रायपुर: राजधानी में अक्टूबर महीने का बिजली बिल अब लोगों के पास आ रहा है और बिल की राशि से पूरी राजधानी में खलबली मच गई है। हर किसी को उसका बिल एक हजार से 5 हजार रुपए तक ज्यादा लग रहा है। इसकी ढेरों शिकायतें हर बिजली दफ्तर में पहुंच रही हैं। इस वजह से भास्कर ने बढ़े हुए बिल की पड़ताल की, तब पता चला कि बिजली कंपनी ने इस बार सुरक्षा निधि की बची राशि अचानक जोड़ दी है।
दरअसल बिजली कंपनी सालभर के बिल को जोड़कर दो माह के औसत बिल के बराबर सुरक्षा निधि जमा रखती है। दो साल पहले की जमा की तुलना में अब औसत बिल बढ़ गए हैं, इसलिए बैलेंस राशि इस महीने के बिल में जोड़ी है, जिससे हर किसी का बिजली बिल बढ़ गया है। कोरोना की वजह से दो साल तक कंपनी ने सुरक्षा निधि की राशि का रिवीजन नहीं किया था। इस महीने तक इसे रिवाइज कर बैलेंस राशि िबल में जोड़कर भेजी तो मध्यक्रम के बिजली उपभोक्ताओं (हजार से 2 हजार के बीच) को उनका बिल लगभग दोगुना लगा।
राजधानी में लगभग साढ़े 3 लाख बिजली उपभोक्ता हैं और बिजली अफसरों का दावा है कि बिलों की शिकायत लेकर शहर के डेढ़ दर्जन बड़े-छोटे बिजली दफ्तरों में 10 हजार से ज्यादा लोग पहुंच चुके हैं। बिजली अफसर शिकायत लेकर पहुंचे लोगों को बता रहे हैं कि सुरक्षा निधि रिवाइज हुई है और इसीलिए बची रकम उपभोक्ताओं से ली जा रही है। इसलिए बिल थोड़ा अधिक लग रहा है। यह सुरक्षा निधि कंपनी के पास उपभोक्ताओं की अमानत है। कनेक्शन कटने पर यह लौटाई जाएगी। कंपनी इस रकम पर लोगों को 4.25% सालाना की दर से ब्याज भी देगी, जो बिल में एडजस्ट होगा।
भास्कर नाॅलेज; सालभर का बिल जोड़ एक माह का औसत निकाला, यह राशि डबल की, इसका व जमा सुरक्षा निधि का बैलेंस बिल में जोड़ा
बिजली कंपनी नया कनेक्शन देने के साथ ही लोगों से सुरक्षा निधि जमा करवा लेती है। यह सुरक्षा निधी दो महीने के औसत बिजली बिल होती है। पिछले सालभर की खपत के आधार पर दो महीने का औसत बिल कंपनी के पास जमा रहना चाहिए। इसमें कमी होने पर बिजली कंपनी रिवाइज कर अतिरिक्त रकम वसूलती है। बिजली कंपनी ने पिछले दो साल इसे रिवाइज नहीं किया। यानी अभी कंपनी के पास जो सुरक्षा निधि जमा है वह दो साल पहले के आधार पर है।
इन दो सालों में लोगों की बिजली की खपत और टैरिफ में भी अंतर आया है। अभी जो अतिरिक्त सुरक्षा निधि ली जा रही है वह पिछले सालभर की औसत खपत के दो महीने के बिल पर है। इसलिए अतिरिक्त वसूली की जा रही है। जैसे किसी व्यक्ति का पिछले सालभर का बिल 24000 है। महीने का औसत बिल दो हजार और दो महीने का बिल 4000 होगा। कंपनी को उस उपभोक्ता का चार हजार रुपए अपने पास रखना अनिवार्य है। दो साल पहले यदि कंपनी के पास मान लो उपभोक्ता की तीन हजार रुपए सुरक्षा निधि जमा है तो कंपनी अतिरिक्त एक हजार को अक्टूबर के बिल में जोड़कर भेज रही है।
क्या है सुरक्षा निधि
सुरक्षा निधि के रूप में बिजली कंपनी अपने पास कुछ रकम जमा करके रखती है। यह इसलिए किया जाता है क्योंकि बिजली कंपनी लोगों को पहले बिजली बेचती है, उसके बाद उसकी कीमत वसूलती है। मीटर रीडिंग होने और उसके बाद कंपनी तक बिल का भुगतान होने में डेढ़ से दो महीने लगते हैं। इसके बाद यदि किसी ने बिल नहीं जमा किया तो कंपनी को नुकसान होता है, जिसे कंपनी इसी सुरक्षा निधि से एडजस्ट करती है। विद्युत विनियामक आयोग ने बिजली कंपनी को सुरक्षा निधि लेने का अधिकार दिया है। कंपनी के अधीक्षण अभियंता मनोज वर्मा ने कहा कि सुरक्षा निधि इस साल स्थिति सामान्य होने की वजह से रिवाइज की गई है। इसे ही बिल के साथ भेजा गया है।