Saturday, July 27, 2024
Homeछत्तीसगढ़BCC NEWS 24: छत्तीसगढ़- नक्सलियों के चंगुल से छूटकर आया प्यून बोला:...

BCC NEWS 24: छत्तीसगढ़- नक्सलियों के चंगुल से छूटकर आया प्यून बोला: रात में खिलाई लौकी की सब्जी और भात; आंखों में पट्टी बांधकर घुमाते रहे…

*PMGSY में प्यून पद पर कार्यरत लक्ष्मण प्रतागिरी को नक्सलियों ने 12 नवंबर की शाम को ही रिहा कर दिय। मगर अब तक सब इंजीनियर को रिहा नहीं किया गया है।

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के प्यून को 12 नवंबर की देर शाम नक्सलियों ने अपने चंगुल से रिहा कर दिया है। जिला मुख्यालय में अपने परिवार के बीच पहुंचने के बाद भी प्यून लक्ष्मण प्रतागिरी काफी डरा हुआ है। उसने डरी सहमी आवाज में ही शनिवार को मीडिया से बातचीत की है। प्यून ने बताया कि नक्सलियों ने रात लगभग 8:30 बजे उसे लौकी की सब्जी और भात (चावल) खिलाया था। आंखों में पट्टी बांध कर यहां वहां घुमाते रहे। उसके बारे में पूछताछ भी की। लेकिन किसी तरह से उसे प्रताड़ित या फिर पिटा नहीं गया है।

लक्ष्मण ने बताया कि, 11 नवंबर की दोपहर लगभग 12:30 बजे विभाग के सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा के साथ वह गोरना गांव में सड़क निर्माण कार्य का निरीक्षण करने के लिए गए हुए थे। जब वे लौटने लगे तो बीच रास्ते में 10 से 12 की संख्या में ग्रामीण वेशभूषा धारण किए नक्सली पहुंच गए। उनके हाथों में तीर-धनुष और कुल्हाड़ी थी। हमें रुकवाया और सबसे पहले बाइक की चाबी निकाल ली। जिसके बाद सब इंजीनियर का और मेरा मोबाइल फोन लेकर बंद कर दिए। इसके बाद आंखों में पट्टी बांध कर जंगल की तरफ लेकर चले गए।

सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा को नक्सलियों ने अब तक रिहा नहीं किया है।

सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा को नक्सलियों ने अब तक रिहा नहीं किया है।

दोनों को अलग-अलग इलाके में लेकर गए
लक्ष्मण ने बताया कि, मुझे और सब इंजीनियर को गोरना गांव से ही अलग-अलग कर दिया गया था। हमें पकड़ने के लिए जो नक्सली आए थे, वो महज 20 से 25 की उम्र के ही थे। आंखों में पट्टी बंधी होने की वजह से लक्ष्मण को यह नहीं मालूम कि नक्सली उसे किस दिशा की ओर लेकर गए थे। उतार-चढ़ाव रास्ता पार करने के बाद किसी एक जगह उन्होंने उसे रोका, फिर गोरना गांव आने का कारण पूछा गया। इस बीच रात में खाना खिलाया और रात के अंधेरे में जंगल-जंगल घुमाते रहे। पूरी पूछताछ के बाद नक्सलियों ने लक्ष्मण को 12 नवंबर की शाम रिहा कर दिया था।

गोरना गांव पहुंची थी पत्नी, रिहाई की लगाई गुहार
लक्ष्मण की पत्नी सत्यवती को जब पति के अपहरण की जानकारी मिली तो वो भी गोरना गांव पहुंच गई थी। यहां रोते बिलखते गांव की गलियों में घूमती रही। रास्ते में जो भी ग्रामीण मिलता उससे गुहार लगाती रही कि किसी तरह से नक्सलियों तक कोई मेरी बात पहुंचा दो और मेरे पति को रिहा करवा दो। मेरे पति बेकसूर हैं।

अजय की पत्नी अपने मासूम बेटे के साथ नक्सलियों से गुहार लगाने के लिए जंगल में दर-दर भटक रही है।

अजय की पत्नी अपने मासूम बेटे के साथ नक्सलियों से गुहार लगाने के लिए जंगल में दर-दर भटक रही है।

सब इंजीनियर को अब तक नहीं किया रिहा
गोरना गांव से अपहरण किए गए सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा को नक्सलियों ने अब तक रिहा नहीं किया है। बीजापुर जिले के जंगलों में उन्हें किस ओर रखा गया है, फिलहाल इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। अजय की पत्नी अपने मासूम बेटे के साथ नक्सलियों से गुहार लगाने के लिए जंगल में दर-दर भटक रही है। उन्होंने भी मीडिया और इलाके के ग्रामीणों के माध्यम से पति को छोड़ने के लिए नक्सलियों से गुहार लगाई है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular