Monday, November 25, 2024
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CG: ग्राम चेटबा के सहेली स्व सहायता समूह की महिलाओं ने ऐग हैचरी एवं चिक प्रोडक्शन यूनिट को बनाया अपने आजीविका का आधार…

  • 34000 का लाभ प्राप्त कर चुकी है महिलाएं

जशपुरनगर: छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत (बिहान) जशपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत महिलाओं को समूह के रूप में गठित एवं प्रेरित कर स्व रोजगार से जोड़े जाने की महत्वाकांक्षी योजना सार्थक साबित हो रही है। आज एनआरएलएम की महिलाएं स्व सहायता समूह से जुड़ कर सफलता की नयी कहानियॉ लिख रहीं हैं और अपने सपने को पंख देकर नयी उड़ान के लिए तैयार हैं। तीनों स्तर की पंचायतों एवं एनआरएलएम बिहान टीम की सहायता से इन महिलाओं की सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। कलेक्टर डां रवि मित्तल के मार्गदर्शन और जिला पंचायत सीईओ श्री जितेन्द्र यादव के दिशा निर्देश में आजीविका से जुड़कर महिलाएं  आत्मनिर्भर बन रही है

जशपुरनगर

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इसी कड़ी में कांसाबेल विकासखण्ड के ग्राम चेटबा के सहेली स्व सहायता समूह के द्वारा ऐग हैचरी एवं चिक प्रोडक्शन यूनिट को अपने आजीविका का आधार बनाया है। इस समूह में 12 महिलाएं शामिल हैं। सहेली स्व सहायता समूह बिहान योजना द्वारा संचालित है। जिसका गठन  को करके क्षमता वर्धन का कार्य विकासखण्ड मिशन प्रबंध इकाई एवं अभिसरण के माध्यम से किया गया है। सहेली स्व सहायता समूह बिहान में जुड़ने के बाद जिन्दगी में कुछ कर गुजरने एवं अच्छे मुकाम में पहुंचने की प्रेरणा मिली। जिससे अपने आर्थिक विकास के लिए कुछ न कुछ आजीविका संबंधित कार्य करना चाहती थी।

इसलिए वे समूह के 11 सूत्रों का नियमतः पालन करते हुए चक्रिय निधी राशि 15000 रूपए, सामुदायिक निवेश कोष राशि 60000 रूपए एवं बैंक लिंकेज की राशि 60000 रूपए प्राप्त कर स्व सहायता समूह द्वारा जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में ऐग हैचरी एवं चिक प्रोडक्शन युनिट प्रारंभ किया गया। ऐग हैचरी एवं चिक प्रोडक्शन युनिट में सर्वप्रथम 720 अण्डा हैचिंग के लिए डाला गया। जिसमें से 634 अण्डा  से फूट कर चुजा प्राप्त हुआ। सहेली स्व सहायता समूह द्वारा 720 अण्डा 10800 रूपए में खरीदा गया एवं उस अण्डा से चूजा उत्पादन कर 634 चूजा को विक्रय कर कुल लाभ राशि 34870 रूपए प्राप्त किया गया।

चुकिं स्थानीय एरिया में समूह के सभी दिदीयों द्वारा मुर्गीपालन किया जाता है। जिससे अण्डा हैचिंग के लिए आसानी से समूह द्वारा एकत्रित कर लिया जाता है एवं कुछ अण्डा मुर्गी पालकों से खरीद कर उसे मशीन द्वारा हैचिंग करवाकर चूजा प्राप्त कर लिया जाता है। इस प्रकार सहेली स्व सहायता समूह एक उद्यमिता की सोच लेकर आगे बढ़ रही है। समूह में जुड़ने से पहले समूह के सभी सदस्यों का आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी और जीवन एक सामान्य मेहनत-मजदूरी पर निर्भर था। कम आय की वजह से समूह की दीदियॉ घर एवं परिवार की समस्या से हमेशा घिरी हुई रहती थी।




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