Sunday, September 29, 2024




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BCC News 24: छत्तीसगढ़ में नकली मेडिसिन का बड़ा कारोबार…मेडिकल स्टोर से जप्त फेविमैक्स-200 दवा की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा; दवा में फेविमैक्स का जीरो कंटेंट मिला, यही दवा दूसरी लहर में जमकर बिकी…

रायपुर: कोरोना की दूसरी लहर में दी गई फेविमैक्स-200 की दवा में कोई कंटेंट ही नहीं था। बल्कि यह चूने की गोली से ज्यादा कुछ नहीं निकली। दरअसल, रेमडेसिविर इंजेक्शन के अलावा जिस फेबिपिरावीर (फेविमैक्स) दवा को बेहद इफेक्टिव मानी गई, छत्तीसगढ़ की कुछ दुकानों में इसी नाम की घटिया क्वालिटी की दवा सप्लाई किए जाने का खुलासा हुआ है।

यह गुजरात में जब्त फेविमैक्स-200 दवा की जांच के बाद हुआ, क्योंकि वहीं से इसे छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश समेत कई राज्यों में सप्लाई किया गया था। जब दूसरी लहर ढलान पर थी, ठीक उसी समय यानी जुलाई में गुजरात की सूचना पर छत्तीसगढ़ के ड्रग कंट्रोलर ने दुर्ग में फरीदनगर के एक मेडिकल स्टोर में छापा मारकर फेविमैक्स दवा जब्त की और राज्य की प्रयोगशाला में इसकी जांच करवाई।

करीब 5 महीने बाद पिछले हफ्ते जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला यह तथ्य सामने आया कि जब्त दवा में फेविमैक्स-200 का कोई कंटेंट ही नहीं था। बल्कि यह चूने की गोली से ज्यादा कुछ नहीं निकली। इसके बाद छत्तीसगढ़ का ड्रग विभाग उस मेडिकल रिप्रजेंटेटिव तक पहुंचा, जिसने दवा सप्लाई की थी। उससे पता चला कि यह दवा हिमाचल प्रदेश के भद्दी की कंपनी मैक्स रिलीफ हेल्थ केयर से बनकर आई। गुजरात और हिमाचल के ड्रग विभाग के अफसरों से पूछताछ की तो सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि मैक्स रिलीफ हेल्थकेयर नाम की कंपनी कागज पर ही थी, भद्दी में ऐसी किसी कंपनी का दफ्तर या फैक्ट्री नहीं है।

यहां भी की गई सप्लाई; कई राज्यों में सप्लाई की बात आई सामने, लाखों लोगों ने खाई दवा
अब तक गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में इस दवा की सप्लाई की बात सामने आई है। फरीदनगर के मेडिकल स्टोर से 200 स्ट्रिप जब्त की गई है। अधिकारियों का कहना है कि अभी जांच जारी है कि और कहां-कहां यह दवा सप्लाई हुई है। ऐसा अनुमान है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इन राज्यों में लाखों लोगों ने इस कंपनी द्वारा बनाई गई फेवीमैक्स-200 नामक दवा खाई होगी। छत्तीसगढ़ ड्रग विभाग ने गुजरात में इस कंपनी से जुड़े लोगों के बारे में गुजरात ड्रग विभाग से जानकारी मांगी है ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सके।

नसबंदी कांड
8 नवंबर 2014 को बिलासपुर के पेंडारी में हुए नसबंदी आपरेशन में 18 महिलाओं की जान चली गई थी। जांच में दावा किया गया था कि वहां इस्तेमाल सिप्रोसिन और आईबूप्रोफेन दवा घटिया थी। इस मामले में दवा निर्माताओं के साथ-साथ सर्जन को भी गिरफ्तार किया गया था।

आंखफोड़वा कांड
राज्य में 2014 से 2018 तक बागबाहरा, कवर्धा और राजनांदगांव में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद कई लोगों ने आंखें गवाईं थीं। ज्यादातर मामलों में इस्तेमाल दवा की जांच हुई, जिसमें यह बात सामने आई थी कि आंखें साफ करने में उपयोग किया गया स्प्रिट अमानक था।

हिमाचल का दावा- जिस कंपनी ने दवाई बनाई, उसका कोई अस्तित्व नहीं
भास्कर ने पकड़ी गई फेविमैक्स-200 की जांच रिपोर्ट आने के बाद छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग से संपर्क किया। गुजरात के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने कंपनी, सप्लायर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी है। इसके बाद हिमाचल के ड्रग अफसरों से बात की गई तो उन्होंने कह दिया कि भद्दी में ऐसी कोई कंपनी ही नहीं है। हिमाचल प्रदेश के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने भास्कर को फोन पर बताया कि मैक्स रिलीफ हेल्थकेयर कंपनी के संबंध में क्वैरी आई थी।

हमने तभी बता दिया था कि भद्दी में इस नाम की कोई कंपनी अस्तित्व में ही नहीं है। यह हिमाचल प्रदेश और यहां की दवा इंडस्ट्री को बदनाम करने की साजिश हो सकती है। इसके पीछे कोई बड़ा रैकेट भी हो सकता है। दवाइयों की क्वालिटी के मामले में सभी राज्य इसीलिए तालमेल और समन्वय से कम कर रहे हैं। इससे यह साफ हो गया कि कोरोना काल में देशभर में ऐसे रैकेट चले, जिन्होंने आपदा को अवसर बनाकर बड़े पैमाने पर स्पूरियस नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई का खुलासा तो कोरोना की दूसरी लहर के पीक के बाद ही हो गया था।

छत्तीसगढ़ ड्रग विभाग
^गुजरात एफडीए से लिंक मिला था, जिसके बाद दुर्ग के एक मेडिकल स्टोर से सैंपलिंग की गई। दवा स्पूरियस पाई गई है। अभी एमआर से और जानकारी ली जा रही है। कंपनी अस्तित्व में ही नहीं है।
-बेनीराम साहू, असिस्टेंट कमिश्नर, ड्रग विभाग

गुजरात ड्रग विभाग
हमारे यहां फेविमैक्स 200 स्पूरियस पाई गई थी। पता चला कि यह छत्तीसगढ़, मुंबई और आगरा में सप्लाई की गई। गुजरात में एफआईआर के बाद हमने इन राज्यों को सूचित कर दिया। दवा में जीरो कंटेंट था।
-वाईसी दर्जी, असिस्टेंट ड्रग कमिश्नर आईबी, गुजरात एफडीए

एक्सपर्ट व्यू; दवा असर नहीं करे तो डाॅक्टर को बताएं
स्पूरियस ड्रग अगर एक बार सिस्टम में आ गए उन्हें बाहर निकाल पाना मुश्किल होता है। इन्हें नग्न आंखों से नहीं पहचान सकते। अगर दवा असर नहीं कर रही है तो मरीजों को डॉक्टरों को शिकायत करनी चाहिए। डॉक्टर को संज्ञान में लेकर एफडीए को सूचना देनी चाहिए। स्पूरियस ड्रग कई प्रकार से हो सकती हैं। जैसे- जो दवा बताई गई है, वह नहीं है। या कम डोज है। या एक्सपायरी होने के बाद उसका लेवल ही बदल िदया गया है। देखिए, स्पूरियस या सब स्टैंडर्ड दवाओं को लेकर कार्रवाई के नियम सख्त हैं। मगर, नियमित कार्रवाई की आवश्यकता है।
-डाॅ. एसपी धनेरिया, डीन व एचओडी फार्मा-एम्स रायपुर

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