रायगढ़: छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल में ओपी चौधरी मंत्री बनाए गए हैं। ओपी चौधरी रायगढ़ विधानसभा से पहली बार विधायक बने हैं। वे रायगढ़ जिले की खरसिया ब्लॉक के ग्राम बायंग के रहने वाले हैं। इनके पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक थे। जब ओमप्रकाश चौधरी मात्र 8 साल के थे, तब उनके पिता का स्वर्गवास हो गया था। उनके पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक थे।
पिता की मौत के बाद उनकी मां कौशल्या ने पेंशन के पैसों से उन्हें पाला। ओपी चौधरी ने पांचवीं तक की शिक्षा अपने गांव बायंग के सरकारी स्कूल से प्राप्त की। फिर आठवीं तक की शिक्षा जैमुरी से की। 12वीं तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने के बाद उन्होंने पीईटी उत्तीर्ण की, लेकिन वे इंजीनियर ना बनकर आईएएस ही बनना चाहते थे, इसलिए उन्होंने भिलाई से बीएससी किया।
ओपी चौधरी के नाम पर मुहर क्यों?
ओपी चौधरी ने 2018 में आईएएस की नौकरी से इस्तीफा दिया और चुनाव लड़े, लेकिन उस वक्त हार गए। इस बार रायगढ़ से जीते। ओपी चौधरी अमित शाह की पसंद हैं। उन्होंने कहा था कि इन्हें जिताइए, बड़ा आदमी बनाएंगे। अब ओपी चौधरी मंत्री बन गए हैं।
ओपी चौधरी का राजनीतिक करियर
13 साल की सर्विस के बाद ओपी चौधरी ने 2018 में आईएएस की सर्विस से इस्तीफा देकर भाजपा में प्रवेश कर लिया। उन्होंने भाजपा की टिकट से खरसिया से विधानसभा चुनाव लड़ा, पर उमेश पटेल से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार रायगढ़ से चुनाव लड़े और जीत हासिल हुई। अब साय मंत्रिमंडल में मंत्री बनाए गए हैं।
23 साल की उम्र में बने थे आईएएस
ओपी चौधरी ने यूपीएससी की तैयारी कर अपने पहले ही प्रयास में एग्जाम क्रैक कर लिया। वह मात्र 23 वर्ष की उम्र में ही आईएएस अफसर बन गए थे। ओपी चौधरी 2005 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अफसर थे। पहली पोस्टिंग सहायक कलेक्टर के तौर पर 2006 में कोरबा में हुई।
इसके बाद 2007 में उन्हें रायपुर में एसडीएम बनाया गया। 2007 में उन्हें जांजगीर जिला पंचायत का सीईओ बनाया गया। वे राजधानी रायपुर के नगर निगम कमिश्नर भी रहे। साल 2011 में उन्हें दंतेवाड़ा में कलेक्टर के तौर पर पदस्थ किया गया। रायपुर कलेक्टर भी ओपी चौधरी रहे।