तिरुअनंतपुरम: ब्रिटिश रॉयल नेवी का फाइटर जेट F-35 अब भारत में ठीक होगा। इसके लिए ब्रिटेन से 40 इंजीनियरों की टीम और 2 टो व्हीकल आएंगी। टीम फाइटर जेट में आ रही टेक्निकल प्रॉब्लम को ठीक करेगी, जिसके बाद यह ब्रिटेन के लिए उड़ान भरेगा।
फाइटर जेट 14 जून की रात केरल के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी। लैंडिंग के बाद जेट में तकनीकी खराबी आ गई, जिसके कारण यह वापस नहीं जा सका। जेट 13 दिन से एयरपोर्ट पर ही खड़ा है।
918 करोड़ रुपए का यह विमान ब्रिटेन की रॉयल नेवी के HMS प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा है। इसे दुनिया भर में सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट में से एक माना जाता है। HMS के एक्सपर्ट ने बताया था कि जेट को ठीक करने में ब्रिटेन की इंजीनियरिंग टीम की मदद लगेगी।
लाइटनिंग के नाम से मशहूर है F-35 जेट
ब्रिटिश सेवा में लाइटनिंग के नाम से जाना जाने वाला F-35 मॉडल फाइटर जेट का शॉर्ट टेक ऑफ/वर्टिकल लैंडिंग (STOVL) वैरिएंट है जिसे शॉर्ट-फील्ड बेस और एयर कैपेबल जहाजों से ऑपरेट करने के लिए डिजाइन किया गया है।
F-35B पांचवीं पीढ़ी का एकमात्र लड़ाकू जेट है जिसमें छोटी उड़ान और वर्टिकल लैंडिंग की कैपेसिटी है। जो इसे छोटे डेक, साधारण ठिकानों और जहाजों से संचालन के लिए आदर्श बनाती हैं।
F-35B को लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने डेवलप किया है। इस प्लेन को 2006 से बनाना शुरू किया गया था। 2015 से यह अमेरिकी वायुसेना में शामिल है।
ये पेंटागन के इतिहास का सबसे महंगा विमान है। अमेरिका एक F-35 फाइटर प्लेन पर औसतन 82.5 मिलियन डॉलर (करीब 715 करोड़ रुपए) खर्च करता है।

भारतीय नौसेना के साथ किया था युद्धाभ्यास
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह स्टील्थ विमान ब्रिटेन के एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा है। यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में काम कर रहा था और हाल ही में इसने भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त समुद्री अभ्यास पूरा किया है। सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार के संबंधितसे मंजूरी मिलने के बाद ईंधन भरने का काम शुरू हो जाएगा।

(Bureau Chief, Korba)