Monday, May 20, 2024
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CG: एनटीपीसी सीपत का शत-प्रतिशत राखड़ उपयोगिता का लक्ष्य…

बिलासपुर/सीपत (BCC NEWS 24): एनटीपीसी देश की अग्रणी विद्युत उत्पादक कंपनी है, जो कि अपने स्वयं के 51 एवं संयुक्त उपक्रमों के 39 स्टेशनों जिसमें कोयला, गैस, जल, पवन एवं सोलर स्टेशनों के माध्यम से कुल 73,874
मेगावाट की स्थापित क्षमता है। विश्व की उत्कृष्ट विद्युत कंपनियों में से एक, एनटीपीसी देश के आर्थिक विकास को दृढ़ता प्रदान करती है। एनटीपीसी सीपत 2980 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता जिसमें सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी पर आधारित 660 मेगावाट की तीन ईकाइयाँ एवं सब क्रिटिकल 500 मेगावाट की दो ईकाइयाँ स्थापित है। यह देश की तीसरी सबसे बड़ा पावर स्टेशन है। यहाँ देश की सर्वप्रथम 765 केवी की स्विचयार्ड संचालित है। सीपत स्टेशन से छत्तीसगढ़ सहित देश के सात राज्यों की बिजली आपूर्ति की जाती है।

एनटीपीसी सीपत कोल आधारित विद्युत स्टेशन है जहाँ विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया में सह उत्पाद के रूप में राख उत्सर्जित होती है, इस परिणामस्वरूप, एनटीपीसी सिपात 100 प्रतिशत फ्लाई ऐश उपयोग के लिए प्रयासरत है। एनटीपीसी सीपत द्वारा 100 प्रतिशत से भी अधिकतम 115 प्रतिशत राख की उपयोगिता सीमेंट उद्योग, फ्लाई एश ब्रिक्स प्लांट, एनएचएआई की परियोजनाओं को राख आपूर्ति द्वारा की जाती है। वर्तमान में, रायपुर-धमतरी, बिलासपुर-उरगा और रायपुर-विशाखापत्तनम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण परियोजनाओं में राख की आपूर्ति की जा रही है । साथ ही बंद पड़े कोल माईन्स के भराव, निचली जमीन के भराव हेतु राख की आपूर्ति कर इसकी उपयोगिता को बढ़ाया जा रहा है।

एनटीपीसी सीपत द्वारा बीआईएस से प्रमाणित राख ईंटों का निर्माण कर बिक्री की जा रही है। एनटीपीसी
के सभी स्टेशनों में से एनटीपीसी सीपत पहला स्टेशन है, जहां पर राखड से बनी ईंट की डीलरशिप दी गई
है| इस डीलरशिप के द्वारा अबतक 23 लाख ईंटों की बिक्री हो चुकी है।

एनटीपीसी सीपत में 3 ऐश डाइक हैं। इन क्षेत्रों में अस्थायी धूल उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न पहल की जा रही हैं। जिसमें मुख्य है राख की धूल को रोकने के लिए फॉग कैनन का उपयोग, मिट्टी को रोकने के लिए बेशरम वृक्षारोपण, राख के पानी के पुनर्चक्रण पाइपों से डिस्चार्ज लेने के लिए स्प्रिंकलर सिस्टम की स्थापना, राख की सतह को तिरपाल शीट से ढंकना, पवन अवरोधकों की स्थापना, तालाब बनाना इत्यादि शामिल है।

राखड़ बांध से राख के परिवहन में लगे वाहनों में तिरपाल ढँककर परिवहन किया जाता है, साथ ही परिवहन मार्ग पर निरंतर पानी का छिड़काव कर धूल एवं राख को उड़ने से बचाया जाता है। जिससे आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखा जा सके।

लैगून की अधिकतम सतह को जलमग्न रखने के लिए लैगून में जल स्तर को बनाए रखा जाता है। राख की उपयोगिता बढ़ाने के लिए एनटीपीसी द्वारा विभिन्न अनुसंधान किए जा रहे हैं और एनटीपीसी सीपत में भी राख उपयोगिता बढ़ाने के लिए कई नवोन्मेषी पहल की जा रही है, जिसके अंतर्गत लाइट वेट एग्रीगेट्स (LWA), ऐश टू सैंड प्रोजेक्ट, जियो पॉलीमर कंक्रीट रोड और नैनो कंक्रीट एग्रीगेट (NACA) निर्माण संयंत्र की स्थापना की गई है।

एनटीपीसी सीपत द्वारा राख उपयोगिता को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जा रही है यही वजह है कि शत प्रतिशत तक इसकी उपयोगिता को बढ़ाया जा चुका है। नवाचार और कटिंग एज टेक्नोलॉजी के संयोजन से ऐश की उपयोगिता को सभी संभावित माध्यमों में बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। एनटीपीसी सीपत सतत ऊर्जा उत्पादन से भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक है और बहुआयामी प्रयास इस समर्पण का प्रमाण है।

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