Saturday, July 12, 2025

बांग्लादेश: मशहूर अर्थशास्त्री अबुल बरकत को भ्रष्टाचार में जेल, हिंदू अल्पसंख्यकों की वकालत के लिए जाने जाते हैं, कहा था – देश में 2046 तक हिंदू नहीं बचेंगे

ढाका: बांग्लादेश में मशहूर अर्थशास्त्री अबुल बरकत को भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में शुक्रवार को जेल भेज दिया गया। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक 20 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने गुरुवार देर रात बरकत के घर पर छापा मारा था। इसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया।

बरकत चार दशकों तक ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ा चुके हैं। उन्हें 2009 में PM शेख हसीना के शासनकाल में जनता बैंक का अध्यक्ष बनाया गया था। वे हिंदू अल्पसंख्यकों की वकालत के लिए भी जाने जाते हैं। बरकत ने कट्टरपंथी इस्लामी विचारधाराओं, विशेषकर जमात-ए-इस्लामी जैसी ताकतों की खुलकर आलोचना की है।

बरकत ने साल 2016 में चेतावनी दी थी कि अगर अल्पसंख्यकों पर हमले और उनकी संपत्तियों पर अवैध कब्जा जारी रहा, तो आने वाले 30 वर्षों में बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा। उनका यह बयान बांग्लादेश में काफी चर्चित हुआ था और कुछ हलकों में विवादित भी था।

बैंक से जुड़े 225 करोड़ के भ्रष्टाचार का मामला

अबुल बरकत पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में रेडीमेड गारमेंट कंपनी ‘एनॉनटेक्स ग्रुप’ को गलत तरीके से कर्ज दिलवाने में मदद की और जनता बैंक से जुड़े 2.97 अरब टका (लगभग 225 करोड़ रुपए) का गबन किया।

बांग्लादेश के भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (ACC) ने इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जांच एजेंसी का आरोप है कि बरकत ने फर्जी दस्तावेज बनाए, काल्पनिक इमारतों और फैक्ट्रियों के नाम पर लोन पास करवाए और खरीदी गई जमीन की कीमत जानबूझकर बहुत अधिक दर्शाई ताकि ज्यादा लोन मिल सके।

इस मामले में अबुल बरकत समेत कुल 23 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें बांग्लादेश बैंक के पूर्व गवर्नर अतीउर रहमान का नाम भी शामिल है। शुक्रवार को कोर्ट में पेशी के दौरान एसीसी ने तीन दिन की रिमांड की मांग की, जबकि बचाव पक्ष ने जमानत की याचिका दाखिल की। अदालत ने फिलहाल दोनों याचिकाओं पर कोई फैसला नहीं सुनाया और तब तक के लिए बरकत को जेल भेजने का आदेश दिया।

अबुल बरकत शुक्रवार को ढाका कोर्ट में पेश हुए। अदालत ने उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।

अबुल बरकत शुक्रवार को ढाका कोर्ट में पेश हुए। अदालत ने उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।

बेटी बोली- बिना वारंट दिखाए गिरफ्तारी हुई

बरकत की बेटी अरुणी बरकत ने मीडिया से बातचीत में बताया कि रात में 20-25 लोग, जो खुद को पुलिसकर्मी बता रहे थे, उनके पिता के बेडरूम में घुसकर बिना गिरफ्तारी वारंट दिखाए उन्हें ले गए। परिवार को उनके खिलाफ दर्ज मामले की कोई पूर्व जानकारी नहीं थी और उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि उन्हें क्यों हिरासत में लिया गया है।

अरुणी ने कहा कि उनके पिता ने 40 साल तक ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ाया। हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के लिए काम किया। अब उन्हें बिना जांच के गिरफ्तार किया जाना गलत है।

हिंदुओं की उत्पीड़न पर बरकत ने किताब लिखी

अबुल बरकत को जापान ने साल 2022 में ‘ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन’ जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान से नवाजा था। बरकत ने साल 2016 में ‘पॉलिटिकल इकोनॉमी ऑफ रिफॉर्मिंग एग्रीक्लचर लैंड-वाटर बॉडीज इन बांग्लादेश’ लिखी थी।

इस किताब में उन्होंने दावा किया था कि 1964 से 2013 के बीच बांग्लादेश से 1.13 करोड़ हिंदू धार्मिक उत्पीड़न की वजह से देश छोड़कर चले गए हैं। बरकत के मुताबिक साल 2016 में हर दिन 632 हिंदू, यानी कि हर साल 2,30, 612 हिंदू देश छोड़ रहे थे। उन्होंने इसी आधार पर चेतावनी दी थी कि अगर ऐसा चलता रहा तो 2046 तक बांग्लादेश में कोई हिन्दू नहीं बचेगा।

बरकत ने अपनी किताब में यह भी बताया कि सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर 60% हिंदुओं की जमीनें छीन ली हैं। प्रोफेसर ने यह किताब अपने बचपन के ‘बुनो’ जनजाति के दोस्त को समर्पित की जिसका अब कही पता नहीं है।

यूनुस पर कट्टरपंथियों के तुष्टिकरण का आरोप

बरकत की गिरफ्तारी को कई लोग सरकारी दमन और नागरिक समाज पर हमला मान रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी को लेकर यह आरोप भी लगे हैं कि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार असहमति की आवाजों को कुचलने की रणनीति पर काम कर रही है। अल्पसंख्यक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यह देश की धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक एकता के लिए गंभीर खतरा है।

बांग्लादेश की जब से नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस सरकार चला रहे हैं, तब से देश में इस्लामी कट्टरपंथ और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आरोप तेज हो गए हैं। यूनुस पर आरोप है कि उन्होंने सरकार में आते ही जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों पर लगे प्रतिबंध हटा दिए, और कई विवादास्पद नेताओं को रिहा किया।

इसके अलावा, उन्होंने छात्र लीग और फिर अवामी लीग जैसी सेक्युलर पार्टियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया। सरकार पर यह भी आरोप है कि उसने स्कूली किताबों में इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया, जिसमें दावा किया गया कि बांग्लादेश की आजादी की घोषणा जियाउर रहमान ने की थी, जिन्हें कट्टरपंथी मुसलमानों का आदर्श माना जाता है।


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