Raipur: राजधानी रायपुर की अम्लीडीह शराब भट्ठी में एक कुत्ते को फांसी पर चढ़ाने का मामला सामने आया है। पशु क्रूरता की इस खबर ने लोगों को हैरान कर दिया है। शराब भट्ठी के पास नशे में धुत्त लोगों पर कुत्ते ने भौंका था, जिसके बाद शराबियों ने उसे फांसी लगाकर बेरहमी से मार डाला। मामला राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र का है।
जैसे ही इस घटना का वीडियो वायरल हुआ, पुलिस ने इस पर संज्ञान लिया। राजेंद्र नगर थाना पुलिस ने जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। जानकारी के मुताबिक, कुत्ते के लगातार भौंकने से गुस्साए शराबियों ने उसके गले में फांसी का फंदा डालकर मौत के घाट तो उतारा ही, साथ ही कुत्ते के हाथ-पैर बांधकर शव को दीवार से बंधे रॉड पर उल्टा लटका दिया। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है। आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को भी खंगाला जा रहा है। वहां रहने वाले लोगों से भी पूछताछ की जा रही है। पीपल फॉर एनिमल्स भी इस मामले में केस दर्ज करवाने की तैयारी में है। घटनास्थल का जायजा लिया गया है।
कुत्ते को दीवार पर लटकाया।
कुत्तों पर क्रूरता का ये कोई पहला मामला नहीं
इससे पहले अगस्त के महीने में रायपुर के सदर बाजार में एक नाबालिग ने कुत्तों के झुंड पर एसिड फेंक दिया था। जिससे दो कुत्तों की जान चली गई थी। पुलिस ने आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया था। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसके बाद कुत्तों पर एसिड डालने वाले नाबालिग के खिलाफ थाने में पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई थी। लड़के का कहना था कि कुत्ते उसे परेशान करते थे, इसलिए उसने उन पर एसिड डाल दिया।
अम्लीडीह शराब भट्ठी की घटना।
क्या है पशु क्रूरता निवारण अधिनियम
देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस एक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है। मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस एक्ट में शामिल हैं। जैसे- अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है, तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा।
सजा का प्रावधान
इसके अलावा अगर कोई किसी पशु को मनोरंजन के लिए अपने पास रखता है और उसके साथ क्रूरता का व्यवहार करता है, तो वह भी अपराध है। ये सभी संज्ञेय और जमानती अपराध होते हैं, जिनकी सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है। ऐसे अपराधों के लिए कम से कम 10 रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है।