बिलासपुर: प्रदेश के राजस्व व प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल का कहना है की जमीन संबंधी मामले की जांच करने का अधिकार पुलिस को नहीं है। राजस्व विभाग अपना काम करता है और राजस्व में व्यवस्था बनी हुई है। पटवारी, आरआई, नायब तहसीलदार, डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम, कलेक्टर व कमिश्नर का पूरा चैनल है। मान लो किसी ने सीमांकन कराया। सीमांकन सही हुआ या गलत हुआ है, उसे पुलिस कैसे जांच करेगी। सीमांकन की जांच तो रेवेन्यू का अधिकारी ही करेगा।
अगर गलत हुआ है तो उसके ऊपर का अधिकारी उसे निरस्त करेगा। दोबारा सीमांकन करेगा। कई लोग जो जमीन के मामले में फर्जी शिकायत कर देते हैं कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। कई लोग ऐसे भी होंगे जो झूठी शिकायत कर देंगे कि मेरी जमीन का सौदा हुआ था और मेरे से लाखों रुपए ले लिया। इस मामले में एफआईआर करने में पुलिस क्या जांच करेगी? कैसे प्रमाणित करेगी कि पैसा लिया है या नहीं? इसलिए कायदा कहता है कि डिपार्टमेंट उसमें एफआईआर कराए या शिकायत करें।
मान लीजिए रेवन्यू डिपार्टमेंट शिकायत करता है कि ऐसी ऐसी गड़बड़ी हुई है चाहे वह अधिकारी, कर्मचारी हो या उसके साथ मिलीभगत कर जमीन खरीदी बिक्री करने वाला हो तो उसमें जांच करने का अधिकार है। विभाग इसमें एफआईआर कराए तो पुलिस को एफआईआर करने के बाद जांच करने का अधिकार है। पिछली सरकार के समय बहुत से डिपार्टमेंट में भर्तियां नहीं हुईं। इसलिए लगातार कोशिश जारी है कि अभी भर्तियां हों।
अपमान होने पर जनप्रतिनिधि को अपनी बात रखने का अधिकार है
शहर विधायक शैलेष पांडेय को राज्योत्सव में नहीं बुलाने पर कलेक्टर पर राजद्रोह का केस दर्ज करने की मांग के पूछे गए सवाल में प्रभारी मंत्री ने कहा कि अगर किसी जनप्रतिनिधि का अपमान होगा तो वह अपनी बात रखेगा और उसको अपनी बात रखने का अधिकार है। अकबर खान मामले में कहा कि इसमें पुलिस व संगठन अपना काम कर रहा है।