Thursday, April 25, 2024
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आसानी से मिलेगी अनुमति: वनों में निर्माण की अनुमति के लिए दिल्ली दौड़ खत्म, फारेस्ट क्लीयरेंस दफ्तर अब राजधानी में…

फाइल फोटो। - Dainik Bhaskar

फाइल फोटो।

  • 40 हेक्टेयर तक जंगल प्रभावित होने पर यहीं मिल जाएगी अनुमति, इससे ज्यादा के ही मामले जाएंगे केंद्र तक

रायपुर/ सड़कों का निर्माण, रेलवे लाइनें, बिजली ट्रांसमिशन लाइनें या और निर्माण जो वनक्षेत्रों में किए जाते रहे हैं, उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी माने जाने वाले फारेस्ट क्लीयरेंस के लिए अब दिल्ली की दौड़ नहीं लगानी होगी। राजधानी बनने के 20 साल बाद रायपुर में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का रीजनल दफ्तर शुरू कर दिया गया है।

प्रदेश में ऐसे करीब 108 प्रोजेक्ट हैं, जिनकी अनुमति के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के चक्कर काटने पड़ रहे थे। जिस प्रोजेक्ट में 40 हेक्टेयर तक वन प्रभावित होंगे, उसका फारेस्ट क्लीयरेंस रायपुर के दफ्तर से ही मिल जाएगा। इससे ज्यादा के लिए ही दिल्ली जाना होगा।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का क्षेत्रीय दफ्तर नहीं होने के कारण कई प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए सालों दिल्ली के चक्कर लगाने पड़ते थे। इनमें सड़क, रेल, बिजली ट्रांसमिशन लाइन बिछाने की योजनाएं शामिल हैं। ज्यादातर योजनाएं बस्तर, राजनांदगांव और सरगुजा के घने जंगलों से होकर बनाई जानी है। इन्हें दूसरे चरण की मंजूरी का इंतजार है। इस देरी का मुख्य कारण इन योजनाओं की निर्माण एजेंसियों होती हैं।

इन्हें करीब 44 बिंदुओं पर राज्य और केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी पड़ती है। इसमें समय लगता है। यह दफ्तर अब इन सबके बीच समन्वय के साथ अनुमति देने का काम करेगा। इसे और सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने अपने क्षेत्रीय दफ्तरों को वर्ष 2018 से 40 हेक्टेयर से कम के जंगलों के अधिग्रहण की योजनाएं स्वीकृत करने का अधिकार दिया है। इसके बाद योजनाएं की मंजूरी में तेजी भी आई है। यह इसलिए भी संभव हो पाया, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कैबिनेट सचिव हर माह इन प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग करते हैं। इस वजह से रीजनल ऑफिस में भी हर माह बैठकें होती हैं और समय पर निर्णय लिए जाते हैं।

इंटीग्रेटेड ऑफिस में कई विंग 100 से ज्यादा कर्मचारी रहेंगे
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के रीजनल ऑफिस में प्रोजेक्ट के अनुमति के अलावा कई और शाखाओं को भी शामिल किया गया है। इसमें केंद्रीय वन्य प्राणी, पर्यावरण, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के साथ फॉरेस्ट रिसर्च शामिल किए गए हैं, ताकि परियोजना से संबंधित जो भी अड़चन हो, उसे तत्काल दूर किया जा सके। रीजनल ऑॅफिसर बीएन अम्बार्डे के साथ करीब सौ-सवा सौ स्टाफ की पोस्टिंग की गई है। अभी यह दफ्तर नवा रायपुर में राज्य वन मुख्यालय अरण्य भवन में संचालित है, जिसे जल्द ही राज्य वन अनुसंधान केंद्र में शिफ्ट किया जाएगा।

बघमरा खदान, तलाईपानी रेल सहित अहम प्रोजेक्ट
वन एवं पर्यावरण की मंजूरी के लिए इस समय राज्य की करीब 108 योजनाएं केंद्र और राज्य के बीच झूल रही हैं। इनमें बघमरा खदान से सोने की तलाश के लिए लाइसेंस प्रमुख है। इनके अलावा एनटीपीसी-लारा की तलाईपाली रेललाइन, राजनांदगांव-नागपुर तीसरी रेल लाइन, कोरबा-हरदीबाजार बायपास सड़क प्रमुख हैं। इसी तरह से राजकीय राजमार्ग, ट्रांसमिशन लाइन विस्तार की भी योजनाएं शामिल हैं। हालांकि इनमें से अधिकांश को पहले चरण की मंजूरी मिल चुकी है।

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