BHILAI: छत्तीसगढ़ के भिलाई में चार चोरों ने मिलकर एनएच 53 में बन रहे डबरापारा फ्लाई ओवर ब्रिज में लगे 250-250 टन क्षमता के चार विदेशी हाइड्रोलिक जैक चोरी कर लिए। चोरी गए जैक की कीमत 10 लाख रुपए बताई जा रही है। ये जैक रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे लगे थे। सबसे चौकाने वाली बात यह थी चोरों ने कई घंटे में इन जैक को वहां से निकाला और अपने साथ ले गए, लेकिन वहां ड्यूटी पर तैनात गार्ड कमरे में सोता रहा। उसे चोरों की भनक तक नहीं लगी।
दुर्ग एसपी ने निर्माण एजेंसी के इंजीनियर को इस चोरी के लिए जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि इतना जोखिम वाला निर्माण चल रहा है, इसके बाद भी एजेंसी ने यहां एक भी सीसीटीवी कैमरा तक नहीं लगाया है। उन्होंने निर्माण स्थल पर 8 गार्ड की ड्यूटी लगाई थी, लेकिन सभी गार्ड पास बने कमरे में जाकर सो जाते हैं।
एसपी ने साइट इंजार्ज को जमकर फटकारा और कहा कि 22 मई तक मौके पर सीसीटीवी कैमरे लग जाने चाहिए और वहां एक छोटी सी चौकी बनाकर दे, जिससे पुलिस कर्मी की ड्यूटी लगाई जा सके। एसपी ने कहा कि ओवर ब्रिज का निर्माण अप्रैल 2019 तक हो जाना था, लेकिन एजेंसी ने अब तक काम पूरा नहीं किया।
उन्होंने कहा-एजेंसी के लेट करने से पिछले तीन साल में अकेले डबरापारा में 8 लोगों की मौत हो चुकी है। यह सड़क में हुए गड्डों की वजह से हुआ। उन्होंने कहा कि यदि सड़क के गड्ढे जल्द नहीं भरे गए और आगे एक्सीडेंट में मौत होगी तो हर मौत पर एजेंसी के प्रोजेक्ट इंचार्ज के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाएगा।
फ्लाई ओवर ब्रिज से जैक चोरी करने वाले आरोपियों से पूछताछ करते एसपी
चोरों में एजेंसी का गार्ड भी था शामिल
विदेशी जैक चोरी करने के मामले में पुलिस ने दुष्यंत ठाकुर (19 साल), राहुल साहू (19 साल), मोहन निर्मलकर (30 साल) और एक नाबालिग गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों में एक इंडस्ट्रियल सिक्यूरिटी कंपनी का गार्ड था। यही कंपनी निर्माण एजेंसी को गार्ड प्रोवाइड कराती है। एसपी ने सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण एजेंसी के प्रोजेक्ट इंचार्ज से पूछताछ करते एसपी
इस लापरवाही से जा सकती थी लोगों की जान
एसपी ने बताया कि रेलवे ओवर ब्रिज इन्हीं हाइड्रोलिक जैक के भरोसे खड़ा था। इसके कुछ दिन बाद ब्रिज से निकाला जाता, लेकिन चोरों ने इसे खोलकर पहले ही निकाल लिया। उनकी इस लापरवाही से ब्रिज भी गिर सकता था और इससे कई लोगों की जान भी जा सकती थी। यदि ये हादसा ट्रेन गुजरने के दौरान होता तो बड़ी जनहानि होती। इसमें न सिर्फ चोर बल्कि निर्माण एजेंसी और सिक्यूरिटी एजेंसी की भी लापरवाही है।
चोरी किए गए जैक और पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
जैक न मिलता la 6 महीने डिले होता काम
एसपी ने बताया कि ये जैक विदेश से निर्मित थे। एक जैक की कीमत ढाई लाख रुपए हैं। यदि चोरों को गिरफ्तार कर पुलिस जैक बरामद नहीं करती तो इसे फिर से विदेश से मंगाना पड़ता और इस कार्य के चलते ब्रिज के निर्माण में 6 महीने की देरी होती।