दुर्ग: दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के अंतर्गत वेटनरी पॉलिटेक्निक राजनांदगांव का पत्रोपाधि प्रमाण पत्र वितरण समारोह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र, अंजोरा के सभागार में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. (कर्नल) एन.पी. दक्षिणकर के मुख्य आतिथ्य, निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य की अध्यक्षता, निदेशक अनुसंधान सेवाएं डॉ. जी.के. दत्ता के विशिष्ट आतिथ्य, कार्यक्रम समन्वयक डॉ.व्ही.एन. खुणे, विश्वविद्यालय जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दिलीप चौधरी, वेटनरी पॉलिटेक्निक राजनांदगांव की प्राचार्या डॉ. श्वेता जैन, डॉ. मेहताब परमार एवं अन्य की गरिमामय उपस्थिति में आयोजित हुआ जिसमें 65 छात्र- छात्राओं को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। कार्यक्रम के अवसर पर निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. संजय शाक्य ने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान के द्वारा पशुधन को आगे बढ़ाना है। वर्तमान समय में पशुधन प्रक्षेत्र में तकनीकी ज्ञान विकसित करने की आवश्यकता है। छात्र-छात्राओं को उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्र में जाकर पशुधन के स्वास्थ्य, अच्छी नस्ल की पैदावार, दुग्ध व्यवसाय के माध्यम से स्वयं का व्यवसाय स्थापित कर अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। निदेशक अनुसंधान सेवाएं डॉ.जी.के. दत्ता ने बताया कि पशुपालन को आगे बढ़ाने के लिए मैनपावर की आवश्यकता है। इस हेतु 2 वर्ष की प्रायोगिक एवं सैद्धांतिक शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपना योगदान देकर अपना भविष्य उज्जवल कर सकते हैं । वे छोटी-छोटी इकाईयों के माध्यम से पशुपालन के व्यवसाय को आगे बढ़ाएं। इस अवसर पर कुलपति डॉ.(कर्नल)एन.पी.दक्षिणकर ने छात्र- छात्राओं को संबोधित करते हुए वर्तमान में विभिन्न रोगों के प्रतिबंधात्मक उपचार की आवश्यकता पर जोर दिया। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि एवं पशुपालन है साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का मुख्य साधन कृषि है। दूध उत्पादन में हम प्रथम स्थान पर है परंतु वर्तमान में उद्योगों के साथ समन्वय करके उद्यमिता को बढ़ावा देना अनिवार्य है। इसके लिए विश्व व्यापार संगठन के अंतर्गत बाजार में अंतर्राष्ट्रीय मानकों का कड़ाई से पालन करना होगा । शासन द्वारा देशी पशुधन को महत्व दिया जा रहा है। इस संबंध में शासन द्वारा छोटे-छोटे फॉर्म पर सब्सिडी भी दी जा रही है। स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड एवं अन्य संस्थाओं से कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि व्यवसाय को लाभकारी बनाने के लिए मूल्य संवर्धन, मार्केट लिंकेज करना होगा । देश में कैटलफीड के व्यवसाय में पारंपरिक पशु आहार का उपयोग कर लागत को 50þ तक कम कर सकते है एवं रोजगार भी बन सकते हैं। इन नवाचारों को व्यवसाय में परिवर्तित कर अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आपको यश मिले, मातृ संस्था से संलग्न रहें, राज्य शासन एवं केंद्र सरकार की बहुत सी योजनाएं हैं जिससे लाभ लेकर आप अपने तथा देश/ प्रदेश का आर्थिक उन्नति में योगदान दे सकते हैं। इस कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ.प्रवीण रात्रे, प्रबंधन डॉ.भुनेश्वर पाल कंवर एवं धन्यवाद तथा आभार प्रदर्शन प्राचार्या डॉ. श्वेता जैन द्वारा किया गया।