बिलासपुर: हाईकोर्ट ने प्रदेश के दो IAS अफसर सिद्धार्थ कोमल परदेशी व जय प्रकाश मौर्य को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। CMHO के रिटायर्डमेंट के बाद भी विभागीय जांच का निपटारा नहीं किया गया है, जिस पर हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के संचालक को छह माह के भीतर मामले का निराकरण करने का आदेश दिया था। लेकिन, तय समय सीमा के बाद भी कार्रवाई नहीं की।
रायपुर के गैलेक्सी कॉलोनी रायपुर निवासी डॉक्टर अरुण सिंह रात्रे स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ थे। 2018 में वे गरियाबंद जिले में CMHO के पद पर कार्यरत थे। इसी दौरान सचिव स्वास्थ्य के आदेश पर उनके खिलाफ जांच की गई और फिर विभागीय जांच के बाद आरोपपत्र भी शुरू कर दी। इस बीच साल 2019 को उनकी सेवानिवृत्ति हो गई। लेकिन, रिटायरमेंट के बाद भी विभागीय जांच पूरी नहीं हो पाई। इसके चलते उनके पेंशन सहित अन्य देयकों को रोक दिया गया है।
हाईकोर्ट ने छह माह के भीतर प्रकरण निपटाने दिया था आदेश
रिटायरमेंट के बाद भी विभागीय कार्रवाई पर कोई निर्णय नहीं होने से परेशान होकर उन्होंने एडवोकेट अभिषेक पांडेय एवं दुर्गा मैहर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया गया कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियम 1966 के उपनियम 14 में विभागीय जांच कार्रवाई की अधिकतम समय सीमा एक साल है। लेकिन, उनके प्रकरण का पांच साल में भी निराकरण नहीं किया गया है। इस केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को छह माह के भीतर याचिकाकर्ता के खिलाफ विभागीय जांच का अंतिम निराकरण करने का आदेश दिया था। लेकिन, तय समय सीमा के भीतर स्वास्थ्य सचिव ने केस का निराकरण नहीं किया।
अब अफसरों के खिलाफ लगाई अवमानना याचिका
कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर डा. अरुण रात्रे ने अपने एडवोकेट के जरिए हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी। इसमें सभी तथ्यों को बताते हुए तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी व स्वास्थ्य संचालक जयप्रकाश मौर्य को पक्षकार बनाया गया है। जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद दोनों अफसरों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।