी अब भी जरूरी है
भरत ने कहा कि मैं सावधानी की आदत नहीं छोडूंगा। अब तक मैं इसी की वजह से सुरक्षित रहा। टीका लगने के बाद भी मैं हाथ धोने, मास्क लगाने और सफाई रखने की ओर ध्यान दूंगा। इनकी पत्नी स्मिता ने बताया कि उम्र की वजह से हमें प्रिकॉशन रखना जरूरी है। हम इस ओर पूरा ध्यान देते हैं। वैक्सीन के आने से खुशी हुई, इसलिए सुबह से ही हम यहां आ गए। शुरु-शुरू में इस बीमारी से हम बेहद डर गए थे। अब डर कम हुआ है लेकिन अपना ध्यान रखना भी जरूरी है।
15 दिन बाद है जन्म दिन, ऐसे हालात नहीं देखे
15 मार्च 1947 को जन्मे भरत बटाविया ने बताया कि ये मेरे लिए तोहफे की तरह है, कि मुझे वैक्सीन लग पाई। उन्होंने कहा कि मैंने देश में कई मुश्किल हालात को देखा है। लेकिन कोरोना महामारी जैसी स्थितियां कभी नहीं बनी। 1 साल तक मैं खुद घर से बाहर नहीं निकला था। सुबह के वक्त सिर्फ दूध लेने जाता था। इसलिए कोरोना वायरस से अब सुरक्षित रह पाया। मेरे एक मित्र की पत्नी को कोरोना हुआ था, उनकी कुछ वक्त बाद इलाज के दौरान मौत हो गई थी। बेहद दुख हुआ था। मगर अब वैक्सीन के आने से लग रहा है कि शायद फिर से सब कुछ ठीक होगा।
अव्यवस्था दूर करने की मांग
भरत बटाविया ने बताया कि सुबह से काफी देर तक तो यह बात ही साफ नहीं हो सकी थी कि वैक्सीन लगेगी भी या नहीं। हमारी पर्चियां भी लोगों ने इधर-उधर कर दी। फिर डॉक्टर, मेडिकल के स्टूडेंट और हेल्थ वर्कर आ गए जिन्हें दूसरा डोज दिया जाना था। फिर ऑनलाइन सिस्टम बिगड़ गया। ऐसे में मेडिकल कॉलेज वालों को कुछ इंतजाम में सुधार करने की जरुरत है। अगर डॉक्टर या हेल्थ वर्कर का अलग जगह पर टीकाकरण होगा तो शायद वो भी आराम से टीका लगवा पाएंगे और आम लोग भी।