Monday, November 4, 2024




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BIG NEWS: पेट्रोल-डीजल 10 रुपए सस्ता हो सकता है… 1 साल में क्रूड ऑयल के दाम 15% तक गिरे, तेल कंपनियों का मुनाफा 5 गुना बढ़ा

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल 10 रुपए सस्ता हो सकता है। इसकी वजह है कच्चे तेल के दामों में गिरावट। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले से जुड़े आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि फरवरी में कटौती की जा सकती है।

दरअसल, एक साल में क्रूड ऑयल की कीमत में 12% की गिरावट आ चुकी है, लेकिन ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने इस दौरान दामों को कम नहीं किया है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने आखिरी बार अप्रैल 2022 में पेट्रोल-डीजल के दाम घटाए थे। अभी देश के ज्यादातर हिस्से में पेट्रोल 100 रुपए और डीजल 90 रुपए प्रति लीटर से ऊपर बने हुए हैं।

ये कंपनियां अभी प्रति लीटर करीब 10 रुपए की कमाई कर रही हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक इंडियन ऑयल (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (HPCL) का मुनाफा करीब 5 गुना बढ़ा है।

2 गुना बढ़ी सरकारी तेल कंपनियों की कमाई
IOCL, BPCL और HPCL को वित्त वर्ष 2022-23 में 33,000 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। वहीं इस वित्त वर्ष (2023-24) में ये मुनाफा 1 लाख करोड़ के ऊपर निकलने का अनुमान है। यानी इसमें 3 गुना की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। FY24 की दूसरी तिमाही तक, तीनों कंपनियों को मिलाकर 57,091.87 करोड़ रुपए हुआ है, जो कि वित्त वर्ष 2022-23 में 1,137.89 रुपए था, यानी इसमें अब तक 4,917% (5 गुना) की बढ़ोतरी हुई है।

कंपनियों के पास पेट्रोलियम के दाम 10 रुपए घटाने की गुंजाइश
एक्सपर्ट्स के अनुसार ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल और डीजल पर फिलहाल करीब 10 रुपए प्रति लीटर कमाई कर रही हैं। इस लिहाज से देखें तो उनके पास इनकी कीमतें कम करने की पर्याप्त गुंजाइश है। ऐसा करने पर अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।

सरकारें पेट्रोल-डीजल पर वसूलती हैं मोटा टैक्स
हमारे देश में पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज तो अभी 57 रुपए के करीब ही है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें इस पर टैक्स लगाकर इसे 100 रुपए पर पहुंचा देती हैं। इस पर केंद्र सरकार 19.90 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं, जिसके बाद इनका दाम बेस प्राइज से 2 गुना तक बढ़ जाता है।

भारत में कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी। 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया।

अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।

Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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