Tuesday, May 7, 2024
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CG: महाराष्ट्र में छिपा था फरार बैंक मैनेजर.. अपहरण कांड के मुख्य आरोपी से मिलकर ठेकेदार के नाम से निकाले 14 लाख के फर्जी लोन, गिरफ्तार

बिलासपुर: दयालबंद में मां बेटे का अपहरण करने वाले भू-माफिया के साथ मिलकर 14 लाख का फर्जी लोन निकालने के आरोपी बैंक मैनेजर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस घटना के बाद से आरोपी बैंक मैनेजर महाराष्ट्र के मुंबई में रह रहा था। पुलिस ने दबिश देकर उसे दबोच लिया। मामला कोटा थाना क्षेत्र का है।

उसलापुर के गुलमोहर पार्क कॉलोनी निवासी अजय सिंह पिता स्व. रामचंदर सिंह (45) रेलवे में ठेकेदार हैं। साल 2016 में वे घर बनाने के लिए जमीन खरीदना चाहते थे। इसी दौरान शुभम विहार निवासी कौशल सिंह ने गीतांजली सिटी के पास उन्हें जमीन दिखाई। जमीन पसंद आई तब पैसे कम पड़ गए। इस पर कौशल ने उसे कहा कि वह सेंट्रल बैंक कोटा से लोन दिलवा देगा।

इसके लिए उसे कोटा भी ले गया। कौशल ने अजय का परिचय सेंट्रल बैंक के मैनेजर मनीष तिवारी से कराया। बैंक मैनेजर ने 22 लाख रुपए लोन मिलने के बारे में बताया और डॉक्यूमेंट लेकर कुछ कागजात पर हस्ताक्षर कराए। कुछ दिन बाद पता चला कि जिस जमीन का अजय सिंह ने सौदा किया था, वह विवादित है। इसलिए उन्होंने जमीन लेने से इनकार कर दिया।

भू-माफिया नरेंद्र मोटवानी सहित तीन आरोपी पहले ही हो चुके हैं गिरफ्तार।

भू-माफिया नरेंद्र मोटवानी सहित तीन आरोपी पहले ही हो चुके हैं गिरफ्तार।

स्कूटी खरीदने गए तब पता चला होम लोन है
2018 में रेलवे ठेकेदार स्कूटी खरीदने के लिए एजेंसी गए। इस दौरान उन्होंने फाइनेंस कराने के लिए सिविल चेक कराया, तब पता चला कि उनके नाम पर सेंट्रल बैंक कोटा में पहले से होम लोन है। इसलिए नया लोन नहीं मिल सकता। बैंक में संपर्क करने पर पता चला कि 2016 में 14 लाख का होम लोन लिया गया है। यह रकम चेक से गोविंद कंस्ट्रक्शन व्यापार विहार बिलासपुर के नाम पर जमा हुई थी। अजय सिंह ने कौशल के साथ गोविंदा कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर राजेश सिंह ठाकुर व नरेंद्र मोटवानी से जाकर संपर्क किया तो दोनों ने पैसे लौटाने के लिए समय मांगा, फिर घुमाने लगे। बैंक में लोन से संबंधित दस्तावेज देखा तो एग्रीमेंट पर फर्जी हस्ताक्षर थे।

पुलिस ने पकड़ने में लगा दिया तीन
मामला सामने आने पर रेलवे ठेकेदार ने पुलिस से शिकायत की, जिस पर आरोपियों के खिलाफ 17 नवंबर को ही कोटा थाने में केस दर्ज हुआ था। इसके बाद जांच के नाम पर पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही थी। बताया जा रहा है कि पुलिस ने अग्रिम जमानत के लिए पूरा मौका दिया। इसलिए गिरफ्तारी में देरी की गई। इस बीच पुलिस ने नरेंद्र मोटवानी सहित अन्य आरोपियों को करीब दो माह पहले गिरफ्तार किया था। वहीं बैंक मैनेजर मनीष तिवारी फरार था। पुलिस ने महाराष्ट्र के मुंबई के बोरीवली में दबिश देकर बैंक मैनेजर मनीष तिवारी को पकड़ लिया। पुलिस उसे लेकर बिलासपुर आई और गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया।

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