रायपुर: छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। खराब परफार्मेंस वाले विधायकों का टिकट कट सकता है। शुरुआती सर्वे के आधार पर पार्टी ने विधायकों को सुधार का आखिरी मौका दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को कहा, अगर स्थिति सुधरेगी तो किसी का टिकट क्यों काटेंगे। लेकिन स्थिति नहीं सुधरी तो फिर पार्टी तय करेगी।
सिहावा विधानसभा में भेंट-मुलाकात के लिए रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री रायपुर हेलिपैड पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। विधायकों के टिकट काटे जाने से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, सरकारी योजनाओं का फायदा लोगों को मिल ही रहा है। पार्टी की बात करें तो विधानसभा के पांच उपचुनाव हुए, हमने जीते। लिटमस टेस्ट तो यही है कि नगरीय निकाय चुनाव में क्या रिजल्ट रहा। उपचुनाव में रिजल्ट क्या रहा। यह सारे चुनाव हम जीते हैं। जहां तक कैंडिडेट की बात है तो अभी तो भेंट-मुलाकात का कार्यक्रम चल रहा है।
विधायकों को लगातार बता भी रहे हैं कि यह-यह काम आपको और करना है। अगर स्थिति सुधरेगी तो टिकट किसी का क्यों काटेंगे। अगर नहीं सुधरी तो फिर पार्टी तय करेगी। बताया जा रहा है कि पार्टी के आंतरिक सर्वे में करीब 30% विधायकों का प्रदर्शन खराब पाया गया है। उनसे स्थानीय लोग और कार्यकर्ता भी संतुष्ट नहीं है। ऐसे विधायकों को बकायदा एक-एक काम के लिए निर्देशित किया गया है। फील्ड पर भी उसका असर नजर आने लगा है। पिछले कुछ महीनों से वे विधायक पर क्षेत्र में चौपाल लगाने लगे हैं जिनका पूरा समय रायपुर और दिल्ली की प्रदक्षिणा में बीता है।
सीएम धमतरी रवाना होने से पहले पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री बोले, हमारा कोई एक ग्रंथ नहीं, हम बहुत से ग्रंथों-ऋषियों को मानने वाले
राहुल गांधी के तपस्वी और पुजारी वाले बयान से खड़े हुए विवाद पर मुख्यमंत्री ने कहा, दूसरे देशों में एक धर्म है, एक ग्रंथ है, एक उनका ईष्ट है। हमारा देश ऐसा है जहां अलग-अलग मान्यता के लोग हैं। हम यह नहीं कह सकते हैं कि यह हमारा सर्वमान्य ग्रंथ है। हम गीता पढ़ते हैं, वेदों को मानते हैं, उपनिषद मानते हैं, रामायण को मानते हैं। हमारा कोई एक ग्रंथ नहीं है। हमारे बहुत सारे ग्रंथ हैं। हमारे बहुत से ऋषि भी हैं। किसी एक ऋषि की बात को प्रमाणित नहीं मान सकते। वह भी प्रमाणिक है, लेकिन दूसरे ऋषि बोले हैं वह भी हमारे लिए प्रमाणिक है। उसी तरह से हमारे ईष्ट भी बहुत हैं। हम शिव को मानते हैं, कृष्ण को मानते हैं, राम को मानते हैं, गुरु को मानते हैं। ये देश तो ऐसा है जहां गुरु को ईश्वर के समकक्ष खड़ा कर दिया गया है। गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपनो गोविंद दियो बताय।।
गुरु जो है वह इंसान है, वह अपने तप से, अपने अध्ययन से, अपने ध्यान से योग से इतनी ऊंचाई प्राप्त कर लेता है कि वह ईश्वर के समकक्ष हो जाता है। भक्ति आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि गुरु जो है वह गोविंद के बराबर है। हमारे देश में विभिन्न प्रकार की मान्यताएं हैं, बहुत सारे रास्ते हैं। खट्टर जी को कुछ समझ-वमझ आना नहीं है। भक्त और भगवान के बीच संबंध क्या होता है यह तो कोई भक्त ही जान सकता है। खट्टर जी यह नहीं समझ पाएंगे।
कहा-नार्थ-ईस्ट में धर्मांतरण रोधी कानून क्यों नहीं लाती भाजपा
मुख्यमंत्री ने कहा, ये धर्मांतरण के नाम से राजनीति करते हैं। इनको मतलब नहीं है कोई धर्मांतरित हो रहा है, नहीं हो रहा है। जबरिया हो रहा है या स्वेच्छा से। उनके 15 साल में जितने चर्चेज बने हैं उतना न कभी उसके पहले बने थे और न अब इन चार सालों में बने हैं। भाजपा हल्ला करती है धर्मांतरण। यह अकेले छत्तीसगढ़ में हो रहा है ऐसी भी बात नहीं। मध्य प्रदेश में हो रहा है वहां वे हल्ला नहीं कर रहे हैं। जहां भाजपा का शासन है वहां वे चुप हैं। जहां उनकी सरकारें नहीं वहीं हल्ला करते हैं।
देश में उनकी सरकार है, पूर्ण बहुमत है-फिर बिल क्यों नहीं लाए। उनको रोका कौन है। वह काम तो करना नहीं है, इनको राजनीत करना है। मतलब समाज में जहर कैसे घोला जाए, भाई-भाई को कैसे लड़ाया जाए-जब तक वे लड़ाई नहीं कराएंगे तब तक उनका भला होने वाला नहीं है। ये समस्या खड़ी करते हैं। समस्या का निदान नहीं सोचते। नार्थ-ईस्ट में तो इनकी सरकार है। वहां कन्वर्टेड क्रिश्चियन 50% से 90% तक है। सबसे पहले वहां लागू करें-फिर यहां बात करें। जहां उनकी सरकार है वहां चुप हैं। यह उनका दोहरा मापदंड है।