Wednesday, May 8, 2024
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BCC News 24: BIG न्यूज़- अनिल अग्रवाल ने अपने स्ट्रगल को किया शेयर.. सुनाई कबाड़ बेचने से लेकर 35 हजार करोड़ के मालिक बनने की कहानी.. वेदांता ग्रुप के चेयरमैन बोले- न टाइम देखने के लिए घड़ी थी, न घर में टॉयलेट; अब दुनिया में मेटल किंग के नाम से है मशहूर

जयपुर: माइनिंग और मेटल किंग के नाम से पॉपुलर वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल की स्ट्रगल स्टोरीज हमेशा से युवाओं को इंस्पायर करती रहीं हैं। राजस्थान से बिहार, मुंबई होते ही लंदन से मेटल वर्ल्ड में उन्होंने धाक जमाई। इंडियन गर्वर्नमेंट की घाटे में चलने वाली मेटल कंपनियों को खरीदकर वेदांता का सॉलिड बेस बनाने वाले अग्रवाल ने जयपुर में अपनी बिजनेसमैन जर्नी के शुरुआती दिनों की बातें शेयर की तो लोग हैरान हो गए।

अग्रवाल शनिवार को बिरला ऑडिटोरियम में डिजिटफेस्ट के समापन समारोह में बोल रहे थे। जयपुर (चौमूं) और सीकर (सीकर) में रहकर पढ़ाई करने वाले अग्रवाल ने बताया कि –

उनके पास घड़ी तक नहीं हुआ करती थी। मुझे आज भी याद है जब मैं चौमूं और रींगस में रहता था, हमारे पास बाथरूम नहीं था, कोई घड़ी नहीं थी। ट्रेन जाती थी तब पता लगता था कितने बजे हैं।

आज भी याद है पिताजी जहां-जहां भी ले गए, बिहार ले गए, मैं वहां पढ़ता गया। आप तो इतने पढ़े लिखे हैं, दुर्भाग्यवश मैं ज्यादा पढ़ नहीं सका। जरूरत की वजह से मुझे काम चालू करना पड़ा। मेरी बहुत इच्छा थी, छोटी सी जगह से जब पहली बार ट्रेन में बैठा था, एक लोहे का बक्सा और बैडिंग लेकर मुंबई पहुंचा था, लेकिन दिल में अरमान इतने थे कि कुछ कर गुजरना है।

मैं आपको अपनी लाइफ स्टोरी बता सकता हूं। कैसे मैंने स्क्रैप का काम चालू किया, कैसे झाड़ू लगाकर स्क्रैप एकत्रित करके बेचा, 27 रुपए रेंट पर मुंबई में रहा। करीब 10-15 साल वहां रहने के बाद भी किसी ने रिकॉग्नाइज नहीं किया।

अनिल अग्रवाल अपनी कमाई का 75 परसेंट दान करने की घोषणा करके भी सुर्खियों में आए थे। अग्रवाल ट्विटर पर अपने शुरुआती जीवन के संघर्ष के किस्से शेयर करते रहते हैं।

अनिल अग्रवाल अपनी कमाई का 75 परसेंट दान करने की घोषणा करके भी सुर्खियों में आए थे। अग्रवाल ट्विटर पर अपने शुरुआती जीवन के संघर्ष के किस्से शेयर करते रहते हैं।

मेटल किंग के नाम से पॉपुलर अग्रवाल ने बताया – हिंदुस्तान में 140 करोड़ लोग हैं, इनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। हमारी दुनिया में अलग पोजिशन है। हम लोग टोलरेंट हैं, आगे बढ़ने का जज्बा है। आगे ऐसी डिमांड आने वाली है जिसे राजस्थान वाले पूरा करेंगे।

राजस्थान के लोगों में आगे बढ़ने की ललक है। झोपड़ी में रहने वाला पक्का मकान बनाना चाहता है, एक कमरे वाले को दो कमरे का या इससे बड़ा मकान चाहिए। साइकिल वाले को स्कूटर या ई-बाइक चाहिए। बाइक वाले को कार चाहिए। दुनिया में ऐसी ललक और कहीं नहीं है।

दुनिया के जो भी देश आगे बढ़े हैं उनकी महिलाएं काम करती हैं। दुनिया के जिन देशों ने तरक्की की है उन देशों में 50 से 80 फीसदी तक महिलाएं काम करती हैं। हमारे राजस्थान में केवल 20 फीसदी महिलाएं काम करती हैं। हमें हमारी महिलाओं को आगे लाना होगा, उन्हें अवसर देना होगा। महिलाओं के काम करने, उन्हें आगे बढ़ाने से ही देश-प्रदेश तरक्की करेगा।

राजस्थान में अपार संभावनाएं
वेदांता ग्रुप के चेयरमैन ने कहा कि – राजस्थान की मिट्टी में गेहूं, चावल है, इसी मिट्टी में तेल है, सोना है। राजस्थान में ही मिडल ईस्ट है, कनाडा, यूएस है और ऑस्ट्रेलिया है जिसे आप बनाने वाले हो। आज हर गांव डिजिटल हो गया है। दुनिया में फैशन राजस्थान से ही जाता है। राजस्थान में सोना, चांदी और तेल के भंडार हैं।

अग्रवाल के पिता व्यापार के सिलसिले में उनके पिता बिहार चले गए थे, इससे पहले कुछ समय राजस्थान में रहे थे। अनिल का जन्म पटना में हुआ था। अनिल अग्रवाल ने उन्हीं शुरुआती दिनों का अनुभव और संघर्ष के बारे में बताया है। अनिल अग्रवाल बिजनेस वर्ल्ड में अधिक चर्चा में उस वक्त आए जब उन्होंने हिंदुस्तान जिंक को डिसइनवेस्टमेंट में भारत सरकार से खरीदा था।

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