Friday, May 3, 2024
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BCC NEWS 24: गरीब की गाय से बढ़ेगी ग्रामीणों की आय, 122 हितग्राही बकरी पालन से जुड़ेंगे मुख्यमंत्री के निर्देश पर अमल शुरू, 34 हितग्राहियों को बकरियों का वितरण भी हुआ…


(कोरबा BCC NEWS 24) कोरबा जिले के ग्रामीण इलाकों में लोगों को बकरी पालन से जोड़कर उनकी आय बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस मंे भी ग्रामीणों को बकरी पालन से जोड़ने के निर्देश दिए थे। इन्ही निर्देशों पर अमल करते हुए कोरबा जिले में 122 हितग्राहियों को बकरी पालन से जोड़ने की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 34 हितग्राहियों को राष्ट्रीय लाईव स्टॉक मिशन के तहत बकरियां भी वितरित की गई है। सुव्यवस्थित तरीके से  बकरी पालन के लिए इन ग्रामीणों को मनरेगा के तहत बकरी शेड भी बनाकर दिए जाने की योजना है। जिले के कोरबा विकासखण्ड से 29, कटघोरा विकासखण्ड से 26, पाली और करतला विकासखण्ड से 24-24 तथा पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड से 19 हितग्राहियों को बकरी पालन से जोड़ने के लिए चयनित किया गया है। इन हितग्राहियों को 90 प्रतिशत शासकीय अनुदान पर दस बकरियां और एक उन्नत नस्ल का बकरा दिया जाएगा।
पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉ. एस. पी. सिंह ने बताया कि खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आय के लिए बकरी पालन ग्रामीणों के बीच प्रचलित पुराना तरीका है। डॉ. सिंह ने बताया कि कोरबा जिले में 122 हितग्राहियों को अधिकतम 66 हजार रूपए मूल्य की 10 बकरियां और एक बकरे की यूनिट पर 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस राशि में बकरी इकाई का बीमा और बीमार होने पर दवाई आदि का खर्चा तथा परिवहन व्यय भी शामिल है। डॉ. सिंह ने बताया पशुपालन विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रकरण बनाकर स्वीकृति उपरांत चयनित हितग्राही दस बकरियां और एक बकरा स्वयं खरीदते हैं। इस यूनिट का सत्यापन करने के बाद प्रस्तुत देयक के अनुसार 90 प्रतिशत अनुदान राशि हितग्राहियों के बैंक खातों में सीधे जमा की जाती है। डॉ. सिंह ने बताया बकरी छोटा जानवर होने के कारण इसके रख-रखाव में लागत भी कम होता है. सूखा पड़ने के दौरान भी इसके खाने का इंतज़ाम सरलता से हो सकता है. इसकी देखभाल भी  महिलाएं एवं बच्चे आसानी से कर सकते हैं और साथ ही जरुरत पड़ने पर इसे आसानी से बेचकर अपनी जरूरत भी पूरी की जा सकती है। बकरी पालन करने के लिए पशुपालक को अलग से किसी आश्रय स्थल की जरूरत भी नहीं पड़ती। उन्हें वे अपने घरों पर ही आसानी से रख सकते हैं। बकरियां गांवो और जंगलों में घूम फिर कर अपना भोजन आसानी से प्राप्त कर लेती है, इसलिए इनके लिए अलग से दाना-भूसा आदि की व्यवस्था बहुत कम मात्रा में करनी पड़ती है।
डॉ. सिंह ने बताया कि एक बकरी लगभग डेढ़ वर्ष की उम्र में प्रजनन करने की स्थिति में आ जाती है और 6-7 माह में प्रजनन करती है। प्रायः एक बकरी एक बार में 03 से 04 बच्चों को जन्म देती है। एक साल में दो बार प्रजनन करने से इनकी संख्या में वृद्धि होती है। प्रायः बकरी के बच्चे को एक वर्ष तक पालने के बाद ही बेचा जाता है। डॉ. सिंह ने बताया कि जरूरत के समय बकरियों को बेचकर आसानी से नकद पैसा प्राप्त किया जा सकता है। बकरी पालन करने के लिए किसी भी प्रकार की तकनीकी ज्ञान की जरुरत नहीं पड़ती। यह व्यवसाय बहुत तेजी से फैलता है। इसलिए यह व्यवसाय कम लागत में अधिक मुनाफा देना वाला है। इनके लिए बाजार स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध है। अधिकतर व्यवसायी गांव से ही आकर बकरी-बकरे को खरीदकर ले जाते हैं। इस कारण से बकरी पालन कम समय मे अधिक फायदा देने वाला ग्रामीण रोजगार का बेहतर साधन है।

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