Tuesday, May 21, 2024
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BCC NEWS 24: कोरबा- नवा छत्तीसगढ़ के 36 माह: सोलर कोल्ड स्टोरेज छोटे सब्जी उत्पादकों के लिए बने गेम चेंजर…. अब छोटे किसान और स्वसहायता समूह भी कर रहे फल-सब्जियों का भण्डारण, बढ़ी आय

कोरबा 11 दिसंबर 2021(BCC NEWS 24): कोरबा जिले में सौर उर्जा चलित कोल्ड स्टोरेज सब्जी उत्पादक छोटे किसानों और महिला स्वसहायता समूहों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। इन कोल्ड स्टोरेजों में सब्जी उगाने वाले छोटे किसान और महिला समूह अब अपनी सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए आसानी से रख रहे हैं। कोरबा जिले में जिला खनिज न्यास मद से आठ गांवो में ऐसे एक-एक सौर उर्जा चलित कोल्ड स्टोरेज स्थापित किए गए हैं। कोरबा विकासखण्ड में बेंदरकोना और कोरकोमा में, करतला विकासखण्ड में चैनपुर और बुढ़ियापाली में, कटघोरा विकासखण्ड में पड़निया और कसईपाली में तथा पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड में कापूबहरा और जुराली में पांच-पांच टन क्षमता के सोलर कोल्ड स्टोरेज संयंत्र लगाए गए हैं। इन कोल्ड स्टोरेजों का इस्तेमाल करके अभी सब्जी उत्पादक किसान और स्वसहायता समूह की महिला सदस्य अपनी सब्जियों को आसानी से कम खर्च पर स्थानीय स्तर पर ही भण्डारित कर रहीं हैं। इसके लिए उन्हें ना तो बड़े कोल्ड स्टोरेजों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, ना ही बिजली का भारी भरकम बिल भरना पड़ रहा है। कोरबा जिले में संचालित नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी योजना के तहत बनाए गए गौठानों से जुड़कर कई महिला समूह सब्जी उत्पादन का काम कर रहे हैं। ऐसे में इन महिला समूहों को भी इन कोल्ड स्टोरेजों का पूरा लाभ मिल रहा है।

पोड़ी -उपरोड़ा विकासखण्ड के कापूबहरा गौठान में सूर्या स्वसहायता समूह की महिलाएं सब्जी उत्पादन का काम कर रहीं हैं। पिछले सीजन में लगभग साढ़े पांच क्विंटल से अधिक सब्जी का उत्पादन इन महिलाओं ने एक एकड़ रकबे में अपनी मेहनत से किया है। महिलाएं यह सब्जी स्थानीय बाजार सहित कटघोरा के थोक व्यापारियों को भी बेचती हैं। समूह की सदस्य चंदरबाई पटेल बताती हैं कि पहले सब्जी की तोड़ाई पर उसे जल्द से जल्द बेचने की चिंता होती थी। पहले दिन तो ताजी होने के कारण सब्जी आसानी से बिक जाती थी। लेकिन बची सब्जी को खराब होने से बचाने के लिए औने पौने दाम पर ही बेचना पड़ता था। चंदरबाई कहती हैं कि इससे समूह को नुकसान होता था। अब सौर उर्जा से चलने वाला कोल्ड स्टोरेज लग जाने से सब्जियों को उसमें रख देते हैं। सब्जियों इस कोल्ड स्टोरेज में एक-एक हफ्ते तक सुरक्षित और ताजी रहती हैं। जब अच्छा दाम मिलता है तो सब्जियों को बेच देते हैं। इससे स्वसहायता समूह की आमदनी भी बढ़ गई है। चंदरबाई ने बताया कि केवल एक सीजन में ही इस बार साढ़े पांच क्विंटल से अधिक सब्जी बेचकर समूह ने लगभग 20 हजार रूपए की आमदनी कमा ली है।  
महिला समूह से जुड़ी एक अन्य सदस्य सुकंुवर बाई बताती हैं कि सब्जी की खेती पहले एक एकड़ में करते थे। सब्जियों को खराब होने से बचाने का कोई साधन नहीं था। एक-दो दिन में ही सब्जियां बेचनी पड़ती थी। कभी दाम अच्छा मिलता था तो कभी कम दाम में ही बेचकर संतोष करना पड़ता था। परंतु अब कोल्ड स्टोरेज में सब्जियों को रखकर अच्छे दाम पर ही बेचते हैं। इस कोल्ड स्टोरेज में एक-एक महीने तक सब्जियां रखकर उन्हें खराब होने से बचाया जा सकता है। एक अन्य सदस्य श्रीमती दूज बाई श्याम बताती हैं कि सब्जियों को भण्डारित करने का और उन्हें खराब होने से बचाने का पहले कोई साधन नहीं था। इसलिए केवल एक एकड़ में ही सब्जी लगाते थे। मिलने वाले फायदे को समूह की सदस्यों के बीच बराबर बांटते थे। लेकिन फिर भी मेहनत का सही दाम नहीं मिल पाता था। अब कोल्ड स्टोरेज के कारण यह समस्या खत्म हो गई है। अब समूह की सदस्य लगभग दोगुने रकबे में सब्जी लगा रहे हैं। बरबट्टी, बैंगन, पालक, लाल भाजी, टमाटर, लौकी, सेमी से लेकर फलदार पौधे भी अब गौठान की जमीन पर लगाए गए हैं। ताजी सब्जियों के दाम भी अच्छे मिल रहे हैं।
कापूबहरा की ही सब्जी उत्पादक किसान श्रीमती किरण पटेल ने बताया कि वे भी सब्जी की खेती से जुड़ी हैं। पहले सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए कोई सुविधा नहीं थी। सड़ने-गलने से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए औने-पौने दाम पर सब्जियां बेचनी पड़ती थी। परंतु अब कोल्ड स्टोरेज में सब्जियों को रख देते हैं और धीरे-धीरे हर दिन अच्छे दामों पर सब्जिया बिक रहीं हैं। उन्होंने बताया कि अब अढ़ातियों और थोक व्यापारियों पर भी सब्जियों का अच्छा दाम देने का दबाव बनते जा रहा है। इससे स्वसहायता समूहों के साथ-साथ आसपास के सब्जी उगाने वाले किसानों को भी अच्छा फायदा हो रहा है।
क्रेडा विभाग के कार्यपालन अभियंता श्री एन. के. राय ने बताया कि जिला खनिज न्यास मद से सब्जी उत्पादक गौठानों के आसपास ऐसे आठ कोल्ड स्टोरेज स्थापित किए गए हैं। यह कोल्ड स्टोरेज पूरी तरह सोलर एनर्जी पर आधारित हैं। इन कोल्ड स्टोरेजों का उपयोग साग-सब्जी के साथ-साथ फूलों और महुआ, टोरा, चार-चिरौजी जैसे वनोपजों को भी लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किया जा सकता है। श्री राय ने बताया कि सरकार के स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से ही की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों में यह सौर उर्जा चलित कोल्ड स्टोरेज गेम चेंजर की भूमिका निभा सकते हैं। इससे सब्जी उगाने वाले किसानों के साथ-साथ फूलों की खेती करने वाले किसानों, मछली उत्पादक किसानों और वनोपज संग्राहकों को भी अच्छा फायदा हो सकता है।

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