Saturday, November 23, 2024
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CG: बम्लेश्वरी मंदिर की सीढ़ियों पर दिखा तेंदुआ.. CCTV कैमरे में हुआ कैद, कभी लेटता, कभी घूमता हुआ आया नजर; जानिए विश्वप्रसिद्ध मंदिर के बारे में

राजनांदगांव: जिले के डोंगरगढ़ में स्थित प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी मंदिर की सीढ़ियों पर एक तेंदुआ दिखाई दिया। मंदिर की सीढ़ियों पर तेंदुआ चहलकदमी करता दिखाई दे रहा है। ये पूरी घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। अब ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो कुछ दिन पुराना बताया जा रहा है।

वीडियो में तेंदुआ कभी मां बम्लेश्वरी मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा, तो कभी घूमता हुआ नजर आ रहा है। कुछ घंटे के बाद तेंदुआ पहाड़ों की ओर चला गया। कुछ महीने पहले भी मां बम्लेश्वरी मंदिर की पहाड़ी पर एक तेंदुआ दिखाई दिया था। बता दें कि डोंगरगढ़ में ऊपर पहाड़ी पर विराजमान प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी देवी का मंदिर विद्यमान है। ये मंदिर 1600 फीट ऊंची पहाड़ की चोटी पर स्थित है। यहां मां बम्लेश्वरी बगलामुखी रूप में विराजमान हैं। इनके दर्शन के लिए लाखों की संख्या में हर साल देशभर से श्रद्धालु धर्म नगरी डोंगरगढ़ पहुंचते हैं।

सीढ़ियों पर तेंदुआ।

सीढ़ियों पर तेंदुआ।

मंदिर में 1000 से अधिक सीढ़ियां हैं, जिन पर चढ़कर माता के मंदिर तक पहुंचा जाता है। जो लोग सीढ़ियां नहीं चढ़ सकते, उनके लिए रोपवे की सुविधा भी है। राजसी पहाड़ों और तालाबों के साथ डोंगरगढ़ शब्द लिया गया है। डोंगर का मतलब पहाड़ और गढ़ का अर्थ किला होता है। इस जगह का आध्यात्मिक महत्व है। केंद्र सरकार ने विश्व पटल पर रेखांकित करने के लिए प्रसाद योजना के तहत 46 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। वर्ष 2023 तक निर्माण कार्य पूरा होगा। वर्ष में दो बार (चैत व आश्विन) में नवरात्र पर लगने वाले मेले में करीब 20 लाख भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। सामान्य दिनों में भी हजारों श्रद्धालु माई के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। देश के अलावा विदेशों के भक्त भी मां बम्लेश्वरी मंदिर में मनोकामना जोत प्रज्ज्वलित करते हैं।

तेंदुआ मंदिर परिसर तक पहुंचा।

तेंदुआ मंदिर परिसर तक पहुंचा।

मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास 2,200 वर्ष पुराना है। प्राचीन समय में डोंगरगढ़ वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था। मां बम्लेश्वरी को मध्यप्रदेश के उज्जयनी के प्रतापी राजा विक्रमादित्य की कुल देवी भी कहा जाता है। इतिहासकारों और विद्वानों ने इस क्षेत्र को कल्चुरी काल का पाया है। मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं, जिन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। जिसे मां बम्लेश्वरी के रूप में पूजा जाता है। मां बम्लेश्वरी के दरबार में पहुंचने के लिए 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। रोप-वे की भी सुविधा है। पहाड़ी के नीचे छोटी बम्लेश्वरी का मंदिर है, जिन्हें बड़ी बम्लेश्वरी की छोटी बहन कहा जाता है। यहां बजरंगबली मंदिर, नाग वासुकी मंदिर, शीतला मंदिर भी है।




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