Tuesday, May 7, 2024
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Big News: छत्तीसगढ़ में सुहाना मौसम, टूरिस्ट प्लेस में बढ़ी भीड़… घने जंगल और सुंदर वादियों के बीच देवधारा और गोडेना जलप्रपात पहुंचने लगे सैलानी; सोंढुर बांध पर बोटिंग, ट्रैकिंग, खाने-पीने, कॉटेज की सुविधा

Gariyaband: जिले में स्थित उदंती सीतानदी अभयारण्य (Udanti Sitanadi Sanctuary) का रुख अब सैलानी (tourist) करने लगे हैं। नक्सली गतिविधियों के कारण पिछले 10 वर्षों से ये बंद पड़ा हुआ था। लाल साए का खौफ हटते ही 15 अक्टूबर से इसे पर्यटकों के लिए खोला गया है। यहां देवधारा, गोडेना जलप्रपात, सोंढूर जलाशय, चौकसील धार्मिक पर्वत स्थल, बोतल धारा जलप्रपात, शेषपगार, आमामोरा ओढ़ की पहाड़ियों समेत कई पर्यटन स्थल मौजूद हैं।

घने जंगल और सुंदर वादियों के बीच यहां देवधारा और गोडेना जलप्रपात (Deodhara and Godena Falls) है, जो लोगों का मन मोह लेता है। यहां आकर लोग सुकून महसूस करते हैं। यहां मौजूद वन भैंसा प्रजनन केंद्र में दुर्लभ प्रजाति के वन भैंसे भी मौजूद हैं। मुचकुन्द, गौतम, टांगरी और अंगीरा ऋषि जैसी ऊंची चोटियों पर ट्रैकिंग भी शुरू कर दी गई है। सोंढूर बांध पर बोटिंग की भी सुविधा भी शुरू की गई है। बर्ड वॉचिंग और मेचका में ईको पार्क का भी लुत्फ उठाया जा सकता है।

जलप्रपात देखने पहुंच रहे हैं लोग।

जलप्रपात देखने पहुंच रहे हैं लोग।

पहले से करा सकते हैं बुकिंग

इन सब तक पहुंचने के लिए जिप्सी की सुविधा मौजूद है। इतना ही नहीं यहां ठहरने के लिए कॉटेज, खाना-पीना, गाइड इन सबकी बुकिंग आप पहले से ही उदंती सीतानदी अभयारण्य के पोर्टल पर जाकर कर सकते हैं।

जिप्सी की भी व्यवस्था।

जिप्सी की भी व्यवस्था।

नौका विहार के लिए मोटरबोट की सुविधा

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के मैनपुर से महज 28 किमी दूरी पर सोंढुर जलाशय स्थित है। इस जलाशय की लंबाई लगभग 3138.75 मीटर, चौड़ाई 4.57 मीटर और अधिकतम उंचाई 26.70 मीटर है। इस बांध में वन विभाग द्वारा आकर्षक गार्डन का निर्माण किया गया है। मुचकुंद ऋषि मंदिर तक जीर्णोद्धार भी कराया गया है। सोंढूर जलाशय में 4 मोटरबोट की व्यवस्था की गई है, जिसमें लाइफ जैकेट के साथ सभी सुविधा मौजूद है। नौका विहार करने के लिए पहले पंजीयन कराना पड़ता है।

उदंती अभयारण्य के पास है सोंढुर जलाशय।

उदंती अभयारण्य के पास है सोंढुर जलाशय।

प्रशिक्षत ट्रेनर द्वारा नौका विहार

प्रशिक्षत ट्रेनर द्वारा यहां नौका विहार कराया जा रहा है। ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने लकड़ी और बांस से दो विश्राम गृह बनाया गया है। यहां कैंटीन, भोजन जलपान की भी व्यवस्था है। वन प्रबंधन समिति मेचका, बेलरबाहरा, तुमड़ीबहार, बरपदर, सोंढूर द्वारा इसका संचालन किया जाएगा। इसके साथ ही दो जिप्सी की भी व्यवस्था है। इस जिप्सी में पर्यटक पूरे उदंती सीतानदी अभयारण्य क्षेत्र की सैर कर सकेंगे। देश के लगभग सभी टाइगर रिजर्वों में यह सुविधा थी, लेकिन उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में अब तक जिप्सी से घूमने की सुविधा नहीं थी। अब ये सुविधा उपलब्ध हो जाने से आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में दूर-दूर से पर्यटक पहुंचेंगे और यहां विकास भी तेजी से होगा।

नैसर्गिक खूबसूरती का दीदार करते लोग।

नैसर्गिक खूबसूरती का दीदार करते लोग।

120 तरह के वन्यजीव मौजूद

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व गरियाबंद जिले और धमतरी जिले के वन परिक्षेत्रों को मिलाकर 2009 में घोषित किया गया है और यह 1842.54 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। राजकीय पशु वनभैंसे के साथ ही उदंती अभयारण्य में बड़ी संख्या में तेंदुआ, नीलगाय, बायसन, गौर, जंगली सुअर, सोनकुत्ते सहित 120 तरह के वन्यजीव मौजूद हैं।

दुर्लभ वन्यजीवों के लिए जाना जाता है उदंती अभयारण्य।

दुर्लभ वन्यजीवों के लिए जाना जाता है उदंती अभयारण्य।

अभयारण्य में ये हैं मुख्य टूरिस्ट स्पॉट

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में राजकीय पशु वनभैंसा संरक्षण संवर्धन केन्द्र के अलावा देवदाहरा जलप्रपात, गोढ़ेना जलप्रपात, चौकसील धार्मिक पर्वत स्थल, बोतल धारा जलप्रपात, शेषपगार, आमामोरा ओढ़ के पहाड़ी मे कई मनमोहक जलप्रपात के अलावा सीतानदी में सोंढूर जलाशय और दर्जनों जलप्रपात के साथ सालों पुराने विश्राम गृह स्थापित हैं। उदंती अभयारण्य में पर्यटकों के लिए अभी वन विभाग विश्राम तौरेंगा में 4 कमरे, करलाझर में दो कमरे, कोयबा में दो कमरे, जुगाड़ में दो कमरे उपलब्ध हैं, जो सर्व सुविधायुक्त हैं।

सर्वसुविधायुक्त कॉटेज की भी सुविधा।

सर्वसुविधायुक्त कॉटेज की भी सुविधा।

6 साल बाद दुर्लभ वन्यप्राणियों को फिर से देखने का मिल रहा है मौका

उदंती सीतानदी अभयारण्य अपनी नैसर्गिक खूबसूरती के लिए 2012 से पहले तक स्वर्ग हुआ करता था, लेकिन इसके बाद जिले में नक्सली घटनाएं काफी बढ़ गईं। 2015 से यहां टूरिज्म को भारी झटका लगा। करीब 6 सालों से उदंती सीतानदी अभयारण्य प्रशासन ने वन भ्रमण और रिसॉर्ट की बुकिंग बिल्कुल बंद कर दी थी। अब 15 अक्टूबर से इस अभयारण्य को दोबारा लोगों के खोल दिए जाने से लोग फिर से दुर्लभ वन्यप्राणियों का दीदार कर पा रहे हैं।

गुफा में ऋषि की मूर्ति।

गुफा में ऋषि की मूर्ति।

पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश

नक्सली घटनाओं पर लगाम लग चुकी है। अभयारण्य के पास इंदागांव और जुगाड़ में थाने भी खोल दिए गए हैं। सुरक्षा बलों की कम्पनियां भी यहां तैनात की गई हैं। जिसके बाद अब यहां पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। सैलानी उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में आने के लिए फिर से आकर्षित हो सकें, इसके लिए वन प्रबंधन समिति ने यहां पूरी व्यवस्था की है। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि आने वाले दिनों में टाइगर रिजर्व में पैरा ग्लाइडिंग और अन्य पर्यटन सुविधाएं भी उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है।

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