Wednesday, October 8, 2025

CG: दीवार ढहने से 10 साल की बच्ची की मौत… घर में खेल रही थी वर्षिका, तभी भारी बारिश के चलते भरभराकर गिर गई दीवार

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: जिले के नवागांव में गुरुवार को कच्चे मकान की दीवार ढहने से 10 साल की बच्ची वर्षिका कंवर की मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और बच्ची के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया। मामला पेंड्रा थाना क्षेत्र का है।

जानकारी के मुताबिक, वर्षिका मूल रूप से गांव पुलवारीपारा (रामगढ़) की रहने वाली थी। वो नवागांव में नाना-नानी के घर रहकर पढ़ाई करती थी। वो चौथी क्लास में पढ़ती थी। गुरुवार को गांव में तेज बारिश हो रही थी। बच्ची घर के अंदर खेल रही थी, तभी भारी बारिश के कारण कच्चे मकान की दीवार ढह गई। इसके नीचे दबने से बच्ची की मौत हो गई। लोगों ने उसे मलबे से निकाला, लेकिन तब तक उसकी जान जा चुकी थी।

तेज बारिश के कारण कच्चे मकान की दीवार गिरी, मलबे में दबकर बच्ची की मौत।

तेज बारिश के कारण कच्चे मकान की दीवार गिरी, मलबे में दबकर बच्ची की मौत।

लोगों ने घटना की सूचना पेंड्रा थाना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और बच्ची के शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर परिजनों को सौंपा। बच्ची के शव का अंतिम संस्कार गुरुवार को किया गया। इधर बच्ची की मौत से माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है।

भारी बारिश के कारण कच्चे मकान की दीवार भरभराकर गिर गई।

भारी बारिश के कारण कच्चे मकान की दीवार भरभराकर गिर गई।

पेंड्रा में भी छज्जा गिरने से 6 साल के बच्चे की हो गई थी मौत

पेंड्रा जिले में गुरुवार को ही हुए दूसरे हादसे में 6 साल के बच्चे की मौत हो गई थी। बाजार में शेड का छज्जा गिरने से 6 साल का श्लोक उसकी चपेट में आ गया, जिसके बाद उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। परिजनों का आरोप है कि वहां कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था, जिसके कारण बच्चे की जान चली गई।

जानकारी के मुताबिक, साप्ताहिक बाजार के शेड के नीचे मजदूर परिवार अस्थायी रूप से रह रहा था। पीड़ित मनोज चौधरी का आरोप है कि 6 महीने पहले प्रधानमंत्री आवास की एक किस्त उन्हें मिली थी, लेकिन उसके बाद से उन्हें कोई किस्त नहीं मिली, जिसकी वजह से उनका आवास अधूरा है। इसी वजह से वे बाजार में शेड के नीचे रह रहे थे। पीड़ित पिता का कहना है कि उनका प्रधानमंत्री आवास 6 माह पहले ही बन जाना था। एक किस्त में उन्होंने थोड़ा काम शुरू भी करवाया था, लेकिन उसके बाद से वे लगातार नगर पंचायत पेंड्रा के अधिकारियों के चक्कर काट रहे थे। अगर उन्हें पैसा मिल जाता और उनका घर बन गया होता, तो उनके इकलौते बेटे की जान नहीं गई होती।



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