- पुरात्तव,सांस्कृतिक विरासत एवं धरोहर को सहेजकर रखना हम सबकी जिम्मेदारी- पुरातत्ववेत्ता श्रीवास्तव
- भोरमदेव मंदिर परिसर में मनाया गया विश्व धरोहर दिवस
- छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल, जिला प्रशासन एवं ट्रिप्स एन ट्रिपर्स के संयुक्त तत्वावधान हुआ आयोजन
कवर्धा: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के ऐतिहासिक, धार्मिक, पुरातात्विक एवं पर्यटन महत्व के स्थल भोरमदेव मंदिर परिसर में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल, जिला प्रशासन एवं ट्रिप्स एन ट्रिपर्स के संयुक्त तत्वावधान व विश्व धरोहर दिवस का आयोजन किया गया है। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल, पंड़ित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के प्राचीन भारत इतिहास विभाग, पर्यटन एवं होटल प्रंबधन संस्थान सहित विभिन्न तिल्दा-नेवरा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अल्दा से आए प्रोसेफसर, प्रध्यापक एवं विद्यार्थियों ने छत्तीसगढ़ की कला,संस्कृति एवं पुरातत्व,पर्यटन महत्व के स्थलों को संरक्षित करने और उनकी ख्यांति को दूर-दूर पर बढ़ाने का संकल्प लिया।
विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दिन को “स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस” के नाम से भी जाना जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के महत्त्व,उनके अस्तित्व के संरक्षण एंव संवर्धन व उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई जा सके।
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल, ट्रिप्स एन ट्रिपर्स के संयुक्त तत्वावधान व छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के प्रबंध संचालक श्री अनिल कुमार साहू के पहल से हैरिटेज साइट्स को संरक्षण व जरुकता हैरिटेज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 18 अप्रैल, वर्ल्ड हैरिटेज डे 2023 उपल्क्ष पर हैरिटेज वॉक एन टॉक का आयोजन भोरमदेव मंदिर, कवर्धा में किया गया। इस आयोजन में कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे ने निर्देश पर पुरातत्ववेत्ता एवं राष्ट्रपति से सम्मानित भूतपूर्व शिक्षक श्री आदित्य श्रीवास्तव, जिला जनसंपर्क अधिकारी श्री गुलाब डड़सेना विशेष रूप से शामिल हुए। इसके अलावा डॉ कमला राम बिंद, प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग व श्री अंकित दीवान पर्यटन व होटल प्रबंधन,विभाग पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी ,रायपुर, श्री प्रेम पृथ्वी पाल लेवी लकड़ा, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अल्दा , ब्लॉक तिल्दा, सभी के द्वारा वर्ल्ड हैरिटेज पर उदबोधन प्रस्तुत किया गया।इस आयोजन पर 54 प्रतिभागी शामिल हुए। मोमेंटो व सर्टिफिकेट भी प्रदान किए गए। सभी ने प्राचीन धरोहर को संरक्षित करने हेतु संकल्प किया। सभी ने कार्यक्रम की सरहना की।
पुरातत्ववेत्ता श्री श्रीवास्तव ने टीम को कबीरधाम जिले के पुरातत्व महत्व के भोरमदेव मंदिर, मंडवा महल, छेरकी महल दर्शन किया और जिले के सभी पुरातात्वकि महत्व के स्थल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होने शैक्षणिक संस्थानो के विद्यार्थियों में विश्व धरोहर दिवस के बारे में जानकारी देते हुए राज्य अथवा देश के सभी सांस्कृतिक, धार्मिक, पुरात्तव महत्व के स्थलों के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ-साथ उनकी ख्याति को आने वाली पीढियों के लिए सहज कर रखने का संकल्प भी दिलाया। जिला जनसंपर्क अधिकारी श्री गुलाब डड़सेना ने कबीरधाम जिले में पर्यटन विकास की संभावनाओं को विस्तार से जानकारी। उन्होने बताया कि पूरे कबीरधाम के पग-पग में पुरातत्व, सांस्कृतिक धरोहर एवं कला संस्कृतिक को एहसास कराने वाले पर्यटन की समीप संभावनाएं है। उन्होने जिले में निवासरस विशेष पिछड़ी बैगा जनजातियों के रहन,सहन, खान-पान एवं उनके सांस्कृतिक रीति-रीवाजों एवं परम्पराओं के बारे में भी प्राचीन भारत एवं पर्यटन प्रबंधन के विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दी।
कबीरधाम जिले की प्रयर्टन विकास एवं संभावनाएं एक नजर में
दरअसल संपूर्ण कबीरधाम की वादियां मैकल पर्वल की विशाल श्रृख्लां की तलहटी पर बसा हुआ है। इस हिस्से को सतपुड़ा के घने जंगल का क्षेत्र भी कहा जाता है। यह तस्वीर उसी विशाल मैकल पर्वत श्रृख्ला की एक हिस्से की है। वेसे तो पूरा कबीरधाम छत्तीसगढ़ पर्यटन का एक अभिन्न अंग है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कबीरधाम जिले में पर्यटन के विकास और विस्तार भी किया गया है। विदेशी और घरेलू पर्यटकों की सुख-सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उनके ठहरने के लिए मैकल पवर्त माला (चिल्फी घाटी) की सरोधा दादर में (बैगा) कॉटेज बनाए गए है। भोरमदेव मंदिर के समीप ही जहां से भोरमदेव अभयारण की शुरूआत होती है उस शुरूआती हिस्से में पर्यटक विश्राम गृह (नागमोरी) बनाए गए है।
कबीरधाम जिले में पर्यटन की दृष्टि से ऐतिहासिक, पुरातत्विक, धर्मिक एवं पर्यटन महत्व के स्थल भोरमदेव मंदिर, मड़वा महल, छेरकी मंदिर, चरण तीरथ, पुरात्तव महत्व के स्थल पचराही, बकेला, प्राकृतिक सौदर्य से अभिभूत प्रदेश की सबसे लम्बी चिल्फी घाटी जिसे नागमोरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिये क्योकि इस घाटी की आकार नाग (सर्प) के सामान है। भोरमदेव अभ्यारण, हिल स्टेशन (चार) है जहाँ से मैकल पर्वत माला की श्रृंखला देखी जा सकती है। इसके अलावा सहसपुर लोहारा में घटी के समान दिखाई देने वाली ऐतिहासिक बावली कुंआ, रामचुआ मन्दिर, यहां ऐसी मान्यता है नर्मदा नदी के जल का दर्शन होता है। डोंगरिया का जालेश्वर महादेव, जिले मे पांच मध्यम जलाशय है जिसमें सरोधा डेम, सुतियापाठ जलाशय, क्षीरपानी जलाशय, कर्रानाला बैराज और बैहराखार जलाशय है। इसके अलावा कवर्धा की प्रसिद्ध नवरात्रि है, इस नवरात्रि एवं दशहरा में खप्पर निकाली जाती है। पूरे देश मे धर्मिक परम्परा को निर्वहन करने वाली कवर्धा देश की दूसरी शहर है। इसे देखने के लिए विदेशी और घरेलू पर्यटक हजारों की संख्या में आते है। कवर्धा में खप्पर साल के दोनों नवरात्र पक्ष में निकलती है। इन सभी पर्यटन स्थलों के देखने और लुफ्त उठाने के लिए छुट्टियों में अपने परिवार को कम से कम 2 से 3 तीन का समय देना होगा।
कबीरधाम जिला छत्तीसगसढ़ की राजधानी रायपुर (अंतराष्ट्रीय हवाई मार्ग) से महज 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां आने के लिए वाताअनुकुलित नॉन स्टॉप बस सेवाए उपलब्ध है, जो महज 2 घटे 30 मीनट के कम समय में रायुपर से कवर्धा पहुंचा देती है। कवर्धा शहर में स्थनीय स्तर पर ठहने के लिए निजी हॉटल उपलब्ध है। खानपान की दृष्टि से महानगरों की तुलना में बहुत ही सस्ता है। यहां के स्थानीय रेस्टेरेंट व हॉटलों में सस्ते दर पर थाली (खाना) उपलब्ध है।