Sunday, November 3, 2024




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CG: छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सीनियर नेता ने पार्टी छोड़ी… महंत राम सुंदर दास का कांग्रेस से इस्तीफा.. पत्र में लिखा- सबसे ज्यादा वोटों से हारा, इसलिए दे रहा रिजाइन; रायपुर दक्षिण से थे प्रत्याशी

रायपुर: छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सीनियर नेता महंत राम सुंदर दास ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को भेजा है। इसकी वजह उन्होंने विधानसभा चुनाव में हार को बताया है। उन्होंने लिखा है कि प्रदेश में वो सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से हारे हैं।

आपको बता दे कि रायपुर दक्षिण सीट से महंत राम सुंदर दास ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। उनके खिलाफ में बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल ने चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल ने बड़े अंतराल से चुनाव जीता।

महंत राम सुंदर दास का रिजाइन लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

महंत राम सुंदर दास का रिजाइन लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

हार की नैतिक जिम्मेदारी ली

विधानसभा चुनाव हारने के बाद गुरुवार को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए महंत राम सुंदर दास ने इस्तीफा दिया है। उनका पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उन्होंने कहा कि दूधाधारी मठ के जरिए शुरू से ही जन सेवा की जा रही है।

आज रायपुर शहर के लोग अपने घर में बैठकर अगर एक गिलास पानी भी पी रहे हैं तो वो भी दूधाधारी मठ की ओर से दान की गई जमीन से ही मिल पा रहा है। साथ ही मठ कई स्कूल-कॉलेज भी चलाता है। मैं जन सेवा को अब मठ के माध्यम से ही आगे बढ़ाऊंगा।

रायपुर दक्षिण सीट से थे कांग्रेस के प्रत्याशी

महंत राम सुंदर दास को कांग्रेस ने रायपुर दक्षिण सीट से इस बार के चुनाव में उतारा था। यहां से बीजेपी के प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल थे। खास बात ये है कि राम सुंदर दास को बृजमोहन अपना गुरु मानते हैं। ऐसे में मुकाबला चुनौती भरा था। चुनाव के दौरान कुछ विवाद भी सामने आए। आखिरकर बृजमोहन ने इस सीट से 8वीं बार बड़े अंतर से जीत हासिल की।

चुनाव जीतने के बाद महंत रामसुंदर दास का आशीर्वाद लेते बृजमोहन अग्रवाल।

चुनाव जीतने के बाद महंत रामसुंदर दास का आशीर्वाद लेते बृजमोहन अग्रवाल।

महंत राम सुंदर दास का सियासी सफर

2003 में महंत राम सुंदर दास छत्तीसगढ़ के पामगढ़ से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। 2008 में उन्होंने जैजैपुर से चुनाव जीता था। 2013 में उसी सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2018 में भूपेश बघेल की सरकार बनी तो उन्हें गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। साल 2001-2003 में संस्कृत बोर्ड के पहले अध्यक्ष रहे। वहीं, छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के सदस्य भी रह चुके हैं।

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