छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए कहा कि किसी के पक्ष में प्रचार करना पद का दुरुपयोग करने की श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान जेजे एक्ट 2015 में नहीं है। इसी प्रावधान का प्रयोग करते हुए शासन ने कोरबा की बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष मधु पांडेय को पद से हटा दिया था।
11 अप्रैल 2017 को तत्कालीन सरकार ने तीन साल के लिए बाल कल्याण समिति का अध्यक्ष बनाया था। उनका कार्यकाल 2020 को समाप्त होना था। लेकिन, जब उनके कार्यकाल को महज 2 माह बच गए थे तो 19 जनवरी 2020 को शासन ने पद से हटा दिया गया। कहा गया कि उनके द्वारा नवंबर 2018 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के प्रचार में हिस्सा लिया था। इस आदेश के खिलाफ मधु पांडेय ने एडवोकेट रोहित शर्मा के जरिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई।
एडवोकेट रोहित ने सुनवाई के दौरान कहा कि समिति के अध्यक्ष को केवल किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत ही हटाया जा सकता है। इस मामले में ऐसा नहीं किया गया और शोकाज नोटिस में भी यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किस तरह मधु पांडेय ने प्रचार में भाग लेकर पद का दुरुपयोग किया। कोर्ट ने माना कि ऐसा कोई प्रावधान अधिनियम में उल्लेखित नहीं है और सिर्फ प्रचार करने से कोई पद के दुरुपयोग के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने शासन के आदेश को निरस्त कर दिया है।