नई दिल्ली: भारत 14 जुलाई को दोपहर 2.3 बजे श्रीहरिकोटा से स्पेसशिप चंद्रयान-3 लॉन्च करेगा। इसरो ने यह जानकारी दी है। इसके पहले इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया था कि चंद्रयान 12 जुलाई से 19 जुलाई के बीच लॉन्च होना है। यान पूरी तरह तैयार है। इसे बुधवार को ही लॉन्चिंग यान में फिट किया गया था। इस मिशन का पूरा बजट 651 करोड़ रुपए का है।
अगर चंद्रयान-3 का लैंडर चांद पर उतरने में सफल होता है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपने स्पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं।
इस मिशन में भारत चांद की धरती पर एक लैंडर उतारेगा। चंद्रयान-3 में एक रोवर भी है जो चंद्रमा की धरती पर घूमेगा और वहां कुछ प्रयोग करेगा।
पहले जान लेते हैं चंद्रयान-2 के साथ क्या हुआ था
चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। 14 अगस्त को लैंडर और रोवर ने पृथ्वी की कक्षा छोड़ी थी। 6 दिन बाद इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। 6 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हुआ था। मिशन के अनुसार विक्रम लैंडर को 7 सितंबर को भारतीय समय के अनुसार रात को 1 से 2 बजे के बीच लैंड करना था, लेकिन इससे पहले ही इसरो से विक्रम लैंडर का संपर्क टूट गया था।
उस समय लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर था। चंद्रयान ने 48 दिन में 30844 लाख किलोमीटर की यात्रा की थी। मिशन पर 978 करोड़ रुपए का खर्च आया था।
विक्रम लैंडर से भले निराशा मिली है लेकिन यह मिशन नाकाम नहीं रहा है, क्योंकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद की कक्षा में अपना काम किया है। इस ऑर्बिटर में लगे कई साइंटिफिक उपकरण अच्छे से काम करते रहे। लैंडर को चंद्रम के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था।
इसके बाद से ही भारत चंद्रयान-3 मिशन की तैयारी कर रहा है।
चंद्रयान-3 के स्पेसशिप की यह तस्वीर इसरो की तरफ से जारी की गई है।
चांद की धरती की पड़ताल के लिए इंस्ट्रूमेंट्स लगाए
चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा की थर्मोफिजिकल प्रापर्टीज यानी वहां का तापमान आदि कैसा है का पता लगाएगा। साथ ही लूनार सिस्मिसिटी यानी चांद पर भूकंप कैसे आते हैं और कितने आते हैं इसका भी डेटा लेगा। चांद की सतह पर प्लाज्मा एनवायरन्मेंट और वहां की मिट्टी में कौन से तत्व हैं यानी चांद पर एलीमेंटल कंपोजिशन कैसा है इसकी स्टडी करेगा। इसके लिए यान में वैज्ञानिक उपकरण भी लगाए गए हैं।
इसरो ने बुधवार को चंद्रयान-3 की तैयारियों को लेकर वीडियो जारी किया था।
मार्च में पास कर लिए थे टेस्ट इसी साल मार्च महीने में चंद्रयान-3 ने लान्चिंग के दौरान होने वाले वाइब्रेशन और साउंड वाइब्रेशन को सहन करने की अपनी क्षमताओं का टेस्ट सफलतापूर्वक पास कर लिया था।
इसरो चीफ बोले- हमने चंद्रयान-2 की गलतियों से सीखा
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन में हम असफल हुए थे। जरूरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों, लेकिन बड़ी बात ये है कि हम इससे सीख लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि असफलता मिलने का मतलब ये नहीं कि हम कोशिश करना ही बंद कर दें। चंद्रयान- 3 मिशन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और हम इतिहास रचेंगे।
अब पढ़िए चंद्रयान-3 क्या है …
चंद्रयान मिशन के तहत इसरो चांद पर पहुंचना चाहता है। भारत ने पहली बार 2008 में चंद्रयान-1 की सक्सेसफुल लॉन्चिग की थी। इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में भारत को असफलता मिली। अब भारत चंद्रयान-3 लॉन्च करके इतिहास रचने की कोशिश में है। इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी।
चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक पहुंचाने के तीन हिस्से
इसरो ने स्पेस शिप को चंद्रमा तक पहुंचाने के लिए तीन हिस्से तैयार किए हैं, जिसे टेक्निकल भाषा में मॉड्यूल कहते हैं। चंद्रयान-3 मिशन में मॉड्यूल के 3 हिस्से हैं…
चंद्रयान-2 में इन तीनों के अलावा एक हिस्सा और था, जिसे ऑर्बिटर कहा जाता है। उसे इस बार नहीं भेजा जा रहा है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से ही चंद्रमा के चक्कर काट रहा है। अब इसरो उसका इस्तेमाल चंद्रयान-3 में करेगा।