बाकू: भारत के युवा चेस खिलाड़ी रमेशबाबू प्रगनानंदा का FIDE वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूट गया है। उन्हें 5 बार के वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन ने फाइनल के टाईब्रेकर में 1.5-0.5 से हराया।
टाईब्रेकर का पहला रैपिड गेम नॉर्वे के खिलाड़ी ने 47 मूव के बाद जीता था। दूसरा गेम ड्रॉ रहा और कार्लसन चैंपियन बन गए। इससे पहले, दोनों ने क्लासिकल राउंड के दोनों गेम ड्रॉ खेले थे।
प्रगनानंदा अगर यह मुकाबला जीत जाते तो 21 साल बाद कोई भारतीय यह टाइटल जीतता। इससे पहले विश्वनाथन आनंद ने 2002 में इस चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी। तब प्रगनानंदा पैदा भी नहीं हुए थे।
पहली बार चैंपियन बने कार्लसन
मैग्नस कार्लसन FIDE वर्ल्ड कप में पहली बार चैंपियन बने हैं। भारतीय दिग्गज के विश्नाथन आनंद और लेवोन एरोनियन ने 2-2 खिताब जीते हैं।
FIDE वर्ल्ड कप 2000 में शुरू हुआ था। पहले 2 सीजन चर्ल्ड चेस चैंपियनशिप से लिंक नहीं थे और टूर्नामेंट राउंड रॉबिन फॉर्मेट में खेला जा रहा था। उसके बाद 2003 और 2004 में प्रतियोगिता आयोजित नहीं हुई। तब से इस प्रतियोगिता का नियमित आयोजन हो रहा है। 2005 के बाद से वर्ल्ड कप नॉकआउट फॉर्मेट में हो रहा है। इतना ही नहीं, इसे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप साइकल का हिस्सा भी बनाया गया है।
टाईब्रेकर मैच-दर-मैच
टाईब्रेकर की शुरुआत रैपिड गेम के साथ हुई। इसके तहत दोनों खिलाड़ियों को 15-15 मिनट के दो रैपिड गेम खेलने थे।
पहला गेम: 47 मूव के बाद जीते कार्लसन, स्कोर 1-0
फाइनल टाईब्रेक के पहले रैपिड गेम में वर्ल्ड चैंपियन कार्लसन ने काले रंग के साथ जीत हासिल की। कार्लसन ने यह रैपिड गेम 47 मूव के साथ जीता। इस जीत के साथ उन्होंने टाईब्रेकर में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली। ऐसे में भारतीय स्टार का दूसरा गेम जीतना जरूरी हो गया।
दूसरा गेम : 22 मूव के बाद ड्रॉ रहा गेम
पहला रैपिड गेम हारने के बाद प्रगनानंदा पर हर हाल में जीतने का दवाब था, हालांकि कि यह मुकाबला 22 मूव के बाद ड्रॉ पर समाप्त हुआ, क्योंकि दोनों खिलाड़ी इस पर सहमत थे। इसी के साथ कार्लसन ने इस चैंपियनशिप का पहला खिताब जीत लिया।