ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने ‘हरिभंगा’ किस्म के 1,000 किलोग्राम आम भारत भेजे हैं। इन्हें PM मोदी, भारत के राजनयिकों और दूसरे अधिकारियों को उपहार में दिए जाएंगे।
भारत के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश के तहत बांग्लादेश की इस पहल को ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ कहा जा रहा है।
इसके तहत अंतरिम सरकार ने न सिर्फ केंद्र सरकार को, बल्कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा को भी हरिभंगा आम भेजे हैं।
ये 300 किलोग्राम आम 60 डिब्बों में पैक करके गुरुवार शाम करीब 5:15 बजे अखौरा लैंड पोर्ट के जरिए भेजे गए।
यूनुस ने आम भेजने की परंपरा जारी रखी
बांग्लादेश में ‘हरिभंगा’ प्रीमियम आम माना जाता है। इनकी गुणवत्ता बहुत अच्छी मानी जाती है। भारत में इसे काफी पसंद किया जाता है।
बांग्लादेशी अखबार डेली सन की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश उच्चायोग के एक अधिकारी ने बताया कि ये आम सद्भावना के प्रतीक के तौर पर भेजे गए हैं और सोमवार को नई दिल्ली पहुंचने वाले हैं।
बांग्लादेश से भारत में आम भेजने की यह परंपरा नई नहीं है। पहले की सरकारें भी भारत को आम भेजती रही हैं। इस बार यह कदम खास इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में हुए बड़े प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटना पड़ा था।
उनके हटने के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में थोड़ी दूरी आ गई थी, क्योंकि हसीना भारत की करीबी मानी जाती थीं। ऐसे में सवाल उठ रहे थे कि क्या इस परंपरा को जारी रखा जाएगा या फिर यह बंद हो जाएगी।
हिल्सा मछली की सप्लाई पर लगी थी रोक
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पिछले साल सितंबर में भारत को हिल्सा मछली का निर्यात रोक दिया था। इसका मकसद घरेलू बाजार में हिल्सा मछली की आपूर्ति सुनिश्चित करना था।
दुर्गा पूजा से पहले हर साल भारत आने वाली यह मछली न केवल स्वाद की वजह से मशहूर है, बल्कि भारत-बांग्लादेश रिश्तों की एक खास पहचान बन चुकी थी, जिसे ‘हिल्सा डिप्लोमैसी’ कहा जाता है।
अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद यह पहला मौका था, जब हिलसा निर्यात पर पूरी तरह रोक लगा दी गई।
बांग्लादेश हर साल दुर्गा पूजा से पहले 1,500 से 2,000 टन तक हिलसा मछली भारत भेजता रहा है। शेख हसीना सरकार के दौरान यह परंपरा शुरू हुई थी। यूनुस सरकार की इस पर रोक लगाने को भारत-बांग्लादेश के बीच आई कड़वाहट माना जा रहा था।
हालांकि, 21 सितंबर को बांग्लादेश ने इस रोक को हटा दिया था और 3000 टन हिल्सा मछली भारत भेजने की मंजूरी दी थी।
2021 में शुरू हुई बांग्लादेश की मैंगो डिप्लोमेसी
मैंगो डिप्लोमेसी का मतलब है- राजनीतिक या कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए आम जैसे फलों का इस्तेमाल ‘उपहार’ के तौर पर करना। इसे ‘सॉफ्ट पावर डिप्लोमैसी’ का हिस्सा माना जाता है।
बांग्लादेश ने PM मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी, और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों (असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा) के मुख्यमंत्रियों को 2600 किलोग्राम हरिभंगा आम उपहार में भेजे।
यह पहल बांग्लादेश-भारत संबंधों में गर्मजोशी लाने के इरादे से की गई थी। इसके अलावा बांग्लादेश ने श्रीलंका, नेपाल, ब्रिटेन, सऊदी अरब, कतर, कुवैत, UAE, इटली, जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, कनाडा, फिलीपींस, स्विट्जरलैंड को भी आम भेजे थे।
बांग्लादेश ने 2021 दुनियाभर में 1,632 टन आम भेजे थे। प्रमुख किस्मों में हरिभंगा, लंगड़ा, हिमसागर, फजली और आम्रपाली शामिल थीं।
भारत ने मैंगो डिप्लोमेसी की शुरुआत की
1960 तक आम चीन में अज्ञात फल माना जाता था। चीन के कई हिस्सों में लोगों ने आम को देखा तक नहीं था। लेकिन बीते 60 साल में आम चीन में इतना लोकप्रिय हो गया है कि यह दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा आम का उत्पादन करने वाला देश बन चुका है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने ही चीन का परिचय आम से कराया था। साल 1955 में भारत ने आम के 8 पौधे चीन भेजे थे। इसमें 3 दशहरी, 2 चौसा और अलफांसो और 1 लंगड़ा आम के थे। भारत, चीन को आम के और कई पौधे भेजने वाला था, लेकिन बाद में दोनों के संबंध बिगड़ गए।
करीब 50 साल बाद, यानी 2003 में, जब तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी चीन के दौरे पर गए, तो भारत और चीन के बीच WTO समझौते के तहत द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते के बाद, पहली बार भारत से आमों की आधिकारिक खेप 2004 में चीन पहुंची।
भारत-बांग्लादेश के बीच संबंध बेहतर करने की कोशिश
PM मोदी और अंतरिम प्रधानमंत्री यूनुस की आखिरी मुलाकात अप्रैल में बैंकॉक में बिम्सटेक सम्मेलन के दौरान हुई थी। यह मुलाकात बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से बेदखली के बाद उनकी पहली सीधी बातचीत थी।
भारत और बांगलादेश के बीच न सिर्फ भौगोलिक नजदीकी है, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते भी बेहद गहरे हैं। दोनों देश 4000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा साझा करते हैं, जो भारत की किसी भी अन्य पड़ोसी देश के साथ सबसे लंबी सीमा है।
बांगलादेश की सीमाएं भारत और म्यांमार से जुड़ती हैं, लेकिन कुल सीमा का 94% हिस्सा सिर्फ भारत से लगता है। इसी कारण बांग्लादेश को अक्सर ‘इंडिया लॉक्ड’ (India-locked) देश भी कहा जाता है, क्योंकि उसके ज्यादातर जमीनी संपर्क भारत के जरिए ही संभव हैं।

थाईलैंड में आयोजित BIMSTEC समिट में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हुई। तस्वीर 4 अप्रैल 2025 की है।
बांग्लादेश, दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर
बांग्लादेश, भारत के लिए एक अहम आर्थिक साझेदार बनकर उभरा है। दक्षिण एशिया में यह भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है, जबकि भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच कारोबार लगातार बढ़ रहा है।
वित्त वर्ष 2022-23 में बांग्लादेश भारत का पांचवां सबसे बड़ा निर्यात बाजार बन गया। उस साल भारत-बांग्लादेश के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 15.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
इसमें मुख्य रूप से भारत से बांग्लादेश को टेक्सटाइल, मशीनरी, कृषि उपकरण, पेट्रोलियम उत्पाद, केमिकल्स और ऑटो पार्ट्स का निर्यात होता है, जबकि बांग्लादेश से भारत में तैयार कपड़े, जूट उत्पाद, और समुद्री खाद्य सामग्री निर्यात होती है।
इन गहरे व्यापारिक रिश्तों के अलावा दोनों देशों की भाषा, धर्म, खानपान, संगीत और साहित्य में भी अद्भुत समानताएं हैं। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सांस्कृतिक धारा कई मामलों में एक जैसी है, जिससे दोनों देशों के लोगों के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी बना हुआ है।

(Bureau Chief, Korba)